भड़काऊ भाषणों का सिलसिला लगातार जारी, सरकार की चुप्पी धर्मनिरपेक्षता पर पड़ रही भारी
हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर को आयोजित धर्म संसद में हिंदुत्व को लेकर साधु-संतों के विवादित भाषणों के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं। उसके कुछ ही दिनों बाद छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में भी ऐसी ही विवादित बयानबाजी सुनने को मिली है।
लंबे समय से सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयानबाज़ी का मौसम चल रहा है, हर दिन नए नए लोगों के विवादित बयान जनसभाओं , ट्विटर आदि माध्यमों द्वारा सामने आ रहे हैं। हाल ही में हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर को आयोजित धर्म संसद में हिंदुत्व को लेकर साधु-संतों के विवादित भाषणों के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं। उसके कुछ ही दिनों बाद छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में भी ऐसी ही विवादित बयानबाजी सुनने को मिली है। हमारे सेलिब्रिटी भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। इस मामले में नसीरुद्दीन शाह का भी एक बयान आया है जिसमें उन्होंने कहा "मुसलमानों को चाहे जितना डरा लो वो डरने वाले नही हैं"। ऐसे में भारत जैसे सहिष्णुता वाले देश में इस तरह की बयानबाज़ी हमारे देश कि एकता, अखण्डता और सम्प्रभुता के लिए खतरा हो सकती है।
हरिद्वार में हुए धर्म संसद के इन वीडियो में धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने, मुस्लिम प्रधानमंत्री न बनने देने, मुस्लिम आबादी न बढ़ने देने समेत धर्म की रक्षा के नाम पर विवादित भाषण देते हुए साधु-संत दिखाई देखे गए हैं। वहीं कुछ महिला संत भी कॉपी-किताब रखने और हाथ में शस्त्र उठाने जैसी बात कहती हुई नज़र आई थी।
इस वीडियो के वायरल होने के कई घंटे बाद तक पुलिस प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई जिसके चलते ज़िला प्रशासन पर सवाल भी उठाए गए। हालांकि गुरुवार को देहरादून में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की बैठक हुई। जिसमें हरिद्वार के एसएसपी डॉ. योगेंद्र सिंह रावत भी शामिल हुए। इस बैठक के बाद, वायरल वीडियो की चर्चा पर राज्य के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि उन्होंने एसएसपी हरिद्वार को इस मामले पर क़ानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जिसके बाद आईपीसी की धारा 153ए के तहत पुलिस द्वारा मामला दर्ज कर लिया गया। देरी से मामला दर्ज होने की वजहों पर उन्होंने कहा, "दोपहर में मामला संज्ञान में आया और उसके बाद क़ानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।"
उत्तराखंड पुलिस ने ट्विटर पर एक बयान में कहा, "सोशल मीडिया पर धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर नफरत फैलाने संबंधी वायरल हो रहे वीडियो का संज्ञान लेते हुए वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी एवं अन्य के विरुद्ध कोतवाली हरिद्वार में धारा 153A IPC के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया गया है और विधिक कार्यवाही प्रचलित है।"
धर्म संसद में भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और ग़ाज़ियाबाद के साधु यति नरसिंहानंद सरस्वती, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और दक्षिणवादी संगठन हिंदू रक्षा सेना के स्वामी प्रबोधानंद, निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर मां अन्नपूर्णा समेत धर्म संसद के आयोजक पंडित अधीर कौशिक समेत हज़ार से अधिक महामंडलेश्वर, महंत, साधु-संत जुटे थे। जूना, निरंजनी, महानिर्वाणी समेत हरिद्वार के सभी प्रमुख अखाड़े इसमें शामिल रहे। ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस कार्यक्रम के आयोजन के समय बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा भी उस वक़्त राज्य में मौजूद थे। बता दें कि 18 दिसंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हरिद्वार में विजय संकल्प यात्रा शुरू करने के लिए मौजूद थे। उनके साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी कार्यक्रम में मौजूद थे। कौशिक हरिद्वार से विधायक हैं। हालांकि इस मामले में वह इस पूरे घटनाक्रम से खुद को अनजान बताते हैं।
धर्म संसद में भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय इस आयोजन में 'भगवा संविधान' लेकर आए और कहा, "हिंदुस्तान में, हिंदी भाषा में, भगवा रंग में, संविधान हमें विशेष रूप से बनवाना पड़ रहा है, ये शर्म की बात है।"
उसी धर्म ससंद में एक और साधु प्रबोधानंद गिरि दावा करते नज़र आए कि "हिंदुओं पर हमले बढ़ रहे हैं और हरिद्वार में मुस्लिम आबादी का दबदबा बढ़ रहा है। अगर हिंदुओं पर कोई हमला होता है तो हम आत्मरक्षा के लिए शस्त्र उठा सकते हैं।" लेकिन वो अपने इस दावों के पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं कर पाए।
विवादित बयानों की इसी कड़ी में एक और विवादित बयान चर्चा में रहा, जिसमें एक वरिष्ठ साधु ने कहां "धर्म संसद में प्रस्ताव रखा गया है कि जो हिंदू युवा ग़लत नीतियों के कारण फंसाए जाते हैं, उनके परिवार की रक्षा के लिए और उनकी ज़मानत कराने के लिए हम हर संभव मदद करेंगे। हमसे दो बच्चे पैदा करने की बात कही जाती है और उनके(मुसलमान) 12-20-40 तक बच्चे पैदा होते हैं। जनसंख्या नियंत्रण क़ानून सख्ती से लागू किया जाए।"
अगली धर्म संसद की हो रही है तैयारी
पंडित अधीर के मुताबिक़, अप्रैल-मई में मथुरा के वृंदावन में अगली धर्म संसद की तैयारी चल रही है। जिसका आयोजन हरिद्वार से भी भव्य होगा और लाखों की संख्या में लोग आएंगे। अगले साल पांच राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी फरवरी-मार्च तक विधानसभा चुनाव होने हैं। कुछ जानकार मानते हैं कि यह सबकुछ चुनाव से पहले की रणनीति है।
भड़काऊ बयान पर कार्रवाई की हुई मांग
कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने ट्वीट करके इस सभा पर और यहां दिए गए लोगों के बयानों पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने ट्वीट कर कहा- "मुनव्वर फ़ारूक़ी को उनके कथित चुटकुलों के लिए दंडित किया गया लेकिन 'धर्म संसद' के सदस्यों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं।"
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने भी इस तरह के भड़काऊ भाषण पर कड़ी निंदा की उन्होंने कहा "युवाओं के लिए रोज़गार मांगने की बजाय, महंगाई के मुद्दे पर धर्म संसद करने के बजाय ये मुठ्ठी भर लोग जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं। ठीक चुनाव से पहले हिंदुस्तान, पाकिस्तान, मुसलमान, यही सब इनका एजेंडा रह जाता है। कोविड महामारी के समय जब गंगा में लाशें तैर रही थीं तो उसमें हिंदू-मुस्लिम सभी थे। उस वक्त हिंदू धर्म के रक्षक कहे जाने वाले दाह संस्कार के लिए क्यों नहीं आए। इस तरह की मानसिकता वाले लोग देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।"
दसौनी का कहना है कि जो बयान दिए गए वे भड़काऊ थे और अदालत तथा पुलिस को इस पर स्वत: संज्ञान लेना चाहिए।