धर्म संसद के बहाने विवादित बयानों से फैली नफरत और मॉब लिंचिंग के मामलों की फैक्ट्री बनता जा रहा भारत
आज तक की रिपोर्ट के अनुसार बीते 6 वर्षो मे मॉब लिंचिंग के 134 मामले दर्ज किए गए हैं। एक अन्य वेबसाइट के अनुसार इन मामलों में 2015 से लेकर 2018 तक 68 लोगों की जानें जा चुकी हैं। जिनके शिकार लोगों में 50% मुसलमान हैं।
दुनिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां सभी धर्म और जाति के लोग आपस में मिलकर रहते हैं। यहां तक कि हमारे भारतीय संविधान में भी "वसुधैव कुटुंबकम" की विशेषता के बारे में बताया गया है। राजनीतिक पार्टियां हमेशा से ही चुनाव जीतने के लिए अंग्रेजों का फार्मूला 'फूट डालो और राज करो' को अपनाते हुए धर्म और जाति को सत्ता पाने का जरिया बना लिया है। इन पार्टियों की वजह से ही समाज के अन्दर बने भाईचारे में दरारें आ गई है। एक तरफ जहां भारत सभी धर्म और जाति को साथ लेकर चल रहा है तो वहीं कुछ लोग धर्म के रक्षक बनकर खुद को कट्टर हिंदू या मुस्लिम बताते हैं और दूसरे धर्म के खिलाफ भड़काते हैं।
क्या है धर्म संसद का मामला
धर्म संसद नामक कार्यक्रम का आयोजन जूना अखाड़ा के स्वामी नरसिंहानंद गिरी के नेतृत्व में 17 से 19 दिसंबर के बीच देवभूमि हरिद्वार में हुआ। जिसके कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में हैं। वीडियो में हिंदुत्व को लेकर साधु-संतों को दूसरे धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और समाज में नफरत फैलाने जैसी बातों को सुना गया। जिसमें हिंदू धर्म की रक्षा के लिए कॉपी-किताबें छोड़कर शस्त्र उठाने, 2029 में किसी मुसलमान को प्रधानमंत्री न बनने और विशेष समुदाय की आबादी को ना बढ़ने देने जैसी बातें की गई। इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से स्वामी प्रबोधानंद गिरी, स्वामी आनंदस्वरूप और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन और जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी जैसी हस्तियों को मंच पर देखा गया था।
कॉपी किताब छोड़ शस्त्र उठाने पर दिया जा रहा जोर
वायरल विडियो में हिंदू महासभा की जनरल सेक्रेटरी और निरंजनी अखाड़ा महामंडलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णा ने कहा है कि "अगर हमारे हिंदू धर्म पर, हिंदुत्व पर खतरा मंडराएगा तो मैं कुछ भी नहीं सोचूंगी, भले ही मुझे गोडसे की तरह कलंकित क्यों ना कर दो, मगर मैं शस्त्र उठाऊंगी और मै हिंदुत्व को बचाऊगी। हमारी मातृशक्ति के हाथ ही शेर के पंजे की तरह हैं। अगर मेरे पास कोई शस्त्र नहीं भी रहेगा तो मेरे पंजे ही शेरनी की तरह हैं जो फाड़ कर रख देंगे। उन्होंने आगे कहा कि धर्म बचाना चाहते हो तो कॉपी किताब को रख दो और हाथों में शस्त्र उठा लो और वचन दो की 2029 में किसी मुसलमान को प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगे।
धर्मदास महाराज ने भी विवादित बयान देते हुए कहा कि अगर मैं उस वक्त संसद में मौजूद होता, जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है, तो मैं नाथूराम गोडसे का अनुसरण करता। मैं उनके सीने में छह गोलियां उतार देता।ध
धर्म संसद आयोजित करने के पीछे की वज़ह
जूना अखाड़ा के यति स्वामी नरसिंहानन्द गिरी आए दिन अपने मुस्लिम विरोधी बातों के लिए चर्चा में रहते हैं। धर्म संसद को लेकर उन्होंने सुदर्शन न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहां कि यह हमारा दूसरा धर्म संसद है। हमारा संदेश यह है कि भारत जो तेजी से एक इस्लामिक राज्य बनता जा रहा है, उसे जल्दी से सनातन वैदिक राष्ट्र बनाया जाए। इस इंटरव्यू में उनके साथ स्वामी दर्शन भारती भी मौजूद थे, जो मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए राज्य में लव जिहाद और लैंड जिहाद के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रहे हैं।
वीडियो वायरल होने के बाद बढ़ा बवाल
धर्म संसद का भड़काऊ वीडियो वायरल होते ही सभी जगहों पर हंगामा हो रहा है। इस मामले में विपक्ष ने जमकर बयानबाजी और हंगामा किया है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित सभी विपक्षी नेताओं ने हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद को 'घृणा भाषण वाला सम्मेलन' कहां है। वहीं मुस्लिम संगठन ‘जमियत उलेमा ए हिंद’ ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर इस मामले पर एक्शन लेने और इससे जुड़े लोगों पर कार्रवाई करने का आग्रह भी किया है। मामले को बढ़ता देख उत्तराखंड पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।
क्या रहा पुलिस की कार्रवाई का नतीजा ?
हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में बढ़ते मामले में उत्तराखंड पुलिस ने कार्रवाई करते हुए, अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है कि सोशल मीडिया पर धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और समाज में नफरत फैलाने का मामला सामने आया है। वीडियो का संज्ञान लेते हुए जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी और अन्य के खिलाफ कोतवाली हरिद्वार में धारा 153(A) आईपीसी के तहत केस दर्ज किया गया है।
वहीं दूसरी तरफ ध्यान देने वाली बात यह भी है कि पुलिस ने धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने वाले स्वामी प्रबोधानंद गिरी, स्वामी आनंद स्वरूप और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन जैसे लोगों के खिलाफ कोई भी मामला दर्ज नहीं किया है।
क्या है आईपीसी धारा 153(A) ?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153(A) को संक्षिप्त रूप में समझे तो यह धारा उन लोगों पर लगाई जाती है, जो किसी धर्म, भाषा या समुदाय के आधार पर लोगों के बीच नफरत फैलाने का कार्य करते हैं। धारा 153(A) के तहत दोषी पाए गए व्यक्ति को 3 साल तक की जेल या जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती हैं। अगर यही अपराध किसी धार्मिक स्थल पर किया जाता है, तो दोषी को 5 साल तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है।
NCRB रिपोर्ट के आंकड़े क्या कहते है ?
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में देश भर में सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराध के 71107 मामले दर्ज किए गए तो वहीं 2019 में 63263 मामले सामने आए थे। रिपोर्ट के अनुसार इन मामलों में 12.4% की वृद्धि पाई गई है।
4 साल में मॉब लिंचिंग के 134 मामले आए सामने
आज तक की रिपोर्ट के अनुसार बीते 6 वर्षो मे मॉब लिंचिंग के 134 मामले दर्ज किए गए हैं। एक अन्य वेबसाइट के अनुसार इन मामलों में 2015 से लेकर 2018 तक 68 लोगों की जानें जा चुकी हैं। जिनके शिकार लोगों में 50% मुसलमान हैं। जबकि 20% मामलों में शिकार हुए व्यक्तियों का धर्म, जाति पता नहीं चल सका। यहां तक कि ये गोरक्षक 9% हिंदुओं को भी अपना शिकार बना चुके हैं।
लिंचिंग का मतलब क्या है ?
लिंचिंग की बात करें तो इसमें पुलिस और कानून व्यवस्था को ताक पर रखकर भीड़ एक व्यक्ति को बिना किसी आरोप में बिना पड़ताल किए ही मार देती है। इस तरह की घटना को लिंचिंग कहा जाता है। वहीं अगर इसमें भीड़ का बड़ा हिस्सा होता है तो इसे मॉब लिंचिंग कहा जाता है। लिंचिंग हमेशा पब्लिक प्लेस में ही होती है। सीआरपीसी की धारा 223 इससे संबंधित है जिसमें इस अपराध को लेकर एक से ज्यादा व्यक्तियों पर आरोप लगाया जाता है।