फाइटर जेट पर उड़ान भर रही देश की बेटियाँ और उनके सपने

देश की पहली तीन जाबांज बेटियां जिन्होंने भारतीय वायुसेना मे बतौर फायटर पायलट जगह बनाई।

March 8, 2021 - 17:12
January 5, 2022 - 12:19
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फाइटर जेट पर उड़ान भर रही  देश की बेटियाँ और उनके सपने
तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पारिकर(बाएं) द्वारा कमीशन लेती भावना कंठ , अवनी चतुर्वेदी , मोहना सिंह (बांए से दांए)

भारत के गौरवशाली इतिहास में पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं नें भी कई बड़े युद्ध लड़े और देश सेवा में अपना योगदान दिया। इस परिपेक्ष्य में इतिहास के पन्ने पलटे जाएं, तो हमें रानी लक्ष्मीबाई , रानी अहिल्या बाई , बेगम हजरत महल और रानी अवन्ती बाई जैसे अनेक नाम मिलते हैं, जिन्होनें अपना युद्ध कौशल दिखाते हुए अपनी प्रजा की रक्षा की। बात जब आज के आधुनिक युग की हो, तो उसमें भी देश की बेटियां पीछे नहीं हैं। भारत की रक्षा सेवाओं में जब-जब महिलाओं को अवसर दिया गया है, वे उसे भुनानें में सफल रहीं हैं। भारतीय वायु-सेना में प्रथम महिला पायलट गुंजन सक्सेना नें भी कारगिल की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आज उन्हें उनके पराक्रम के चलते कारगिल गर्ल के नाम से जाना जाता है। वायु-सेना के साथ-साथ थल-सेना और नौसेना में भी देश की बेटियां विभिन्न बड़े पदों पर कार्यरत हैं। 18 जून , 2016 को भारतीय वायुसेना में पहली बार महिलाओं को बतौर फाइटर पायलट शामिल किया गया। अवनी चतुर्वेदी, भावना कंठ और मोहना सिंह ये कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिलाएं बनीं। इन जाबांज बेटियों ने समाज को बांधकर रखने वाली रूढिवादी जंजीरों को तोड़ने का काम किया है।

अवनी चतुर्वेदी

फ्लाइट लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले में हुआ । इनके पिता एक इंजीनियर और माता गृहणी हैं। अवनी के भाई भारतीय थल सेना में अफसर हैं। उन्होंने अवनी को रक्षा सेवाओं की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया। अवनी की स्कूली शिक्षा मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में हुई। उन्होंने 2014 में अपनी स्नातक प्रौद्योगिकी वनस्थली विश्वविद्यालय से करते हुए भारतीय वायु सेना की परीक्षा उत्तीर्ण की। अवनी ने अपने महाविद्यालय के फ्लाइंग क्लब से भी कुछ घंटे की उड़ान का अनुभव प्राप्त किया था, जहां से वायू-सेना से जुड़नें की उनकी इच्छा और तीव्र हो गई। अवनी पहली भारतीय महिला हैं, जिन्होंने मिग-21 विमान में सोलो फ्लाइट ली है। अवनी को शतरंज और टेबल टेनिस खेलना पसन्द है। इसके साथ-साथ उन्हें स्केट्चिंग और चित्रकारी का भी शौक है। उनका मानना है कि हर व्यक्ति का कभी ना कभी उड़ान भरने का सपना अवश्य होता है। उनकी मेहनत ही उस सपने को पूरा कर सकती है।

                                                     

       बचपन से ही वायुसेना में शामिल होने का ख्वाब देखने वाली फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ का जन्म बिहार में बेगुसराय जिले के बरौनी कस्बे में हुआ। इनके पिता भी एक इजीनियर थे। बरौनी रिफ़ाइनरी टाउनशिप में डीएवी विद्यालय से उनकी शुरूआती पढ़ाई हुई। उनकी इच्छा थी कि वे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) ) की परीक्षा उत्तीर्ण करके वायुसेना से जुड़ें, लेकिन इस परीक्षा के लिए महिलाओं को पात्रता नहीं दी गई। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु में बीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स स्ट्रीम में अपनी इंजीनियरिंग करने का फैसला किया। वहां से स्नातक होने के बाद भारतीय वायु सेना की परीक्षा दी और सफल हुईं। ट्रेनिंग के दौरान कड़ी मेहनत करके भावना ने युद्ध मिशन में शामिल होने की योग्यता प्राप्त कर ली। ऐसा करने वाली वे पहली महिला पायलट बनी। मिग-21 उड़ाकर उन्होंने ये मुकाम हासिल किया। भावना को खो-खो और बैडमिंटन खेलने का शौक है। वे तैराकी और चित्रकारी में भी रूचि रखती हैं। देश के लिए यह बड़े गर्व का अवसर था, जब इसी वर्ष गणतंत्र दिवस की परेड में भावना कंठ नें हिस्सा लिया।

         फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह का जन्म राजस्थान के झुंझुनू में हुआ। इनके पिता वायुसेना में ही कार्यरत हैं और माता एक शिक्षिका हैं। मोहना की पढाई दिल्ली के वायुसेना विद्यालय से हुई है। उन्होंने अमृतसर के ग्लोबल इन्स्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट एण्ड एमर्जिंग टेक्नोलाॅजी से इजीनियरिंग की है। उसके बाद मोहना ने वायुसेना की परीक्षा उत्तीर्ण की। फ्लाई हॉक जेट उड़ाने वाली मोहना पहली महिला फाइटर जेट पायलट बनी। पश्चिम बंगाल के कलाईकुंडा एयरफोर्स स्टेशन पर मोहना ने लड़ाकू विमान हॉक जेट को सफलतापूर्वक लैंड कराया। यह सफलता भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक नए अध्याय के रूप में जुड़ गया। मोहना को रोलर स्केटिंग करना पसन्द है। इसके अलावा उन्हें गायन और चित्रकारी में भी रूचि है। मोहना की ट्रेनिंग में कई सारे युद्धाभ्यास शामिल किए गए थे। इनमें रॉकेट की फायरिंग, गन और अधिक क्षमता वाले बम गिराना भी शामिल किया गया था। इसके अलावा कई एयरफोर्स स्तर के फ्लाइंग एक्सरसाइज कराए गए। मोहना सिंह को 500 घंटों से अधिक की उड़ान का अनुभव प्राप्त है, जिसमें 380 घंटे तो सिर्फ हाॅक एमके-132 जेट उड़ाने का अनुभव है। 

ऐसे उदाहरण समाज में महिलाओं की क्षमता पर उठने वाले सवालों के लिए जोरदार जवाब के रूप में आगे आते हैं। देश की बेटियों को प्रोत्साहित करते ये किस्से नारी शक्ति की परिभाषा को भी मजबूती देते हैं। तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पारिकर द्वारा 18 जून 2016 को अवनी चतुर्वेदी , भावना कंठ और मोहना सिंह को बतौर पहली भारतीय महिला फायटर पायलट नियुक्त किया गया। उसके बाद तो एक के बाद एक वे तीनों नए कीर्तिमान स्थापित करते चले गए। 9 मार्च 2020 को भारत की इन तीन पराक्रमी बेटियों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द द्वारा नारीशक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
Abhishek Abhishek, contributing writer on The Lokdoot, has interest over Tech, Auto and Aviation Sector. He's also fond of writing Features.