Russia- Ukraine Crisis: रूस-यूक्रेन संकट के बीच कीव में इस्कॉन मंदिर ने लोगों के लिए खोले मन्दिर के द्वार
यूक्रेन में तनाव बढ़ने पर इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) ने युद्धग्रस्त देश के लोगों के लिए मंदिर के दरवाजे खोल दिए हैं। इसके अतिरिक्त, इस्कॉन के सदस्यों ने घर आने वाले छात्रों के लिए ताजा भोजन और पानी उपलब्ध कराने के लिए भारतीय दूतावास के अनुरोध पर हंगरी में बड़े पैमाने पर खाद्य राहत प्रयास शुरू कर दिया है।
#RussiaUkraineConflict: यूक्रेन पर रूस के द्वारा किए जा रहे हमले लगातार जारी हैं। वहीं रूस की सेना यूक्रेन के शहरों तक पहुंच गई है। हवाई हमलों और सेना की गोलीबारी के चलते आम लोगों के लिय गंभीर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। ट्विटर पर वायरल वीडियो और तस्वीरों में, इस्कॉन के सदस्यों को यूक्रेन से हंगरी आए हुए भारतीय नागरिकों के लिए ताजा भोजन और पानी वितरित करते हुए भी देखा जा रहा है। कुछ रिपोर्टस में यह भी कहा गया है कि इस्कॉन जल्द ही आने वाले यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए इसका विस्तार करेगा।
कोलकाता इस्कॉन मंदिर के उपाध्यक्ष, राधारमण दास ने किया ट्वीट
कोलकाता इस्कॉन मंदिर के उपाध्यक्ष, राधारमण दास ने किया ट्वीट करते हुए लिखा “पूरे #यूक्रेन में हमारे इस्कॉन मंदिर जरूरतमंदों की सेवा के लिए तैयार हैं। हमारे मंदिरों में आपका स्वागत है।” उन्होंने आगे लिखा “यूक्रेन में इस्कॉन के 54 से अधिक मंदिर हैं और हमारे भक्त और मंदिर संकट में पड़े लोगों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं। सेवा के लिए हमारे दरवाजे खुले हैं। हरे कृष्णा!”
When life gives u lemons make lemonade. This is what Sanatan Dharma has taught these ISKCON devotees in Kiev. And they r applying what they have learnt in these difficult times.
Our ISKCON temples all over #Ukraine is ready to serve those in need. U r welcome at our temples. pic.twitter.com/Adovo5GmdC — Radharamn Das राधारमण दास (@RadharamnDas) February 26, 2022
मेघालय के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने भी किया ट्वीट
मेघालय के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने ट्वीट में लिखा, “इस्कॉन अपने मंदिरों के माध्यम से युद्धग्रस्त यूक्रेन की सेवा कर रहा है। एक प्रेरित व्यक्ति की भक्ति क्या कर सकती है! कोलकाता के तत्कालीन हैरिसन रोड में एक छोटे से खुदरा विक्रेता श्रीला एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद पूरी दुनिया में कृष्ण के नाम का प्रचार करने के लिए तैयार हैं।”
ISKCON serving war-torn Ukraine through their temples.
What the devotion of an inspired man can do!
Sreela A C Bhaktivedanta Swami Prabhupada,a tiny retailer in Kolkata’s then-Harrison Road set forth to preach the name of Krsna all over the world! pic.twitter.com/eKsdtzFayo — Tathagata Roy (@tathagata2) February 27, 2022
क्या है इस्कॉन का इतिहास
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस ( इस्कॉन ), जिसे बोलचाल की भाषा में हरे कृष्ण आंदोलन या हरे कृष्ण के रूप में जाना जाता है, एक गौड़ीय वैष्णव धार्मिक संगठन है। इस्कॉन की स्थापना साल 1966 में न्यूयॉर्क शहर में एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा की गई थी । इसकी मूल मान्यताएं हिंदू धर्मग्रंथों, विशेष रूप से भगवद गीता और भगवत पुराण , और गौड़ीय वैष्णव परंपरा पर आधारित हैं , जिसके अनुयायी 15वीं शताब्दी के अंत से भारत में हैं और अमेरिकी और यूरोपीय भक्त हैं। इस्कॉन कृष्ण को भगवान के सभी अवतारों के स्रोत के रूप में वर्णित करता है। इस प्रकार इस्कॉन के भक्त कृष्ण को भगवान के सर्वोच्च रूप, स्वयं भगवान के रूप में पूजते हैं, का अनुमान है कि कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में पूर्णकालिक रहने वाले एक हजार सक्रिय भक्त हैं और ब्रिटेन में उनकी वर्तमान सूची में 390 से अधिक भक्त हैं। भारत समेत नेपाल, यूरोप,बेल्जियम, उत्तर और दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया में भी इस्कॉन के केंद्र हैं।