राजस्थान: पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के जन्मदिन पर केशवरायपाटन में मुख्य कार्यक्रम का होगा आयोजन

सोमवार देर रात वसुंधरा राजे द्वारा किया गया ट्वीट सुर्खियों में बना हुआ है। पूर्व सीएम ने ट्वीट कर लिखा 'परिंदों से ऊंची उड़ान होगी, एक बार नहीं हर बार होगी'। हालांकि, पूर्व सीएम ने यह ट्वीट नारी शक्ति को समर्पित किया है। लेकिन इस ट्वीट के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। ट्वीट के जरिए पूर्व सीएम ने अपने राजनीतिक विरोधियों को सियासी संदेश दिया है।

March 9, 2022 - 01:42
March 9, 2022 - 05:19
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राजस्थान: पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के जन्मदिन पर केशवरायपाटन में मुख्य कार्यक्रम का होगा आयोजन
वसुंधरा राजे -फोटो : Social Media

राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 में होने हैं लेकिन राजनीतिक पार्टियों में सीएम चेहरे को लेकर सियासी लड़ाई शुरू हो चुकी है | राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के जन्मदिन पर आज 8 मार्च को बूंदी जिले के केशवरायपाटन में मुख्य आय़ोजन होगा।  उनके समर्थक  हाड़ौती की जमीन पर सियासी ताकत दिखाएंगे। कार्यक्रम में समर्थकों ने बड़ी संख्या में लोगों के जुटने का दावा किया है। माना जा रहा है कि यहां होने वाली जनसभा में वसुंधरा अपने विरोधियों को जवाब देंगी। वसुंधरा राजे मंगलवार सुबह 11 बजे केशवरायपाटन पहुंचेंगी।

वहीं जन्मदिन से पूर्व सोमवार देर रात वसुंधरा राजे द्वारा किया गया ट्वीट सुर्खियों में बना हुआ है। पूर्व सीएम ने ट्वीट कर लिखा 'परिंदों से ऊंची उड़ान होगी, एक बार नहीं हर बार होगी'। हालांकि, पूर्व सीएम ने यह ट्वीट नारी शक्ति को समर्पित किया है। लेकिन इस ट्वीट के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। ट्वीट के जरिए पूर्व सीएम ने अपने राजनीतिक विरोधियों को सियासी संदेश दिया है।

बता दें कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के समर्थकों ने पिछले साल जनवरी में वसुंधरा राजे समर्थक मंच का गठन किया था। जहां मंच के माध्यम से वसुंधरा राजे को 2023 में विधानसभा चुनाव के लिए सीएम चेहरा घोषित करने की मांग की थी। जहां वसुंधरा समर्थकों की बयानबाजी से प्रदेश भाजपा नेतृत्व नाराज बताया जा रहा है | हालांकि, अभी चुनाव को लेकर समय है लेकिन सीएम फेस को लेकर प्रदेश भाजपा में घमासान जारी है |

समर्थन व विरोध में बयानबाजी का दौर शुरु

वसुंधरा राजे के समर्थक भवानी सिंह राजावत ने बयान देते हुए कहा कि 8 मार्च को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के जन्मदिन को हम शक्ति प्रदर्शन के तौर पर मनाएंगे और आला कमान से यही कहना चाहते हैं कि वसुंधरा राजे के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा तो बीजेपी की सरकार बनेगी अन्यथा नहीं बनेगी और इसी दिन से हम वर्ष 2023 के चुनाव की तैयारियों में जुट जाएंगे | जबकि पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और समर्थकों को सलाह देते हुए कहा था कि पूर्व सीएम राजे को मुख्यमंत्री बनने का मोह त्याग देना चाहिए और केंद्र में कोई मंत्री पद लेकर नए लोगों राजस्थान में सीएम बनने का मौका देना चाहिए।

वसुंधरा राजे का व्यक्तिगत जीवन

वसुन्धरा राजे का जन्म 8 मार्च 1953 को मुम्बई में हुआ था। वह भूतपूर्व ग्वालियर राजघराने की पुत्री हैं। उनके पिता का नाम जीवाजीराव सिन्धिया और माँ का नाम विजया राजे सिन्धिया है। वह मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया की बहन हैं। उनकी शादी 17 नवंबर 1972 को धौलपुर के जाट राजघराने से संबंध रखने वाले हेमंत सिंह से हुई थी लेकिन एक साल बाद ही दोनो अलग हो गए थे।

वसुंधरा राजे का राजनीतिक जीवन

वसुन्धरा राजे ने अपने जीवन का पहला चुनाव साल 1984 मे मध्यप्रदेश के भिडं लोकसभा क्षेत्र से लड़ा था जिसमें उनकी हार हुई। उस वक्त पूरे देश में इंदिरा गांधी की हत्या की वज़ह से कांग्रेस के पक्ष मे सहानुभूति लहर चल रही थी और इसी का फायदा उठाकर कांग्रेस के प्रत्याशी कॄष्णा सिंह ने राजे को लगभग 88000 वोट से हरा दिया था। जिसके बाद राजे को साल 1984 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया था और इसके बाद 1985-87 के बीच राजे भाजपा युवा मोर्चा राजस्थान की उपाध्यक्ष भी रहीं और साल 1987 में वसुंधरा राजे राजस्थान प्रदेश भाजपा की उपाध्यक्ष बनीं। उनकी कार्यक्षमता, विनम्रता और पार्टी के प्रति वफादारी के चलते 1998-1999 में अटलबिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में राजे को विदेश राज्यमंत्री बनाया गया। राजे को अक्टूबर 1999 में फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के तौर पर स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया। भैरोंसिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें राजस्थान में भाजपा राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाया गया।

इस तरह वसुंधरा राजे ने राजनीति में आगे बढ़ते हुए वर्ष 2003 में, भाजपा की तरफ़ से राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली और इस पद पर वह वर्ष 2008 तक रहीं। वहीं साल 2008 के बाद पुनः राजे वर्ष 2013 में, राजस्थान की मुख्यमंत्री बनी। बता दें कि साल 2013 में गहलोत सरकार को सता से हटाने के लिए उन्होंने सुराज संकल्प यात्रा निकाली थी जिसका उन्हे भरपूर समर्थन मिला और पुनः साल 2013 में वसुंधरा राजे, राजस्थान की मुख्यमंत्री बनी।

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