‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट में दावा, पेगासस को भारत ने इजरायल से डिफेंस डील में खरीदा

रिपोर्ट के अनुसार, भारत के प्रधानमंत्री पीएम नरेंद्र मोदी जब साल 2017 में इजराइल के दौरे पर गए थे, तो उनके और उस समय के इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के रिश्तों में काफी गर्मजोशी देखने को मिली थी।

January 29, 2022 - 17:52
January 30, 2022 - 02:56
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‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट में दावा, पेगासस को भारत ने इजरायल से डिफेंस डील में खरीदा
पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर को भारत ने इजरायल से डिफेंस डील में खरीदा- फोटो: gettyimages

जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus) को लेकर कुछ सालों से भारत सरकार और विपक्षी पार्टियों में काफी विवाद होता रहा है। अब इस मामले को लेकर अमेरिका के ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ (NYT) अखबार ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार ने इजरायल से साल 2017 में एक डिफेंस डील की थी, जिसमें मिसाइल सिस्टम के अलावा पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर को 2 अरब डॉलर (लगभग 15 हजार करोड़ रुपए) में खरीदा था।

पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर डील पर ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस केंद्र सरकार पर आक्रामक है। कांग्रेस की तरफ से कहा जा रहा है कि पीएमओ को इस रिपोर्ट पर जवाब देना चाहिए। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, श्रीनिवास बीवी, शक्ति सिंह गोहिल, कार्ति चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा है कि इस रिपोर्ट से पता चलता है कि सरकार ने जनता के पैसे से पत्रकारों और नेताओं की जासूसी करने के लिए पेगासस स्पाईवेयर खरीदा है।

भारत और इजराइल के बीच कैसे हुईं पेगासस को लेकर डील ?

रिपोर्ट के अनुसार, भारत के प्रधानमंत्री पीएम नरेंद्र मोदी जब साल 2017 में इजराइल के दौरे पर गए थे, तो उनके और उस समय के इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के रिश्तों में काफी गर्मजोशी देखने को मिली थी। इसी दौरे के दौरान भारत ने इजराइल के साथ लगभग 15 हजार करोड़ रुपये की डिफेंस डील की थी। जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस को भी इसी डील का एक हिस्सा माना गया था। इस डिफेंस डील के कुछ ही महीनों बाद इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भारत का दौरा किया था, आमतौर पर देखा गया है कि इजराइली पीएम भारत के दौरे पर कम ही आए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, पेगासस डील के बदले में भारत ने पहली बार इजराइल – फिलीस्तीन विवाद में इजराइल का पक्ष लेते हुए जून 2019 में संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा परिषद में फिलीस्तीन के विरोध में मतदान किया था। यह मतदान फिलीस्तीन को मानवाधिकार संगठन के पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त करने से रोकने के लिए किया था। यह भारतीय इतिहास में पहली बार हुआ था, जब भारत ने इस्राइल और फलस्तीन के बीच किसी एक देश को इतनी प्राथमिकता दी हो।

पेगासस जैसी जासूसी डील पर दोनों देश नहीं दे रहे सहमति

‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ (NYT) अखबार की रिपोर्ट आने के बाद भी भारत सरकार के अनुसार उसने ना तो पेगासस सॉफ्टवेयर इजरायल से खरीदा है और ना ही भारत में किसी व्यक्ति पर इस्तेमाल किया है। दूसरी तरफ इजरायली सरकार का भी कहना है कि उसने भारत को यह जासूसी सॉफ्टवेयर नहीं बेचा है।

पेगासस एक काफी खतरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर होता है, जिसे इजराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी (NSO Group Technology) ने बनाया है। कंपनी की वेबसाइट पर लिखा है कि पेगासस को सिर्फ सरकारों को ही बेचा जाता है, जिसकी कीमत अरबों रुपए में होती है।

सबसे पहले साल 2019 में हुई थी पेगासस पर चर्चा

न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ के अनुसार भारत सरकार ने साल 2017 से 2019 के बीच पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर की मदद से लगभग 300 लोगों की जासूसी की थी। जिसमें पत्रकार, वकील, मानवाधिकार कार्यकर्ता, व्यापारी और विपक्ष के कई नेता शामिल थे।

जुलाई 2021 में मीडिया समूहों के एक कंसोर्शियम ने खुलासा किया था कि इस स्पाईवेयर सा जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल दुनिया भर के कई देशों के मशहूर पत्रकारों और व्यापारियों की जासूसी के लिए हो रहा है। भारत में भी इसके द्वारा कई नेताओं और बड़े नामों की जासूसी की बात कही गई थी।

राहुल गांधी के अलावा कई चर्चित नामों की जासूसी का आरोप

रिपोर्ट्स के अनुसार पेगासस की मदद से देश में जिन प्रमुख लोगों के फोन की पेगासस के जरिए जासूसी की गई है, उनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, तीन विपक्ष के बड़े नेता, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर, पूर्व चुनाव आयोग के सदस्य अशोक लवासा, वायरोलॉजिस्ट गगनदीप कांग , केंद्र सरकार के नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल सहित कश्मीर के अलगवादी नेता, सिख कार्यकर्ताओं और 40 पत्रकारों के नंबर शामिल हैं। वहीं पेगासस के शिकार व्यक्तियों के फोन के वॉट्सऐप समेत अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों को हैक किए जाने का भी आरोप लगा था।

