दूसरी लहर में हुई सभी मौतों का कारण चिकित्सा लापरवाही नही: सुप्रीम कोर्ट
कोरोना के कारण हुई मौतों के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। अपने फैंसले में कोर्ट ने कहा कि यह नहीं माना जा सकता कि कोरोना की दुसरी लहर में हुई हर मौत कोरोना कि वजह से हुई है।
कोरोना के कारण हुई मौतों के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। अपने फैंसले में कोर्ट ने कहा कि यह नहीं माना जा सकता कि कोरोना की दुसरी लहर में हुई हर मौत कोरोना कि वजह से हुई है। कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए ईलाज में लापरवाही को हर मौत के पिछे की वजह मानने और सभी को मुआवजा देने की याचिका को मानने से इंकार कर दिया। बता दें कि निर्णय देने वाली इस पीठ में डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस हिमा कोहली समेत तीन न्यायाधीश शामिल थे।
क्या है मामला:
अपने 30 जून को दिए फैंसले का हवाला देते हुए , जिसमे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को कोविड -19 के मृतको के परिवारों को अनुग्रह सहायता राशि के लिए 6 सप्ताह के भीतर उचित दिशा निर्देश लेने का आदेश दिया गया था ।
शीर्ष अदालत ने कहा की इस फैसले में अदालत ने मानवता के संबंध में अपना दृष्टिकोण रखा था ना कि लापरवाही के कारण। इस संबंध में भी सरकार को नई नीति लाने की आवश्यकता है। अदालत ने याचिकाकर्ता दीपक राज सिंह से भी अनुग्रह किया की वह याचिका वापस लेकर उसमें संशोधन करे और यदि कोई सुझाव है तो वह सक्षम प्राधिकारी से भी संपर्क कर सकते है।
लाखों लोग गवा चूके हैं अपनी जान:
इसी वर्ष के मई-जून महीने में कोविड-19 की दूसरी लहर के चलते देश में काफी भयावह स्थिति देखने को मिली थी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार कोविड के कारण लगभग 235,986 लोगो ने अप्रैल - जून के बीच अपनी जान गवाई । इसी बीच हमारे देश की चिकित्सा प्रणाली भी बुरी तरह से बेहाल हो गई थी । सिस्टम की दुर्व्यवस्था का अंदाजा चारो ओर ऑक्सीजन सिलेंडर , हॉस्पिटल बेड, मेडिकल व पेरा-मेडिकल स्टाफ के लिए मच रही किल्लत और महामारी से लगाया जा सकता था । ऐसे कई मामले सामने निकल कर आए थे जहां उचित चिकित्सा सुविधा के अभाव की वजह से मरीज को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। कोविड मृतकों के परिवारों को आपदा एक्ट के तहत मुआवजा देने की याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दर्ज की गई थी।