एफएटीएफ की ग्रे सूची में संयुक्त अरब अमीरात समेत 23 देश हुए शामिल, जानिए कौन कौन से देश हुए हैं शामिल
FATF ने साल 2000 में देशों के अवलोकन के आधार पर दो सूचियां बनाई हैं। पहली सूची, ‘कॉल फॉर एक्शन’, जिसे ‘ब्लैक लिस्ट’ भी कहा जाता है, इसमें उन देशों को शामिल किया गया है जिन्हें समूह ने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में असहयोगी माना है। बता दें कि वर्तमान में इस सूची में उत्तर कोरिया और ईरान हैं।
FATF यानि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने 5 मार्च को बढ़ी हुई निगरानी के तहत अपने अधिकार क्षेत्र की वार्षिक सूची जारी की। साल 2021 में जिन राष्ट्रों को सूचीबद्ध किया गया था। FATF ने इस बार यूएई को ग्रे सूची में शामिल किया है। आईए जानते हैं यूएई को ग्रे सूची में शामिल करने की वजह और पाकिस्तान की एफएटीएफ में स्थिति के बारे में।
क्या है FATF ?
FATF, या Groupe d’action financière (GAFI), एक अंतरराष्ट्रीय अंतरसरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना साल 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए G8 देशों के इशारे पर की गई थी। अमेरिका में हुए 9/11 आतंकवादी हमलों के बाद, आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के लिए भी FATF का विस्तार किया गया था। तब से, FATF मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग को रोकने के लिए कानूनी, नियामक और परिचालन उपायों के लिए दिशा-निर्देश जारी कर रहा है।
जानिए क्या है एफएटीएफ की ग्रे सूची और ब्लैक सूची?
FATF ने साल 2000 में देशों के अवलोकन के आधार पर दो सूचियां बनाई हैं। पहली सूची, ‘कॉल फॉर एक्शन’, जिसे ‘ब्लैक लिस्ट’ भी कहा जाता है, इसमें उन देशों को शामिल किया गया है जिन्हें समूह ने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में असहयोगी माना है। बता दें कि वर्तमान में इस सूची में उत्तर कोरिया और ईरान हैं।
दूसरी ‘अन्य निगरानी क्षेत्राधिकार सूची’ या ‘ग्रे लिस्ट’ इसमें उन देशों को शामिल किया गया है जहां FATF किसी देश की वित्तीय गतिविधियों पर मुख्य रुप से निगरानी रखता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे संगठन द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा कर रहे हैं। यह सूची हर साल अपडेट की जाती है। तुर्की को पिछले साल इसमें जोड़ा गया था और यूएई इस साल इसमें शामिल हुआ है।
यूएई को सूची में क्यों जोड़ा गया?
एफएटीएफ ने इस बार की बैठक में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को भी ग्रे लिस्ट में शामिल किया है। एफएटीएफ का मानना है कि यूएई ने अपराधियों और आतंकवादियों को अपने यहां धन छिपाने से रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाये। पाकिस्तान के अलावा पेरिस स्थित एफएटीएफ संयुक्त अरब अमीरात, तेल समृद्ध अबू धाबी को साथ ही मध्यपूर्व देशों जॉर्डन, सीरिया और यमन सहित 23 देशों की सूची में डाल दिया। बता दें कि यूएई को लंबे समय से एक ऐसी जगह के रूप में जाना जाता है जहां नकदी, हीरे, सोने और अन्य कीमती सामानों को बड़ी आसानी से अंदर-बाहर ले जाया जा सकता है।
The United Arab Emirates has entered the FATF’s Jurisdictions under Increased Monitoring list, often referred to as the 'grey list', following the conclusion of the FATF Plenary. See the full update here➡️https://t.co/cuEK8iKyJY #FollowTheMoney pic.twitter.com/u6gVWHUKJo — FATF (@FATFNews) March 4, 2022
एफएटीएफ का बयान
“FATF निगरानी के तहत भी एक अधिकार क्षेत्र रखता है, इसका मतलब है कि देश में पहचानी गई रणनीतिक कमियों को तेजी से हल करने के लिए प्रतिबद्ध करना। यूएई को अगले साल अपने मूल्यांकन के दौरान सूची से हटा दिया जाएगा यदि एफएटीएफ को पता चलता है कि देश ने अवैध नकदी प्रवाह से निपटने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं।”
अमीरात समाचार एजेंसी के अनुसार, मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए संयुक्त अरब अमीरात की एजेंसी ने कहा, “यूएई वैश्विक वित्तीय प्रणाली की अखंडता की रक्षा करने में अपनी भूमिका को बेहद गंभीरता से लेता है और एफएटीएफ के साथ मिलकर काम करेगा ताकि सुधार के क्षेत्रों में तेजी से सुधार किया जा सके।”
ग्रे सूची में शामिल होने का यूएई पर असर ?
ग्रे लिस्ट में डाले जाने का किसी भी देश के लिए नकारात्मक असर हो सकता है। निर्यात, उत्पादन और खपत घरेलू स्तर पर प्रभावित होते हैं। वहीं इससे किसी देश की वित्तीय स्थिति भी कमजोर होती है क्योंकि वैश्विक बैंक देश में अधिक कारोबार करने के लिए असहज होती हैं। किसी राष्ट्र की व्यापक आर्थिक नीतियों में रोकी गई अंतर्राष्ट्रीय सहायता और कम आत्मविश्वास को भी अक्सर देखा जाता है।
पाकिस्तान भी FATF की ग्रे लिस्ट में
पाकिस्तान को साल 2018 के बाद से FATF की ग्रे सूची में रखा गया है, जिसका मुख्य कारण संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा नामित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे आतंकी समूहों के कमांडरों की पर्याप्त जांच और गिरफ्तारी में असमर्थता है। FATF ने पाकिस्तान से ऐसे आतंकी समूह के नेताओं की आपराधिक आय को जब्त करने और अन्य देशों के साथ मिलकर उनकी संपत्ति का पता लगाने और उन्हें फ्रीज करने के लिए भी कहा है।