पेगासस को लेकर आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव का बयान

केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए भारतीयों की जासूसी करने संबंधित खबरों को खारिज करते हुए, 18 जुलाई 2021 को कहा था कि, “मैं प्रमुखता से बताना चाहता हूं कि NSO Group द्वारा भी साफ तौर पर कहा गया है कि,पेगासस का इस्तेमाल करने वाले देशों की सूची गलत है और लिस्ट में शामिल कई देश हमारे ग्राहक भी नहीं हैं। NSO Group ने यह भी कहा कि उसके ज्यादातर ग्राहक पश्चिमी देशों से हैं। इससे स्पष्ट होता है कि एनएसओ ने भी भारत में पेगासस की रिपोर्ट के दावों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है।

पेगासस किसी भी फोन को कर सकता है हैक

पेगासस साफ्टवेयर को बनाने वाली कंपनी का दावा है कि उसका ये जासूसी सॉफ्टवेयर वो काम कर सकता है, जो आमतौर पर न कोई प्राइवेट कंपनी और न ही कोई खुफिया एजेंसी कर सकती है। कंपनी का दावा है कि पेगासस बहुत ही भरोसेमंद तरीके से लगातार किसी भी आईफोन या एंड्रॉयड स्मार्टफोन की सुरक्षा को हैक करके उसकी जासूस कर सकता है।

पेगासस स्पाइवेयर के काम करने का तरीका

पेगासस स्पाइवेयर या साफ्टवेयर किसी भी आईफोन और एंड्रॉयड डिवाइस को टारगेट कर सकता हैं। पेगासस को किसी भी फोन या किसी अन्य डिवाइस में दूर बैठकर ही आसानी से इंस्टॉल किया जा सकता है या फिर केवल एक मिस्ड कॉल करके भी आपके फोन में पेगासस को इंस्टॉल किया जा सकता हैं। इतना ही नहीं पेगासस को वॉट्सऐप मैसेज, टेक्स्ट मैसेज , SMS और सोशल मीडिया के द्वारा भी आपके फोन में आसानी से इंस्टॉल किया जा सकता है और आपको पता भी नहीं चलेगा।

पेगासस ‘जीरो क्लिक‘ सॉफ्टवेयर वर्जन है, यानी कि इसे अन्य हैकिंग सॉफ्टवेयर की तरह आपके फोन को हैक करने के लिए किसी यूजर के किसी लिंक या अटैचमेंट पर क्लिक की जरूरत नहीं पड़ती है। यह साफ्टवेयर फोन में इंस्टॉल होते ही कुछ ही मिनटों में आपके फोन के सारे ईमेल, सभी तस्वीरें, हर मैसेज और सारे पर्सनल कॉन्टैक्ट नंबर के अलावा अन्य डेटा चुरा लेता है। पेगासस स्पाइवेयर की मदद से किसी भी फोन की लोकेशन से लेकर उसके कैमरे और माइक्रोफोन तक को भी कंट्रोल किया जा सकता है।

NSO दुनिया भर की सरकारों को बेचता है सॉफ्टवेयर पेगासस

NYT की रिपोर्ट के मुताबिक जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस को बनाने वाली इजराइली कम्पनी NSO पिछले 10 वर्षों से अपने जासूसी सॉफ्टवेयर  को दुनिया भर की सरकारों और खुफिया एजेंसियों को बेचती रही है। कंपनी के अनुसार, वह इस सॉफ्टवेयर को अब तक दुनिया के 40 देशों में 60 सरकारी कर्मचारियों को बेच चुकी है।

  • NYT की रिपोर्ट के अनुसार, इजराइल की डिफेंस मिनिस्ट्री ने भारत, पोलैंड, हंगरी समेत कई अन्य देशों में जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के उपयोग करने की अनुमति दी थी।
  • NYT रिपोर्ट के अनुसार, पेगासस स्पाइवेयर को दुनिया भर की सरकारें गुपचुप तरीके से जासूसी करने के लिए उपयोग करती रही हैं। जैसे मैक्सिको ने इसका उपयोग न केवल गैंगस्टर पर नजर रखने बल्कि बड़े पत्रकारों और सरकार विरोधियों की जासूसी के लिए भी किया गया था।
  • यहां तक कि यूएई ने भी इस जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए उन नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं लोगों की जासूसी की, जिन्हें सरकार ने जेल में बंद किया था।
  • सऊदी अरब ने भी पेगासस के द्वारा वीमेंस राइट्स एक्टिविस्ट और वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की जासूसी के लिए किया था। सऊदी अरब सरकार के एक इशारे पर इस्तांबुल 2018 में खाशोगी की हत्या हो गई थी।

पेगासस साफ्टवेयर के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट कर रही जांच

पेगासस के जरिए जासूसी के मामले की जांच में 27 अक्टूबर 2021 को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक एक्सपर्ट कमेटी को नियुक्त किया था। जिसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आर.वी. रवींद्रन थे। इनकी सहायता के लिए पूर्व आईपीएस अधिकारी आलोक जोशी और अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन/अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रो-तकनीकी आयोग/ संयुक्त तकनीकी समिति में उप समिति के अध्यक्ष डॉ. संदीप ओबेरॉय भी शामिल हैं।

कमेटी ने पेगासस से प्रभावितों को कमेटी से 7 जनवरी 2022 तक संपर्क करने को कहा था। कमेटी का गठन करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर किसी की गोपनीयता की रक्षा होनी चाहिए। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा था कि केंद्र ने अपने जवाब में पेगासस के इस्तेमाल से इनकार नहीं किया है। इसलिए हमारे पास याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकार करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के समय केंद्र सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा के तर्क की निंदा करते हुए कहा कि, केंद्र हर मुद्दे को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर आरोपों से मुक्त नहीं हो सकता है।