Hindi Diwas 2021: पहचान के रूप में स्थापित होती हिंदी
भारत विश्व का एक ऐसा देश है, जहां सर्वाधिक विविधता पायी जाती है। हमारे देश में विभिन्न-विभिन्न धर्म, संस्कृति, भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं। ये सभी लोग एकता में विश्वास रखते हैं।
भारत विश्व का एक ऐसा देश है, जहां सर्वाधिक विविधता पायी जाती है। हमारे देश में विभिन्न-विभिन्न धर्म, संस्कृति, भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं। ये सभी लोग एकता में विश्वास रखते हैं। भारत में प्रत्येक वर्ष हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है जिसकी स्वीकृति 14 सितंबर 1949 को ही मिल गई थी। हिंदी भाषा का उदय हिंदुस्तान में ही हुआ है यह भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा तथा दुनिया में चौथे नंबर पर सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है।
भाषा ही नहीं वरन् पहचान के रुप में हिंदी:
एक हिंदुस्तानी होने के कारण और हिंदी की यही उपज होने के कारण हिंदी न सिर्फ हमारी भाषा है बल्कि हमारी पहचान भी है। अंग्रेजी अथवा कोई अन्य भाषा सीखने के लिए प्रत्येक शख्स को शिक्षा अर्जित कर उसे सीखने की जरूरत पड़ती है लेकिन वहीं हिंदी की बात करें तो देश के अधिकांश लोग जिनमें कृषि व मजदूरों की संख्या ज्यादा है उनकी बोलचाल की भाषा हिंदी ही है।
हिंदी भाषा से भावनात्मक जुड़ाव:
हिंदी, भारतीयों की भावना से जुड़ी हुई है। हिंदी भाषा प्रत्येक मनुष्य की दिल धड़कन बनकर धड़कती है। हिंदी हमारी परम्पराओं, रीति रिवाज आदि से जुड़ी हुई है। जैसे सम्मान देने या लेने के लिए आज भी नमस्ते शब्द का ही प्रयोग करते हैं।
एकता में पिरोने वाली भाषा:
हिंदी संपूर्ण भारतीयों को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य करती है। हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि आज तकनीकी क्षेत्र में अंग्रेजी के अत्यधिक प्रयोग से युवाओं की पहुंच हिंदी से धीरे-धीरे दूर हो रही है, लेकिन फिर भी व्यक्ति अपने निजी जीवन में हिंदी भाषा का उपयोग करने के कारण ही मानवीय एकता बनाकर रखे हुए हैं।
हिंदी हमारे समाज की नींव है और यही शहर व गांव के लोगों को जोड़ने वाली कड़ी भी है। व्यक्ति के जुड़ने से परिवार बनता है, परिवार के जुड़ने से समाज और संपूर्ण समाज के जुड़ने से ही देश बनता है और इसी से देश का विकास होता है।
हमारे देश में सर्वाधिक मात्रा में बोली जाने वाली भाषा हमारी राजभाषा हिंदी ही हमें वर्तमान में एकता के सूत्र में पिरोए हुए है।
विडंबना है की राजभाषा होने के बावजूद भी हिंदी संकट:
बहुत ही दुःखद बात है कि जिस भाषा से हमारा अस्तित्व है आज वही अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है कुछ उच्च तबके या अंग्रेजीभाषी लोग हिंदी बोलने वाले लोगों को हेय की दृष्टि से देखते हैं।
भारत में जितनी भी क्षेत्रीय भाषाएं बोली जाती हैं उसकी जननी हिंदी ही है। हिंदी मूलतः संस्कृत से उपजी भाषा है। जिस प्रकार संस्कृति जिससे हमारी सभ्यता की शुरुआत हुई थी धीरे-धीरे वह विलुप्त होने की कगार पर है, उसी प्रकार हिंदी के अस्तित्व पर भी संकट मंडराने लगा है। इंटरमीडिएट के बाद जितने भी व्यवसायिक पाठ्यक्रम हैं वे सभी अंग्रेजी भाषा में ही हैं। जिसके कारण कई छात्रों को मजबूरीवश अंग्रेजी की ओर रुख करना पड़ता है और हिंदी भाषियों को व्यवसायिक पाठ्यक्रमों से दूरी बनानी पड़ती है।
हिंदी के पतन का जिम्मेदार कौन?
अगर हिंदी के पतन का कारण हम खुद को माने तो गलत नहीं होगा और इसके जिम्मेदार हम खुद ही हैं। हिंदी दिवस आते ही हमें अंग्रेजी के बढ़ते औहदे और वर्चस्व की चिंता सताने लगती है। हम 1,2 आयोजन कर लेते है भाषण व निबंध लिख लेते हैं फिर हिंदी दिवस जाते ही हम उसके महत्व के बारे में भूल जाते हैं और हिंदी दिवस के जाने के साथ ही उसे सम्मान देना भूल जाते हैं।
लेकीन अपनी प्यारी राजभाषा को हम फिर से विकास की ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं, क्योंकि अभी इतनी भी देर नहीं हुई है। अगर हम अपने आस-पास झांके तो सभी देश अपनी भाषा का प्रचार-प्रसार करते रहते हैं और उसे ही सर्वोपरि रखते हैं। ऐसे में हमें भी थोड़ी सावधानी बरतकर अपनी भाषा का फक्र के साथ प्रयोग करना चाहिए व सम्मान देने व दिलाने की कोशिश करनी चाहिए।
हिंदी को सम्मान कैसे दें:
वर्तमान में हमें देखने को मिलता है कि इंटरनेट, यूट्यूब इत्यादि पर हिन्दी को बहुत ही विकृत रूप में पेश कर दिया जाता है। हमें इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए कि हिंदी लिखते समय हम सही व्याकरण का प्रयोग करें, वाक्य विन्यास की गड़बड़ी ना करें, मात्रा का सही उपयोग करें। कई बार हम अपनी दुकान चलाने के चक्कर में हिंदी भाषा का मजाक बनाने की हिमाकत करते हैं, जिससे लोगों के बीच हिंदी के प्रति विश्वास घट जाता है। दुकान चलाने वाले लोगों से मेरा आशय है उन वेबसाइट के मालिकों व यूट्यूबर से जो अपने वीडियो को आकर्षित व सनसनीखेज बनाने के लिए कुछ भी सामग्री डालते जाते हैं। हिंदी का मजाक बनाने की बजाए, हिंदी के बारे में ज्ञानार्जन व इसका व्यवहारिक प्रयोग कर हम इसे सम्मान दे सकते हैं।
सिनेमा का हिंदी के लिए योगदान:
हिंदी अधिकांश क्षेत्रों में जहां धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है वहीं सिनेमा जगत हिंदी को अपने सिर आंखों पर बिठाए हुए है। ऐसा कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि सिनेमा जगत में लाखों की संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है। बॉलीवुड में कई हिंदी फिल्में बनाई जाती हैं, जो विदेशों में धूम मचाती हैं और निस्संदेह यह हिंदी का प्रचार करती हैं। धारावाहिक, वेब सीरीज सभी हिंदी भाषियों को बढ़ावा देते हैं। सिनेमा जगत का यह योगदान निश्चित तौर पर हिंदी प्रेमियों को थोड़ा तिहा अर्थात शांति प्रदान करता है।
हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कुछ सराहनीय प्रयास:
अभी हाल फिलहाल में बीएचयू द्वारा इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम को हिंदी में पढ़ाए जाने के प्रयास को इस दिशा में सकारात्मक प्रयास के रूप में देखा जा सकता है।