Mother Teresa Birth Anniversary Special: जानिए मदर टेरेसा के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य और विवाद
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कॉप्जे (अब के मेसीडोनिया में) में हुआ था। इनके पिता निकोला बोयाजू एक साधारण व्यवसायी थे। मदर टेरेसा का वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था तथा उन्होंन 18 वर्ष की उम्र में‘सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला किया।
भारत रत्न और अपने कार्यों के लिए शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मदर टेरेसा बीसवीं शताब्दी की महान विभूति थी। उन्हें 'बीसवीं सदी की फ्लोरेंस नाइटिंगेल’ कहा जाता है।
जीवन
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कॉप्जे (अब के मेसीडोनिया में) में हुआ था। इनके पिता निकोला बोयाजू एक साधारण व्यवसायी थे। मदर टेरेसा का वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था तथा उन्होंन 18 वर्ष की उम्र में‘सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला किया। उसके बाद वह आयरलैंड चली गई, जहां जाकर उन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी।
वह साल 1948 में लोगों की सेवा के लिए कोलकाता वापस लौट आई। कोलकाता आकर तालतला में गरीब बुजुर्गो की देखभाल करने वाली संस्था के साथ रहीं। मदर टेरेसा ने साल 1949 में गरीब, असहाय और बीमार लोगों की मदद के लिए ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की। इसे रोमन कैथोलिक चर्च ने 7 अक्टूबर, 1950 को मान्यता दी। इसके साथ ही उन्होंने पारंपरिक वस्त्रों को त्यागकर नीली किनारी वाली साड़ी पहनने का फैसला किया। मदर टेरेसा ने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ के नाम से आश्रम भी खोले।
पुरस्कार
उन्हें मानवता की सेवा के कार्यों के लिए मदर टेरेसा को 17 अक्टूबर 1979 को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था। उन्हें साल 1962 में भारत सरकार द्वारा 'पद्मश्री' और साल 1980 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारतरत्न’ से भी सम्मानित किया गया।
मदर टेरेसा और उनकी संस्था से जुड़े विवाद
मदर टेरेसा और उनकी संस्था पर लोगों को प्रलोभन देकर धर्म बदलवाने के आरोप भी लगे हैं। इसके अलावा कई चिकित्सा पत्रिकाओं में भी उनकी धर्मशालाओं में दी जाने वाली चिकित्सा सुरक्षा के मानकों की आलोचना की गई और अपारदर्शी प्रकृति के बारे में सवाल भी उठाया गया है। इसके अलावा महिला अधिकारों के हनन के अलावा तानाशाहों और बदमाश लोगों का समर्थन करना और उनसे पैसे लेने के आरोप भी लगे हैं। उन पर पाखण्डी होने का आरोप भी लगाया जाता है क्योकि उन्होंने ग़रीबों को अपनी पीड़ा सहन करने के लिए तो कहा, लेकिन जब वे स्वयं बीमार पड़ीं तो उन्होंने सबसे उच्च-गुणवत्ता वाले महँगे अस्पताल में अपना इलाज कराया। मदर टेरेसा की मृत्यु 5 सितम्बर 1997 को 87 वर्ष की उम्र में कोलकाता में हुई।