निर्वाचन विधि विधेयक से होगा , फर्जीवाड़े का अंत और क्या नया है इस विधेयक में ?
मंगलवार को निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक , 2021 दोनो सदन से पारित हो गया । आइए जानते है किन लोगो के मतदान का अधिकार उनसे छीन जाएगा और फर्जीवाड़ा पर कैसे लगेगा अंकुश ?
सोमवार को लोकसभा से निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक , 2021 को भारी हंगामे के बीच , ध्वनिमत से मंजूरी मिल गई । वही मंगलवार को राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यो ने चर्चा की जिसके बाद बिल ध्वनिमत से पारित हो गया । सदन में इस विधेयक को पेश करते समय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने बताया कि आधार कार्ड को मतदाता पहचान पत्र व मतदाता सूची से जोड़ा जाएगा , जिससे मतदाता सूची में दोहराव व फर्जी मतदान को रोकने में सहायक मिलेगी ।
आगे उन्होंने बताया कि संविधान के अनुसार अब तक पूरे वर्ष में 1 जनवरी की तारीख को आधार बनाकर मतदाता सूची में नाम जुड़ता था , किंतु अब साल में 1 जनवरी , 1 अप्रैल , 1 जुलाई व 1 अक्टूबर को भी मतदाता सूची में नाम जोड़े जा सकेंगे । इसके लिए सरकार जनप्रतिनिधित्व अधिनियम ,1950 के सेक्शन 23 व जनप्रतिनिधित्व अधिनियम ,1951 में कुछ जरूरी बदलाव करने जा रही है ।
आगे उन्होंने बताया कि मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ा जाना स्वैच्छिक है , यह किसी भी प्रकार से कंपल्सरी नही है । बता दें कि पहले ही बैंक अकाउंट , पैन कार्ड , राशन कार्ड व पासपोर्ट को सरकार आधार कार्ड से लिंक कर चुकी है
विपक्ष का तर्क
निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक , 2021 के संबंध में विपक्ष के बड़े नेता अधि रंजन चौधरी ने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के फैसलों के खिलाफ है , इससे व्यक्ति के निजता के अधिकार का हनन होगा, जो उच्चतम न्यायालय ने पुत्तास्वामी बनाम भारत संघ में कहा है । इसके बाद उन्होंने इस बिल को पुनः विचार के लिए संसद की स्थायी सीमित को भेजने की मांग की ।
अन्य विपक्षी दलों ने भी इस विधेयक का विरोध किया , कांग्रेस के नेता अभय दुबे ने बताया कि इससे करोड़ों लोगो का चुनाव अधिकार छीन जाएगा और आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कई लोगो के चुनावी अधिकारों का हनन किया जाएगा । अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि आधार कार्ड तो नागरिकता का प्रमाण नही है , यह तो पते का प्रमाण है। अब जिन लोगो ने आधार कार्ड नहीं बनवाया वो भी मतदान से वंचित हो जाएंगे ।
सत्ता दल की बात
भाजपा के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने बताया कि विपक्ष इसलिए इस विधेयक का विरोध कर रहा है क्योंकी वह जानती है कि जब यह विधेयक कानून का रूप लेगा तब उनके पक्षधर रोहिंग्या और बांग्लादेशीयों का वोट उन्हें नहीं मिल पाएगा ।
अन्य भाजपा नेताओं ने बताया कि जिनकी मृत्यु हो गई है , उनके नाम पर भी वोट पड़ते है । इस कानून के बनने से हर प्रकार के फर्जीवाड़ों पर अंकुश लगेगा ।
सरकार के सामने बड़ी चुनौती
समाचार पत्र ( इंडियन एक्सप्रेस ) के लेख में एक महानुभाव लिखते है कि मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से लिंक कर फर्जीवाड़े पर रोक लगाने की बात की जा रही है, किंतु क्या फर्जी आधार कार्ड नहीं बन सकते? इसके इतर अब यह सरकार के सामने एक बड़ा सवाल बन गया है ।
बता दें कि पिछले साल UIDAI ( Unique Identification Authority of India ) ने हैदराबाद में हजारों फर्जी आधार कार्ड का खुलासा किया था ।