चीन की जेलों में कैद हैं दुनिया भर के 127 पत्रकार, जानिए क्यों हुई जेल

चीन में 127 से भी ज्यादा पत्रकार जेलों में कैद हैं। वहीं, विदेशी संवाददाताओं के क्लब (एफसीसी) के अनुसार चीन में विदेशी पत्रकारों के साथ शारीरिक उत्पीड़न, हैकिंग, आनलाइन ट्रोलिंग करना आम बात हो गई है।

February 1, 2022 - 18:16
February 2, 2022 - 07:20
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चीन की जेलों में कैद हैं दुनिया भर के 127 पत्रकार, जानिए क्यों हुई जेल
चीन की जेलों में कैद दुनिया भर के पत्रकार- फोटो: gettyimages

दुनिया में चीन एक मात्र ऐसा देश है जिसे आप मीडिया या पत्रकारों की सबसे बड़ी जेल भी कह सकते हैं। फिलहाल चीन में 127 से भी ज्यादा पत्रकार जेलों में कैद हैं। वहीं, विदेशी संवाददाताओं के क्लब (एफसीसी) के अनुसार चीन में विदेशी पत्रकारों के साथ शारीरिक उत्पीड़न, हैकिंग, आनलाइन ट्रोलिंग करना आम बात हो गई है। इन सब के अलावा चीन और हांगकांग में मूल निवासी पत्रकारों को भी हर तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2020 की रिपोर्ट के अनुसार चीन; मीडिया या पत्रकारों की स्वतंत्रता के मामलों में 177 वें स्थान पर आता है।

चीन ने खोला अंतरराष्ट्रीय मीडिया के खिलाफ मोर्चा

बीजिंग विंटर ओलिंपिक की तरफ दुनिया भर के मीडिया का ध्यान जाते ही, चीन ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बता दें कि चीन शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों और हांगकांग में दमनकारी नीतियों को लेकर दुनिया भर में पहले से ही बदनाम है। रिपोर्ट के अनुसार यहां कुछ विदेशी पत्रकारों के साथ इतना ज्यादा उत्पीड़न किया गया, कि उन्हें चीन को छोड़कर भागना पड़ा।

चीन की तानाशाही पर RSF की रिपोर्ट

अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन (RSF) ने अपनी एक रिपोर्ट से खुलासा किया है कि चीन ने लगभग 127 (विदेशी और स्थानीय) पत्रकारों को जेलों में नजरबंद कर रखा है। रिपोर्ट के अनुसार सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने ‘संवेदनशील’ मुद्दों की रिपोर्टिंग और पब्लिशिंग करने के आरोप में बहुत से पत्रकारों को हिरासत में लिया है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के अनुसार, इन पत्रकारों में पेशेवर और गैर-पेशेवर मीडियाकर्मी भी शामिल हैं।

RSF की रिपोर्ट के मुताबिक, कैद किए गए इन पत्रकारों में लगभग 71 मीडियाकर्मी ‘उइगर पत्रकार’ (Uyghur Journalists) से जुड़े हैं, जो साल 2016 से “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई” के नाम पर बीजिंग शासन उइगरों के विरुद्ध एक हिंसक अभियान चला रहा है। रिपोर्ट में RSF के महासचिव क्रिस्टोफ डेलॉयर का कहना है कि चीन, प्रेस की स्वतंत्रता को खोता जा रहा है। वहीं पेरिस में स्थित आरएसएफ ने कहा कि इस रिपोर्ट के माध्यम से सूचना के अधिकार के खिलाफ शासन के दमन के अभियान की सीमा का पता चलता है।

चीन छोड़ने पर मजबूर हो रहे पत्रकार

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार विदेशी पत्रकारों को अपनी सुरक्षा के लिए आपात कारणों का बहाना करके चीन से भागना पड़ा है। आस्ट्रेलिया के पत्रकार चेंग ली और चीनी नागरिक हेज फैन को चीन के सुरक्षा मामलों में फंसा कर एक साल से भी अधिक समय से कैद करके रखा गया है। बाकी वहां रह रहे विदेशी पत्रकारों के परिवारों को भी चीनी प्रशासन परेशान कर रहा है।

