अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022: जानिए इस वर्ष की तिथि, इतिहास, महत्व और अनेक क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी के बारे में

International women's day: अमेरिका में साल 1908 में एक मजदूर आंदोलन हुआ था, जिसमें बड़ी संख्या में कामकाजी महिलाएं शामिल हुई थीं, जहां करीब 15 हजार महिलाओं ने न्यूयॉर्क की सड़कों पर आंदोलन करते हुए अपने अधिकारों को लेकर आवाज उठाई थी।

March 7, 2022 - 00:38
March 8, 2022 - 07:31
 0
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022: जानिए इस वर्ष की तिथि, इतिहास, महत्व और अनेक क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी के बारे में
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022- फोटो : Pixabey

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं और खुद ही अपना मुकाम तय कर रही हैं। धीरे- धीरे ही सही लेकिन महिलाओं में आत्मनिर्भरता बढ़ रही है। इस दिन, महिलाओं को सम्मानित करने और उनके सामने आने वाली समस्याओं के बारे में अधिक जानने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसके लिए हर साल इस दिन की एक थीम भी निर्धारित की जाती है। इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम ‘एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता’ है।

महिला दिवस की कब हुई शुरुआत?

अमेरिका में साल 1908 में एक मजदूर आंदोलन हुआ था, जिसमें बड़ी संख्या में कामकाजी महिलाएं शामिल हुई थीं, जहां करीब 15 हजार महिलाओं ने न्यूयॉर्क की सड़कों पर आंदोलन करते हुए अपने अधिकारों को लेकर आवाज उठाई थी। उन महिलाओं की मांग थी कि उनकी नौकरी के घंटे कम किए जाएं और वेतनमान भी बढ़ाया जाए। बता दें कि उस समय  महिलाओं को मतदान का अधिकार प्राप्त नहीं था इसलिए उन्होंने मतदान का अधिकार देने की भी मांग की थी। महिलाओं के जोर पकड़ते इस आंदोलन से प्रभावित होकर तत्कालीन सरकार ने आंदोलन के एक साल बाद साल 1909 में अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने महिला दिवस मनाने की घोषणा कर दी।

8 मार्च को क्यों मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस?

महिलाओं के सशक्‍तिकरण एवं विकास के लिए महिला दिवस मनाया जाता है। साल 1908 में महिलाओं ने 8 मार्च को अपने अधिकारों को लेकर मार्च निकाला था। जिसके बाद अगले साल सोशलिस्ट पार्टी ने 28 फरवरी को महिला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इस तरह अमेरिका में पहली बार राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। वहीं साल 1917 में पहले विश्व युद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने रोटी और शान्ति के लिए हड़ताल शुरू की थी। उन्होंने भी युद्ध को लेकर अपनी मांग रखी थीं। इसके बाद सम्राट निकोलस ने अपना पद त्याग दिया और महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला। उनको मिले अधिकार को देखते हुए यूरोप में भी महिलाओं ने कुछ दिन बाद 8 मार्च को पीस ऐक्टिविस्ट्स का समर्थन करते हुए रैलियां निकाली। इस वजह से भी 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत हुई। बाद में साल 1975 में महिला दिवस को आधिकारिक मान्यता दी गई। उस समय से संयुक्त राष्ट्र ने इसे वार्षिक तौर पर एक थीम के साथ मनाना शुरू किया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पहली थीम ‘सेलीब्रेटिंग द पास्ट, प्लानिंग फॉर द फ्यूचर’ थी।

महिला दिवस का उद्देश्य और महत्व

महिला दिवस आयोजित करने का मूल उद्देश्य महिलाओं व पुरुषों के बीच समानता का स्तर बनाए रखना है। आज के समय में कितना भी हमारा समाज अधिक जागरूक हो गया हो, किन्तु वास्तविकता यह है कि महिलाओं के अधिकारों और हक की लड़ाई अभी भी जारी है। कई मामलों में महिलाओं को आज भी समान सम्मान और अधिकार नहीं मिले पाते हैं। महिलाओं के इन्हीं अधिकार, सम्मान व महिलाओं व पुरुषों के बीच समानता का स्तर बनाए रखने के लिए और समाज को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।

महिला दिवस 2022 की थीम

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 की थीम ‘जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर ए सस्टेनेबल टुमारो’ यानी ‘एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता’ है। वहीं महिला दिवस का रंग पर्पल, ग्रीन और सफेद है। पर्पल रंग न्याय और गरिमा का प्रतीक है। हरा रंग उम्मीद और सफेद रंग शुद्धता का प्रतीक है।

