National herald case: सुरजेवाला ने नेशनल हेराल्ड का जिक्र करते हुए बीजेपी की तुलना अंग्रेजों से क्यों की ?
सुरजेवाला ने आगे कहा कि - आज फिर अग्रेजों का समर्थन करने वाली विचारधारा अंग्रेजो की ही तरह आज़ादी की इस आवाज़ को दबाने का षडयंत्र कर रही है जिसके मुखिया खुद पीएम मोदी हैं और इसमें उनका हथियार उनका चहेता और पालतू ईडी है।
देश में पिछले कुछ समय में ईडी ने (ईनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट) कई मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों का खुलासा किया है। ऐसे में अब ईडी ने नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी सांसद राहुल गांधी को समन भेजा है। पार्टी ने खुद एक प्रेस कान्फ्रेस के दौरान इसकी जानकारी दी और साथ ही पार्टी प्रवक्ता सुरजेवाला ने साल 1937 के अखबार ‘नेशनल हेराल्ड (National Herald)’ का ज़िक्र करते हुए बीजेपी की तुलना अंग्रेज़ों से की। बता दें कि इस मामले से पूछताछ के लिए 8 जून को सोनिया गांधी को बुलाया गया है।
सुरजेवाला ने बीजेपी की अंग्रेजों से की तुलना
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने साल 1937 में नेशनल हेराल्ड अखबार निकाला, जिसके प्रेणता महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, पुरुषोत्तम टंडन, आचार्य नरेंद्र देव, रफी अहमद थे। आज़ादी की आवाज बने इस अखबार से अंग्रेजो को इतना डर लगा कि इसे कुचलने के लिए उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इस पर बैन लगा दिया। सुरजेवाला ने आगे कहा कि - आज फिर अग्रेजों का समर्थन करने वाली विचारधारा अंग्रेजो की ही तरह आज़ादी की इस आवाज़ को दबाने का षडयंत्र कर रही है जिसके मुखिया खुद पीएम मोदी हैं और इसमें उनका हथियार उनका चहेता और पालतू ईडी है।
आखिर क्या है नेशनल हेराल्ड मामला
पंडित नेहरू ने साल 1937 में करीब 5000 फ्रीडम फाइटर के साथ एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (ASL) नाम की प्रकाशन कंपनी की स्थापना की। जिसमे कभी भी नेहरू का मालिकाना हक नही था क्योंकि उसमे 5000 शेयर होल्डर भी थे।
- ASL ने तीन अखबार शुरू किए जिसमें हिंदी में नव जीवन, उर्दू में कौमी आवाज़ और अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड जो आज़ादी के बाद कांग्रेस पार्टी का मुखपत्र बन गया था।
- समय के साथ साथ अखबारों की बिक्री कम होने लगी और कंपनी ने फैसला लिया कि अब और अखबार नही छापे जायेंगे, अब तक कंपनी 90 करोड़ डुबो चुकी थी, जिसके भुगतान के लिए एक योजना बनाई गई। जिसके तहत कांग्रेस ने ‘एक यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की कंपनी की स्थापना की, जो एक नॉन - प्रॉफिट कम्पनी थी। जिसमें 76 प्रतिशत शेयर्स सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नाम थे और बाकी बचे शेयर्स कांग्रेस लीडर मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के थे।
- सोनिया गांधी की कांग्रेस पार्टी ने ही इस नॉन - प्रॉफिट कम्पनी को 90 करोड़ रुपए दे दिए और इन्ही रुपयों का उपयोग कर कंपनी ने ASL को खरीद लिया।
- प्रकाशन के बाद ASL एक रीयल एस्टेट कंपनी बनी जिसका बिजनेस मुंबई, दिल्ली और लखनऊ में था।
2012 में हुआ मामले का खुलासा
-साल 2012 में बीजेपी के नेता व एडवोकेट सुब्रमण्यन स्वामी ने एक पीआईएल डालकर इस मामले का खुलासा किया। जहां उन्होंने कांग्रेस पार्टी के नेताओं पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया ।
-साथ ही वह बताते हैं कि कांग्रेस ने अकाउंट्स में झोल कर इस 90 करोड़ की राशि को 50 लाख कर दिया। इनकम टैक्स एक्ट के हिसाब से कोई भी पॉलिटिकल पार्टी किसी भी थर्ड पार्टी के साथ पैसे का लेन - देन नही कर सकती।
- साथ ही स्वामी ने आरोप लगाया है कि अब रियल स्टेट बनी कंपनी ने जो भी प्रॉपर्टी ली गई, वह कांग्रेस के नेताओं ने अपने नाम कर ली और ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि ASL को यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड खरीद चुकी थी। बता दें कि संपत्ति की राशि करीब 2000 करोड़ की है।