Hijab controversy: कर्नाटक हाई कोर्ट का अहम फैसला “इस्लाम में हिजाब अनिवार्य नहीं, स्कूल में नहीं चलेगा हिजाब”
आज मंगलवार को कर्नाटक हाई कोर्ट की तीन–सदस्यों की खंडपीठ ने अपना फैसला सुना दिया है। फैसला सुनाने के साथ–साथ हिजाब के समर्थन में दर्ज की गई 8 याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट का कहना है कि कोई भी छात्रा स्कूल की यूनिफॉर्म को पहनने से इंकार नहीं कर सकती है फिर चाहे वो सरकारी संस्थान हो या फिर प्राइवेट संस्थान।
हिजाब को लेकर 74 दिनों से चल रहे घमासान पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया है। मामले की सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और स्कूली छात्राएं यूनिफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकती हैं। इसके साथ ही, हाइकोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं की तरफ से कॉलेजों में हिजाब पहनने को लेकर इजाजत मांगने वाली 8 याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए दो मुख्य बातें कही है। पहला– “हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।” दूसरा– “स्कूल–कॉलेज के यूनिफॉर्म को पहनने से छात्राएं नहीं कर सकती मना।” इससे पहले, कर्नाटक के कई जिलों में धारा 144 लगाई गई थी, जिससे दंगा फसाद की परिस्थियों को पैदा होने से रोका जा सके।
हिजाब विवाद पर हाई कोर्ट का फैसला
कई दिनों से चल रहे हिजाब विवाद पर मंगलवार को कर्नाटक के तीन सदस्यों की खंडपीठ ने अपना फैसला सुना दिया है। फैसला सुनाने के साथ–साथ हिजाब के समर्थन में दर्ज की गई 8 याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट का कहना है कि कोई भी छात्रा स्कूल की यूनिफॉर्म को पहनने से इंकार नहीं कर सकती है, फिर चाहे वो सरकारी संस्थान हो या फिर प्राइवेट संस्थान। इस्लाम धर्म में हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं है, इस बात को कहते हुए कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
क्या है हिजाब विवाद का पूरा मामला
हिजाब विवाद की शुरुआत कर्नाटक के उडुपी से जनवरी के महीने में हुई थी। उडुपी में रहने वाली कुछ मुस्लिम छात्राएं वहीं के सरकारी कॉलेज में हिजाब पहनकर गई थीं, जिसके बाद कॉलेज प्रशासन ने उन्हें हिजाब पहनने से साफ मना कर दिया था। कॉलेज प्रशासन के मना करने के बावजूद छात्राओं ने उनकी बात नहीं मानी और हिजाब को अपना अधिकार बताते हुए कॉलेज में प्रवेश किया। मामला यहीं नहीं थमा और छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ विरोध मुकद्दमा दर्ज कर दिया तथा प्रेस कांफ्रेंस कर हिजाब को अपना अधिकार बताया। प्रेस कांफ्रेंस के उपरांत देश के अलग–अलग राज्यों से मुस्लिम छात्राओं एवं मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हिजाब का खूब समर्थन किया। वहीं इसे लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका भी दर्ज कराई गई। जिसके बाद हिजाब पर रोक लगाने का विरोध करते हुए मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।
किस आधार पर कोर्ट ने सुनाया अपना फैसला
कर्नाटक हाईकोर्ट ने चार सवालों के आधार पर अपना फैसला सुनाया है-
• पहला सवाल– क्या हिजाब पहनना इस्लाम धर्म की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा है?
कोर्ट का जवाब– हिजाब पहनना किसी भी प्रकार से इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।
• दूसरा सवाल– स्कूल या कॉलेजों के यूनिफॉर्म को पहनने से इंकार करना संस्थान के अधिकारों का उलंघन है?
कोर्ट का जवाब– कोई भी छात्र यूनिफॉर्म का उल्लंघन नहीं कर सकता।
• तीसरा सवाल– 5 फरवरी को राज्य सरकार द्वारा सुनाया गया फैसला स्पष्ट रूप से मनमाना है तथा अनुच्छेद 14 और 15 का उलंघन करता है?
कोर्ट का जवाब– याचिकाकर्ता ऐसा कोई भी तथ्य प्रस्तुत नहीं कर पाए जिससे कि फैसले को मनमाना करार दिया जा सके।
• चौथा सवाल– क्या कॉलेज के खिलाफ जांच की जानी चाहिए?
कोर्ट का जवाब– ऐसा कोई भी जांच का मामला नहीं बनता है।
हाई कोर्ट के फैसले के बाद की प्रतिक्रिया
15 मार्च, मंगलवार को कर्नाटक हाई कोर्ट में हिजाब विवाद पर एक अहम फैसला आना था। इसी कारण प्रशासन ने फैसला आने से पूर्व ही संपूर्ण राज्य भर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिए थें। फैसला आने के बाद गरमा–गर्मी का माहौल न बन जाए इसी कारण कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों जैसे कलबुर्गी, शिवामोगा, बेलगांव, बेंगलुरु, धारवाड़, गडग, दावनणगेरे, हासन और कोप्पल में धारा 144 लागू कर दी गई है। इन क्षेत्रों के सभी स्कूल और कॉलेज को बंद करने के साथ–साथ कोर्ट के जजों की भी सुरक्षा का इंतजाम कर दिया गया है।
क्या होता है हिजाब
हिजाब एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ पर्दा, लज्ज्या या फिर शर्म होता है। इस्लामी संस्कृति के अनुसार औरतों को अपने बाल एवं चेहरे को अपने पिता एवं पति के अलावा किसी भी गैर मर्द के सामने ढककर रखना चाहिए। साधारण तौर पर हिजाब एक कपड़े का टुकड़ा होता है। जिसका इस्तेमाल औरत अपने आप को पर्दे में रखने के लिए करती है।
इस्लामिक देशों जैसे इराक, ईरान, सऊदी अरब इत्यादि में मुस्लिम महिलाओं का हिजाब पहनना अनिवार्य है और यदि कोई महिला हिजाब नहीं पहनती है, तो वहां के मुस्लिम निवासी इसे धर्म की अवहेलना मानते हैं और उन औरतों को धमकी तक दे देते हैं।
किन देशों में हिजाब पहनने पर पाबंदी है
- फ्रांस दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां बुर्का और हिजाब पहनने पर पूर्ण रूप से पाबंदी है।
- वहीं चाड दुनिया का एक मात्र ऐसा देश है। जहां मुस्लिम बहुसंख्यक होने के बावजूद बुर्का और हिजाब पर रोक है।
- कांगो गणराज्य अफ्रीका की पहली ऐसी सरकार है जिसने बुर्का और हिजाब को गैरकानूनी घोषित कर दिया है।
- वर्ष 2011 में बेल्जियम ने भी बुर्का एवं हिजाब के उपयोग पर रोक लगाई थी।
- बुल्गारिया ने भी बुर्का निषेध कानून लाकर साल 2016 में सम्पूर्ण देश में इसके उपयोग पर पाबंदी लगा दी थी।
- अन्य देशों में डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड्, ऑस्ट्रिया और श्रीलंका भी बुर्का और हिजाब के उपयोग पर पाबंदी लगाने वाले देशों की सूची में शामिल हैं।