भारत में महिलाओं का स्वर्णिम इतिहास

सरोजिनी नायडू, मदर टेरेसा, महादेवी वर्मा, राजकुमारी अमृत कौर, सुचेता कृपलानी, अहिल्याबाई होलकर, रानी लक्ष्मीबाई और कस्तूरबा गांधी आदि जैसी कुछ प्रसिद्ध महिलाओं ने अपने साहस व कर्म से पूरी दुनिया में अपना नाम रोशन किया है। कस्तूरबा गांधी ने महात्मा गांधी के साथ देश को आजाद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इंदिरा गांधी ने अपने दृढ़-संकल्प के बल पर भारत व विश्व राजनीति को प्रभावित किया था। कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसी एस्ट्रोनॉट ने न केवल हमें गौरवांवित किया बल्कि इस बात का प्रमाण भी दिया कि मौका मिलने पर महिलाएं हर काम को करने में सक्षम हैं। बता दें कि भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस सरोजिनी नायडू की याद में हर साल 13 फरवरी के दिन मनाया जाता है।

चूंकि यह अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस #Gender Equality Today for a Sustainable Tomorrow के विषय पर केंद्रित है इसलिए आइए जानते हैं कुछ पेशों के बारे में, जिनमें महिलाएं लैंगिक समानता लाने के लिए प्रयासरत हैं।

अग्निशमन विभाग में योगदान

अग्निशामक के बारे में सोचने पर हम एक आदमी के बारे में जरूर सोचते हैं। अग्निशामक को अक्सर एक आदमी के काम के रूप में माना जाता है, खासकर इस नौकरी से जुड़े जीवन के लिए खतरा व जोखिम के कारण। हालांकि, कई महिलाएं इस “पुरुष की नौकरी” में कदम रख रही हैं और ख़ुद को साबित कर रही हैं।

इस कार्य का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है, भारत की पहली महिला फायर फाइटर हर्षिनी कान्हेकर ने। कान्हेकर कई लोगों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने साल 2002 में फायर इंजीनियरिंग कोर्स के लिए आवेदन किया और 26 साल की उम्र में नागपुर के नेशनल फायर सर्विस कॉलेज में प्रवेश पाने वाली पहली महिला बनीं। इस क्षेत्र में एक और प्रेरक और कई महिलाओ के लिए आदर्श तानिया सान्याल हैं, जो एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा नियुक्त की जाने वाली पहली महिला फायर फाइटर हैं।

शादी के पुजारी के रूप में शीला अट्टा

शादियों में महिला पुजारी अभी भी एक दुर्लभ दृश्य हैं। इसी सोच को बदलने के प्रयास में फरवरी 2021 में, अभिनेता दीया मिर्जा ने व्यवसायी वैभव रेखी के साथ विवाह समारोह आयोजित करने के लिए एक महिला पुजारी शीला अट्टा को चुनने के लिए सुर्खियां बटोरीं। अभिनेता ने अपने पुजारी को संबोधित करते हुए ट्वीट किया, “धन्यवाद, शीला अट्टा, हमारी शादी समारोह आयोजित करने के लिए। इतना गर्व है कि हम मिलकर #RiseUp कर सकते हैं। #जनरेशन इक्वैलिटी।”

भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी

इस समय भारतीय सेनाओं के तीनों प्रारूपों में 9,100 से ज्यादा महिला ऑफिसर हैं। तीनों रक्षा बलों में कुल 9,118 महिलाएँ अधिकारी के रूप में सेवा दे रही हैं, जबकि सैन्य पुलिस की वाहिनी में 1,700 महिलाओं को जवानों के रूप में शामिल करने की मंजूरी दी गई है। बता दें कि भारतीय सेना तीनों रक्षा बलों में सबसे बड़ी है और अधिकारियों के रूप में सेवा करने वाली महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है और अब भारतीय सेना महिलाओं को सिपाही के पद पर भर्ती होने की अनुमति देने वाली पहली सेना है।

नारी सशक्तिकरण को मजबूती प्रदान करती सरकार की योजनाएं

केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर देश की महिलाओं के लिए बहुत सी योजनाएं शुरु की हैं। आईए, नारी सशक्तिकरण को मजबूर करने वाली सरकार की कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं को जानते हैं-

1 बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना

2 प्रधानमंत्री समृद्धि योजना

3 प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना

4 सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना

5 फ्री सिलाई मशीन योजना

6 प्रधानमंत्री समर्थ योजना