Lata Mangeshkar: लता मंगेशकर के निधन से देश में दुख का माहौल, जानिए क्यों अधूरी रही उनकी प्रेम कहानी
भारत रत्न से सम्मानित लता मंगेशकर का रविवार 6 फरवरी को मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर के कारण निधन हो गया है। लता मंगेशकर के निधन के बाद 2 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। सम्मान के रूप में दो दिनों तक राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। आईए जानते हैं, बहन आशा भोसले और मशहूर गायक मोहम्मद रफी से लता मंगेशकर के विवाद की क्या थी मुख्य वजह ?
भारत रत्न से सम्मानित लता मंगेशकर का रविवार 6 फरवरी को मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर के कारण निधन हो गया है। वह 92 साल की थीं। लता मंगेशकर की तबीयत पिछले महीने से खराब थी जिसके बाद उन्हें कैंडी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जिसके कुछ दिन बाद आज सुबह स्वर कोकिला लता मंगेशकर का कोरोना की वजह से निधन हो गया। लता मंगेशकर के निधन के बाद 2 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। सम्मान के रूप में दो दिनों तक राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लता मंगेशकर के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “मैं शब्दों से परे पीड़ा में हूँ। दयालु और देखभाल करने वाली लता दीदी हमें छोड़कर चली गई हैं। वह हमारे देश में एक खालीपन छोड़ गई है जिसे भरा नहीं जा सकता। आने वाली पीढ़ियां उन्हें भारतीय संस्कृति के एक दिग्गज के रूप में याद रखेंगी, जिनकी सुरीली आवाज में लोगों को मंत्रमुग्ध करने की अद्वितीय क्षमता थी।“
I am anguished beyond words. The kind and caring Lata Didi has left us. She leaves a void in our nation that cannot be filled. The coming generations will remember her as a stalwart of Indian culture, whose melodious voice had an unparalleled ability to mesmerise people. pic.twitter.com/MTQ6TK1mSO — Narendra Modi (@narendramodi) February 6, 2022
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी दी श्रद्धांजलि
वेंकैया नायडू ने श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया “सिनेमा की सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी का निधन देश की और संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है। लता जी के निधन से आज भारत ने अपना वह स्वर खो दिया है जिसने हर अवसर पर राष्ट्र की भावना को भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी। उनके गीतों में देश की आशा और अभिलाषा झलकती थी।“
भारतीय सिनेमा की सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी का निधन देश की और संगीत जगत की अपूरणीय क्षति है। लता जी के निधन से आज भारत ने अपना वह स्वर खो दिया है जिसने हर अवसर पर राष्ट्र की भावना को भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी। उनके गीतों में देश की आशा और अभिलाषा झलकती थी। pic.twitter.com/K6NDlnh3jg — Vice President of India (@VPSecretariat) February 6, 2022
आइए जानते हैं लता मंगेशकर के जीवन से जुड़ी कुछ घटनाएं
लता मंगेशकर जी की अधूरी प्रेम कहानी
लता मंगेशकर का नाम हमेशा से ही डूंगरपुर के महाराज राजसिंह से जोड़ा जाता था। लता मंगेशकर और महाराज राज सिंह एक क्रिकेट के मैच के दौरान मिले थे। वैसे तो राजसिंह साल 1955 से ही राजस्थान रणजी टीम के लिए खेलते थे मगर अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए साल 1959 में वह मुंबई आए। यहां लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ से उनकी मित्रता हो गई। वह अक्सर उनसे मिलने लता जी के घर जाते। दोनों कई बार क्रिकेट भी खेलते थे। यही वो समय था जब लता जी और राजसिंह के मन में एक दूसरे के लिए प्रेम पनपा। मगर, जब बात शादी तक पहुंची तो राजसिंह डूंगरपुर को अपने माता-पिता को दिया वचन याद आया कि वे शादी वह उनकी पसंद से ही करेंगे। इस तरह लता मंगेशकर का पहला प्यार अधूरा रह गया और उन्होंने पूरा जीवन बिना शादी किए बिताया।
बहन आशा भोसले से विवाद की क्या थी वजह?
लता मंगेशकर जब 14 साल की थीं तब ही उनके पिता दीनानाथ मांजरेकर गुजर गए थे। तब से लता जी ने अपने पूरे घर की जिम्मेदारी उठाई। जब आशा भोसले बड़ी हुईं तो लता जी को अपनी छोटी बहन से भी यही उम्मीद थी कि वह भी घर की जिम्मेदारीयों का निर्वहन करें, किन्तु आशा जी अपनी बड़ी बहन लता जी की आशाओं को पूरा करने में सफल नहीं हो पाईं। मात्र 16 वर्ष की उम्र में आसा जी ने गणपतराव भोंसले से शादी कर ली थी जिससे लता जी को बहुत पीड़ा हुई क्योंकि गणपतराव उस वक्त लता मंगेशकर के सेक्रेटरी थे। उम्र में भी गणपत राव आशा जी से बडे़ थे। दोनों की शादी को लता जी ने मंजूरी नहीं दी और इस घटना के बाद से ही लता जी और आशा जी में दूरियां आ गईं।
मगर, आशा भोंसले और गणपतराव का रिश्ता बहुत दिन नहीं चल पाया। तीन बच्चे होने के बाद किसी कारण से आशा भोंसले और गणपत राव अलग हो गए। इसके बाद भी आशा और लता जी की दूरियां बरकरार रहीं। आशा भोसले ने बाद में आर डी बर्मन से शादी कर ली। उसके कुछ समय बाद दोनों बहने फिर से एक दूसरे के करीब आ गई किन्तु वो प्रेम जो लता और आशा जी में पहले था वह फिर कभी नहीं दिखा।
लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी का विवाद
लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी ने बहुत से गीत एक साथ गाये हैं। लता जी ने अपने एक इंटरव्यू में भी यह बात बताई थी कि वह चाहती थी कि जो गाने उन्होंने गाए हैं उनकी रॉयलटी उन्हें दी जाए वहीं मोहम्मद रफी इस बात के खिलाफ थे। जिसके बाद लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी ने एक दूसरे बातचीत ही बंद कर दी।
यह विवाद इतना बढ़ा कि दोनों ने एक दूसरे से बात तक करना बंद कर दिया। हालांकि विवाद चार साल बाद खत्म हुआ और अभिनेत्री नरगिस के कहने पर दोनों ने एक बार फिर से ‘दिल पुकारे’ गाने को साथ में रिकॉर्ड किया।