बिजली संकट से जूझ रहा है भारत, देश के 137 में से 115 पावर प्लांट के पास नहीं है कोयला

भारत के अधिकतम राज्यों में कोयले की कमी के कारण भारी बिजली संकट उत्पन्न होने का दावा किया जा रहा है। जिसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा नकारते हुए सिरे से खारिज कर दिया है।

Oct 12, 2021 - 18:53
December 12, 2021 - 00:00
 0
बिजली संकट से जूझ रहा है भारत, देश के 137 में से 115 पावर प्लांट के पास नहीं है कोयला
Image Source -Lokmat English

भारत के अधिकतम राज्यों में कोयले की कमी के कारण भारी बिजली संकट उत्पन्न होने का दावा किया जा रहा है। जिसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा नकारते हुए सिरे से खारिज कर दिया है। ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि, क्या सच में बिजली का संकट उत्पन्न होने वाला है या फिर विपक्षी दलों द्वारा कोई भ्रम फैलाया जा रहा है।
आइए इसे मौजूदा कोयला भंडार से समझते हैं कि किस राज्य के कितने पावर प्लांट्स के पास कोयला पर्याप्त मात्रा में हैं या किसके पास कोयले की कितनी किल्लत है।

115 पावर प्लांट खाली होने की कगार पर :

देश में कोयला द्वारा बिजली निर्मित करने वाले पावर प्लांट्स की स्थिति के ताजा आंकड़े जो सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी द्वारा जारी किए गए हैं, उनके अनुसार भारत के 135 में से 115 संयंत्र कोयले की किल्लत से ग्रस्त हैं। अथॉरिटी के द्वारा 10 अक्टूबर तक बिजली संयंत्रों पर कोयले की स्थिति को लेकर यह रिपोर्ट जारी की गई है। जिससे पता चलता है कि देश के 135 में से 115 पावर प्लांट कोयले की आपूर्ति से जूझ रहे हैं।

सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार देश के 17 पावर प्लांट्स के पास 1 दिन का पर्याप्त स्टॉक भी मौजूद नहीं है, तो वहीं 26 संयंत्रों के पास महज 2 दिन का कोयला है। बाकि बचे संयंत्रों के पास किसी के पास 2 दिन का तो किसी के पास महज 3 से 4 दिन का ही कोयला बचा है। इसी तरह देश के 11 पावर प्लांटस के पास 5 दिन की आपूर्ति है तो 8 संयंत्रों के पास सिर्फ 6 दिन का कोयला बचा हुआ है।


यूपी तथा हरियाणा के संयंत्रों की भी है खस्ता हालत:

ताजा आंकड़ों के अनुसार हरियाणा के 5 संयंत्रों में से 4 के पास 1 दिन का भी पर्याप्त स्टॉक नहीं है। जबकि एक पावर प्लांट से 3 दिन की पूर्ति हो सकती है। जबकि उत्तर प्रदेश के 19 संयंत्रों में से 3 पूर्ण रूप से खाली हो चुके हैं। वहीं अगर अभी तक चल रहे संयंत्रों की बात की जाए तो 5 संयंत्रों में 1 दिन का, 5 में 2 दिन का, 3 में 3 दिन का, एक में 5 दिन की आपूर्ति एक में 6 दिन की तथा एक के द्वारा 8 दिन की आपूर्ति ही संभव है।

दिल्ली तथा पंजाब भी हैं बेहाल: पंजाब में बने 5 संयंत्रों में से एक रिक्त हो चूका है जबकि दो पावर प्लांट्स में 2 दिन का कोयला बाकी । बाकी बचे 2 में से एक में केवल 4 दिन का तथा एक से 7 दिन की आपूर्ति हो सकती है।
कुछ इसी तरह राजस्थान का भी यही हाल है जहां राज्य के 4 पावर प्लांट में से एक खाली पड़ा है, जबकि एक में 4 दिन का तथा एक के पास 5 दिन का कोयला बचा हुआ है तथा एक पावर प्लांट केवल 1 दिन की ही पूर्ति कर पाने में सक्षम है।


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 9 अक्टूबर को प्रधानमंत्री को लिखे गए अपने पत्र में लिखा है कि देश की राजधानी दिल्ली को देश के जिन पांच बिजली बनाने वाले संयंत्रों से बिजली मिलती है, उनमें से एक खाली पड़ा है। जबकि एक संयंत्र में 1 दिन, एक के पास 2 दिन, एक के पास 3 दिन  और एक संयंत्र के पास महज 6 दिन की ही आपूर्ति करने लायक कोयला बचा है।


आखिर क्यों मंडराया है बिजली संकट:

देश की नरेंद्र मोदी सरकार कोयला भंडार पर पहले ही अपना रुख साफ कर चुकी है। सरकार का कहना है सितंबर महीने में कोयला खदान क्षेत्र में होने वाली मूसलाधार बारिश के कारण कोयला उत्पादन पर असर पड़ा है। तथा मानसून की शुरुआत में पर्याप्त मात्रा में कोयला एकत्र नहीं हो पाया। बाहर से आयात किए जाने वाले कोयले की कीमतों में भी उछाल आया है। जिसके चलते भारत पर बिजली संकट जैसी समस्या होने का खतरा मंडरा रहा है।
वहीं भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि कोयला आपूर्ति को बढ़ाया जा रहा है। मंत्रालय के अनुसार कोल इंडिया के पास अभी 24 दिनों का स्टॉक मौजूद है। पर अगर राज्यों की बात करें तो उनके पास 17 दिन का तो नहीं पर चार चार दिन का स्टॉक मौजूद है तथा मांग की पूर्ति की जा रही है।

यह भी पढ़ें:महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ठाकरे और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया चिपी हवाई अड्डे का उद्घाटन