चीन में एक बार फिर कोरोना का कहर, भारत ने दिखाई सतर्कता
वैश्विक स्तर पर बढ़ते कॉविड संकट के मध्य भी विषेशज्ञों की यह राय है कि फिलहाल भारत में कोरोना की किसी भी प्रकार की लहर के आसार नहीं दिख रहे हैं।
यह वर्ष अपने मिश्रित अनुभवों के साथ अब लगभग बीत चुका है। हम नए साल की शुरूआत से अब कुछ रोज़ की ही दूरी पर हैं। यह वर्ष कोरोना महामारी से उत्पन्न संकटों की वजह से लगभग सभी के लिए ही चुनौतीपूर्ण रहा है। त्रासदी के कठिन समय में पिछले वर्ष अपनों को खोने के दुःख से उबरना सिख पाए हैं। लगभग हम सभी की मनःस्थिति पर इस महामारी ने गहरा असर छोड़ा है। इस महामारी ने मानों हमारे जीवन को अमूल चूल रूप से बदल दिया है। हालाँकि इन चुनौतीपूर्ण क्षणों में भी हमने उम्मीद की किरणों को कम नहीं होने दिया। वहीं कोरोना से लड़ने के लिए हमारी सरकार ने बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान भी चलाया और लगभग दो अरब वैक्सीन के टीके लोगों के लिए समय रहते उपलब्ध कराए गए। साथ ही जरूरतमंदों को मुफ्त राशन मुहैया कराकर सरकार ने एक बड़ी राहत लोगों तक पहुंचाई। सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गरीबों को निःशुल्क राशन वितरण की अपनी मुहिम की अवधि को एक वर्ष के लिए और बढ़ाने का स्वागतयोग्य निर्णय भी लिया है। जिससे देश के 81.35 करोड़ गरीबों को निशुल्क राशन मिलता रहेगा। कोरोना महामारी के परिणामस्वरूप उत्पन्न आर्थिक व मनोवैज्ञानिक तनावों से हम अब उबरने भी लगे हैं। आम जनजीवन की गाड़ी जिसका पहिया रास्ते से कहीं नीचे खिसक गया था, अब पुनः अपनी गति पकड़ने लगी है।
लेकिन पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रमों ने हमें जरूर कुछ चिंतित कर दिया है। बीते कुछ दिनों में खबरों में ये देखने व पढ़ने को मिल रहा है कि पड़ोसी देश चीन एक बार फिर कोरोना की भयानक लहर का सामना कर रहा है। कोविड के बी एफ.7 वैरिएंट ने पड़ोसी राज्य चीन में एक नया स्वास्थ्य संकट उतपन्न कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं कि चीन में दिसंबर माह के पहले बीस दिनों में देश की लगभग 18 प्रतिशत आबादी कोरोना की चपेट में आ चुकी है। कई मीडिया रिपोर्ट्स ने विशेषज्ञों के हवाले से ये दावा भी किया है कि आने वाले कुछ हफ्तों में चीन में हालात और बद्दतर होंगे। मीडिया व सोशल मीडिया पर चीन में उत्पन्न इस गहरे संकट से संबंधित जो तस्वीरें हमने देखी हैं , उसने हमें निश्चित ही चिंतित कर दिया है और चिंतित होना लाज़मी भी है। चीन के अलावा जापान ,थाईलैंड ,दक्षिण कोरिया व हॉन्ग कॉन्ग जैसे पूर्व एशिया के देशों में भी कोरोना के मरीजों की संख्या पिछले कुछ दिनों में तेज़ी से बढ़ी है।
इन खबरों के बीच भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी बीते दिनों लोगों से मास्क और कोविड संबंधी अन्य एतियात बरतने का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री भी आस पास के देशों में कोरोना के बढ़ते कहर की खबरों को लेकर बहुत गंभीर दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने स्वयं ही गत 22 दिसंबर को एक उच्च स्तरीय बैठक इस संबंध में की है। इसके अलावा गत रविवार को भी ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 96वें अंक के अपने संवाद में भी उन्होंने लोगों से कोरोना को लेकर जागरूक व सतर्क रहने का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री ने लोगों से मास्क लगाने व नियमित हाथ धोने इत्यादि जैसे उपाय करते रहने की भी अपील की है। साथ ही भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने भी बीते दिनों राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की है।
केंद्र सरकार ने राज्यों को किसी भी स्थिति से निपटने हेतु अपनी तैयारियों की समीक्षा करने को भी कहा है। इसके अलावा चीन, जापान,दक्षिण कोरिया , हॉन्ग कॉन्ग व थाईलैंड से आने वाले यात्रियों के लिए आर.टी.पी.सी.आर जाँच को अनिवार्य कर दिया गया है। प्रधानमंत्री और भारतीय मेडिकल एसोसिएशन ने बीते दिनों लोगों को शीघ्र अति शीघ्र कॉविड से बचाव में कारगर वैक्सीन के बूस्टर डोज़ लेने की अपील भी की है। नीति आयोग में स्वास्थ्य संबंधी विषयों को देखने वाले डॉ. वी.के पॉल ने बीते दिनों अपने बयान में बताया कि भारत में अभी तक सिर्फ 27-28 प्रतिशत लोगों ने ही वैक्सीन की बूस्टर डोज़ ली है।
बहरहाल वैश्विक स्तर पर बढ़ते कॉविड संकट के मध्य भी विषेशज्ञों की यह राय है कि फिलहाल भारत में कोरोना की किसी भी प्रकार की लहर के आसार नहीं दिख रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोरोना के इस बीएफ.7 वैरिएंट के अभी केवल चार मरीज़ ही भारत में मिले हैं। भारत की दृष्टि से स्थिति अभी बहुत समान्य दिखाई दे रही है। किंतु पूर्व की कोरोना की लहरों ने हमारे मानस पर ऐसे गंभीर घाव छोड़ें हैं कि विदेशों में कॉविड के बढ़ते मामलों की खबर ने ही मानों हमारे मन में एक चिंता का माहौल उतपन्न कर दिया है। वहीं कोरोना के संबंध में एक बात तो साफ है कि सभी के एकजुट प्रयासों से ही इसका सामना किया जा सकता है।
आत्मविश्वास की किसी भी स्तर पर कोई भी कमी हमें सिर्फ और सिर्फ नुकसान ही पहुंचाएगी। हमें यह ध्यान रखना है कि पहले की अपेक्षा हम अब मानसिक रूप से अधिक मजबूत हैं ,सरकारी तंत्र भी किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए सजग है। मूल भूत स्वास्थ्य संरचनाओं का जो अभाव पिछली लहरों में देखने को मिला हम अब उससे कहीं आगे आ चुके हैं। हमारी स्वास्थ्य संरचना अब पहले की अपेक्षा काफ़ी ज्यादा सुदृढ़ हो चुकी है। अतः ये समय मन में किसी भी प्रकार के भय व असमंजस को स्थान बनाने देने का नहीं है अपितु कोरोना से बचाव के हर संभव उपाय को व्यवहार में लाने का व सरकार व संबंधित संस्थाओं के अनुदेशों व सुझावों के पालन को सुनिश्चित कराने का है, ताकि हम स्वयं को व अपने आस पास के लोगों को भी कोरोना के किसी भी खतरे से सुरक्षित रख सकें।
यह आर्टिकल सिद्धान्त मिश्रा के विचारों और लेखनी का संग्रह है। सिद्धांत मिश्रा वर्तमान में नई दिल्ली स्थित अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन संस्थान , जे.एन.यू में शोधार्थी हैं।