जानिए अंतर्राष्ट्रीय मंडेला दिवस के बारे में क्या है इतिहास और इसके उद्देश्य
शांति के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता व दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के जन्मदिवस को अंतरराष्ट्रीय मंडेला दिवस के रूप में मनाया जाता है।
शांति के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता व दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के जन्मदिवस को अंतरराष्ट्रीय मंडेला दिवस के रूप में मनाया जाता है। नेल्सन मंडेला दिवस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व भर में लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए संघर्ष तथा महात्मा गांधी की शांति की संस्कृति को मंडेला द्वारा बढ़ावा देने के के उपलक्ष में मनाया जाता है। नेल्सन मंडेला दिवस हर उस व्यक्ति के कल्याण के लिए काम करने का दिवस है जो मुख्यधारा से कटे हुए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मंडेला दिवस का इतिहास: 18 जुलाई साल 2009 में पहला नेल्सन मंडेला दिवस न्यूयॉर्क में मनाया गया, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 नवंबर 2009 में नेल्सन मंडेला के जन्मदिवस 18 जुलाई के दिन को अंतरराष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस के रूप में मनाने की उद्घोषणा की। जिसके बाद पहला अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस 18 जुलाई 2010 को मनाया गया। यह दिन नेल्सन मंडेला के संघर्षों तथा उनके नस्लभेद के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई को याद रखते हुए मानव अधिकार को बढ़ावा देने तथा वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय मंडेला दिवस मनाने का उद्देश्य: वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देन के लिए संघर्ष तथा शांति को बढ़ावा देने के लिए नेशनल मंडेला के योगदान की याद में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय मंडेला दिवस हमें एक अवसर प्रदान करता है जिसके माध्यम से हम लोगों को जनहित में काम करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं तथा जनकल्याण और शांति के लिए प्रयास कर सकते हैं।
कौन थे नेल्सन मंडेला:
नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे। मंडेला का जन्म बासा नदी के किनारे बसे मवेंजो गांव में 18 जुलाई 1918 को गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा के यहां उनकी तीसरी पत्नी से हुआ था। दक्षिण अफ्रीका का राष्ट्रपति बनने से पूर्व नेल्सन मंडेला वहां सदियों से चले आ रहे रंगभेद जिसमें मानव, मानव का शोषण करता है, के खिलाफ अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस में सम्मिलित हुए तथा उसके बाद उन्होंने खुद यूथ कांग्रेस लीग की स्थापना की। रंगभेद को खत्म करने के लिए वह सैन्य हथियारों से संपन्न गुट ‘उमखोंतो वे सिजवे’ से जुड़े व बाद में इसके अध्यक्ष भी बने।
रंगभेद के खिलाफ संघर्ष के कारण उन्होंने अपने जीवन के 27 साल रॉबेन द्वीप के कारागार में कैदी के रूप में व्यतीत किए जहां उन्हें कोयला खान में कोयला खनिक के रूप में काम करना पड़ता था। पर इसके बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी बल्कि जेल में रहकर भी उन्होंने श्वेतो द्वारा अश्वेत कैदियों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई। साल 1990 में श्वेत सरकार के साथ हुए एक समझौते के अनुसार उन्हें रिहा कर दिया गया। जिसके बाद वह 1995 में दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने। मंडेला को संपूर्ण विश्व में रंगभेद के विरोध के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। 5 दिसंबर 2013 को फेफड़ों में इन्फेक्शन के कारण मंडेला का देहावसान हो गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतरराष्ट्रीय मंडेला दिवस मनाने की घोषणा की गई थी जिसके बाद से हर साल 18 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस मनाया जाता है।
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