Brahmos Deal: भारत ने बढ़ाया ब्रह्मोस मिसाइल के निर्यातक के रूप में और एक कदम
खबरों के मुताबिक भारत को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज का पहला विदेशी ऑर्डर फिलीपींस नौसेना के द्वारा दिया गया है। यानी भारत के लिए फिलीपींस पहला ऐसा देश होगा जिसे भारत ब्रह्मोस मिसाइल बेचेगा।
आपने भारत की ब्रह्मोस मिसाइल के विषय में तो सुना ही होगा जिसे सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल के रूप में जाना जाता है। अभी भारत ने इस मिसाइल पर एक निर्णायक फैसला लिया है जिसके तहत भारत अब ब्रह्मोस मिसाइल की बिक्री कर सुरक्षा की दृष्टि में निर्यातक देश बनकर उभरेगा। इससे पहले दुनियाभर में भारत को शस्त्रों के मामले में सबसे बड़े आयातक देश के रूप में जाना जाता रहा है, इसी को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया है। यह भी बता दें कि भारत इस मिसाइल को रूस की सहायता से बनाता आ रहा है।
ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर भारत और फिलीपींस के बीच सौदा
खबरों के मुताबिक भारत को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज का पहला विदेशी ऑर्डर फिलीपींस नौसेना के द्वारा दिया गया है। यानी भारत के लिए फिलीपींस पहला ऐसा देश होगा जिसे भारत ब्रह्मोस मिसाइल बेचेगा। भारत की ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद को लेकर फिलीपींस ने भारत के साथ 37.50 करोड़ डॉलर यानी 2,812 करोड़ रूपये का सौदा सुनिश्चित किया है। यह सौदा फिलीपींस के क्विज़ोन सिटी में राष्ट्रीय रक्षा विभाग के द्वारा किए गए एक कार्यक्रम के दौरान हुआ। इस सौदे पर हस्ताक्षर के समय ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंडिया के सीईओ अतुल डी राणे, डिप्टी सीईओ संजीव जोशी, ले. कर्नल आर. नेगी एवम प्रवीण पाठक शामिल थे यानी इस सौदे के समय इन सबकी उपस्थिति थी। इस सौदे में तीन बैटरी की डिलीवरी, ऑपरेटरों एवं रखरखाव के लिए दी जाने वाली ट्रेनिंग जैसा समर्थन पैकेज भी शामिल हैं। ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल के सौदे की परिकल्पना 2017 में ही कर ली गई थी और फिलीपींस के राष्ट्रपति कार्यालय से साल 2020 में ही सेना की ‘Horizon 2 Priority Projects’ में इसे शामिल कर लिया गया था तथा मंजूरी भी दे दी गई थी।
क्या है ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस मिसाइल ध्वनि की तेज रफ्तार से तीन गुना तेज गति से यानी 4321 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हमला कर सकती है। यह मिसाइल भारतीय सेना द्वारा उपयोग की जाने वाली सबसे ताकतवर मिसाइल हथियारों में से एक है। इस मिसाइल को पहले से ही सशस्त्र बलों में शामिल किया गया है। इसका उपयोग वायु सेना के साथ-साथ नौसेना द्वारा विभिन्न प्रकार से भी किया जाता है। ब्रह्मोस मिसाइल को पनडुब्बियों, जहाजों, विमानों या भूमि प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है।
दुनिया में सबसे ताकतवर और भारत की सबसे खतरनाक मिसाइल है 'ब्रह्मोस'
ब्रह्मोस मिसाइल 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर 30 किलोमीटर की दूरी पर उड़ते हुए किसी भी लड़ाकू विमान को निशाना बना सकती है। इसके अलावा ब्रह्मोस को सबसे ज्यादा खतरनाक इसलिए भी बताया जा रहा है क्योंकि यह अमेरिका की टॉम हॉक मिसाइल से लगभग दोगुनी तेजी से हमला कर सकती है। इसकी यही क्षमता इसे दुनिया का सबसे मारक प्रक्षेपास्त्र वाली मिसाइल बनाती है। यह भी बता दें कि टॉमहॉक क्रूज मिसाइल को अमेरिकी शस्त्रागार के अच्छे हथियारों में शामिल किया जाता रहा है, जिससे बड़े-बड़े दुश्मन भी डरते हैं। हालांकी भारत और रूस द्वारा मिलकर बनाई गई इस मिसाइल को ब्रह्मोस मिसाइल के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा भारत के पास पृथ्वी मिसाइल , अग्नि मिसाइल , धनुष मिसाइल, शौर्य मिसाइल, सागरिका मिसाइल, निर्भय मिसाइल, मोक्षित मिसाइल, आकाश मिसाइल, प्रहार मिसाइल तथा सूर्या मिसाइल जैसी शक्तिशाली मिसाइलें भी हैं।
ब्रह्मोस मिसाइल किसके लिए है खतरा
यह भी बताया जा रहा है कि यह रक्षा सौदा चीन के लिए एक खतरे के समान बताया जा रहा है क्योंकि फिलीपींस का दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ विवाद चल रहा है। इस मिसाइल का उपयोग फिलीपींस नौसेना तट आधारित एंटी - शिप मिसाइल के रूप में करेगा। यदि दक्षिण चीन सागर के विषय में बातचीत की जाए तो यह क्षेत्र उन क्षेत्रों में आता है जहाँ फिलिपिंस नौसेना द्वारा मिसाइल को तैनात किया जा सकता है।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की रक्षा दृष्टि के अनुसार निर्यात में वृद्धि हुई है, जो साल 2014-15 में 1,940.64 करोड़ रुपये से बढ़कर 8,434.84 करोड़ रुपये हो गया है। बता दें कि भारतीय रक्षा मंत्रालय ने दिसंबर 2021 में संसद में एक प्रश्न पूछे जाने पर उक्त जानकारी दी थी। वहीं फिलहाल निर्यात में हुई वृद्धि तो महत्वपूर्ण है ही, उसी के साथ फिलीपींस के साथ किया गया ब्रह्मोस सौदा प्रमुख सैन्य मंच के सन्दर्भ में एक अच्छी पहल भी है।