कोविड-19 पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार भी गिरफ्तार

RSF की रिपोर्ट के अनुसार चीन ने करीब 10 पत्रकारों और ऑनलाइन टिप्पणीकारों को साल 2020 में वुहान में कोविड-19 पर रिपोर्टिंग करने की वजह से गिरफ्तार कर लिया था। वुहान वही जगह है, जहां से सबसे पहले कोरोना वायरस दुनिया भर में फैलना शुरू हुआ था। वहीं चीन सरकार ने अक्टूबर 2019 में सभी चीनी पत्रकारों को एक स्मार्टफोन ऐप, स्टडी जी, स्ट्रेंथ दि कंट्री का अनिवार्य रूप से प्रयोग करने के आदेश दिए थे। इस स्मार्टफोन ऐप के जरिए पत्रकारों के निजी डाटा को एकत्रित किया जाता था। इसके अलावा प्रेस कार्ड प्राप्त करने के लिए या उसके नवीनीकरण के लिए पत्रकारों को ‘शी जिनपिंग’ के विचारों पर केंद्रित एक 90 घंटे के प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता था।

प्रेस कार्ड के लिए होता है 90 घंटे का प्रशिक्षण

वॉचडॉग की एक रिपोर्ट के अनुसार संवेदनशील‌ मुद्दों की जांच करने या सेंसर की गई जानकारी प्रकाशित करने जैसे कामों के लिए पत्रकारों को कैद कर लिया जाता था। जहां उनके साथ इतना दुर्व्यवहार होता था, कि उनकी जान भी जा सकती है। आरएसएफ की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि कैसे पत्रकारों को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का मुखपत्र बनने के लिए मजबूर किया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, वहां के पत्रकारों को अपना प्रेस कार्ड प्राप्त करने और रिन्यू करने के लिए शी जिनपिंग के विचारों पर केंद्रित 90 घंटे के वार्षिक प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है।

चीन में चीनी पत्रकारों की दशा होती जा रही खराब

चीन के शहर वुहान में कोविड-19 संकट पर रिपोर्टिंग के लिए सरकार ने साल 2020 में कम से कम दस पत्रकारों और ऑनलाइन कमेंटेटर्स को गिरफ्तार कर लिया था। आज तक उनमें से दो कैदी झांग झान और फेंग बिन अभी भी कैद में हैं। वहीं चीनी पत्रकारों की भी स्थिति काफी चिंताजनक है। आरएसएफ की रिपोर्ट के अनुसार, चीन सरकार ने अक्टूबर 2019 में सभी चीनी पत्रकारों को एक स्मार्टफोन ऐप, स्टडी जी, स्ट्रेंथ दि कंट्री का अनिवार्य रूप से प्रयोग करने के आदेश थे। बता दें कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2020 की सूची में चीन को 180 में से 177वां स्थान दिया गया था।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता की सूची में शामिल देशों का स्थान

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (World Press Freedom Index) 2020 में पत्रकारों की स्वतंत्रता और अधिकारों को लेकर 180 देशों की एक सूची तैयार की गई है, जिसमें भारत 142वें स्थान पर है, जबकि बीते साल भारत इस सूची में 140वें स्थान पर था। 180 देशों में सबसे ऊपर पहले नम्बर पर नॉर्वे देश है। नार्वे के बाद दुसरे नम्बर पर फिनलैंड और तीसरे पायदान पर डेनमार्क है। जबकि सबसे  नीचे 180 स्थान पर इरिट्रिया है। वहीं भारत के पड़ोसी देशों में नेपाल 106वें, श्रीलंका 127वें, म्यांमार 140वें, पाकिस्तान 145वें और बांग्लादेश 152वें स्थान पर आते हैं।