मनी लॉन्ड्रिंग केस: चार्टशीट में जैकलीन और नोरा का आया नाम, 9 लाख की बिल्लियों समेत दिए 11 करोड़ के गिफ्ट
सामने आया है कि सुकेश चंद्रशेखर ने जैकलिन फर्नांडीस को 52 लाख का घोड़ा व नौ लाख की पर्शियन बिल्ली जबकि नोरा फतेही को एक बीएमडब्ल्यू कार गिफ्ट की थी इस मामले को लेकर पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय ने इन दोनों अभिनेत्रियों को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था।
बता दें इस केस की शुरुआत 200 करोड़ की एक रंगदारी से हुई थी जो सुकेश चंद्रशेखर ने एक बिजनेसमैन की पत्नी से वसूली थी। पिछले दिनों दिल्ली स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा इन बातों का खुलासा किया गया था। यह भी सामने आया है कि सुकेश चंद्रशेखर ने जैकलिन फर्नांडीस को 52 लाख का घोड़ा व नौ लाख की पर्शियन बिल्ली जबकि नोरा फतेही को एक बीएमडब्ल्यू कार गिफ्ट की थी इस मामले को लेकर पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय ने इन दोनों अभिनेत्रियों को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था।
क्या होती है मनी लॉन्ड्रिंग:
मनी लॉन्ड्रिंग शब्द की उत्पत्ति यूएसए में माफिया समूहों से हुई। भारत में मनी लॉन्ड्रिंग को हवाला के रूप में जाना जाता है। भारत में मनी लॉन्ड्रिंग सबसे ज्यादा लोकप्रिय 1990 के दशक के दौरान हुआ था, जब इसमें कई नेताओं के नाम उजागर हुए थे।
मनी लॉन्ड्रिंग से तात्पर्य अवैध तरीके से कमाए गए काले धन को वैध तरीके से कमाए गए धन के रूप में दिखाने से होता है। मनी लॉन्ड्रिंग अवैध रूप से प्राप्त धनराशि को छुपाने का एक तरीका है , मनी लॉन्ड्रिंग से पैसा ऐसी जगह निवेश किया जाता है, जहां जांच करने वाली एजेंसियां भी धन के मुख्य स्रोत का पता नहीं लगा पाती हैं। जो व्यक्ति धन की हेरा-फेरी करता है उसे लाउंड्रर कहा जाता है, मनी लॉन्ड्रिंग में अवैध माध्यम से कमाया गया काला धन, सफेद धन में बदलकर अपने असली मालिक के पास वैध मुद्रा के रूप में लौट आता है।
लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया के चरण:
लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया में तीन चरण शामिल होते हैं:
( 1 ) प्लेसमेंट - इसमें लाउंड्रर बैंक में पैसे जमा करता है।
( 2 ) लेयरिंग – इसमें लॉन्ड्रर अपने बैंक से लेन-देन करके असली आय को छुपा लेता है। और इन पैसों को अपने विदेशी अकाउंट में जमा करा देता है। ये अकाउंट उन देशों में होता है जो देश मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी अभियानों में सहयोग नहीं करते है। जैसे- स्वीटजरलैंड।
( 3 ) इंटीग्रेशन – इस प्रक्रिया के माध्यम से बाहर भेजा गया पैसा या देश में खपाया गया पैसा वापस लाउंड्रर के पास वैध रूप में आ जाता है, यह लग्जरी सामान खरीदने या गिफ्ट्स देने या किसी कंपनी में निवेश करने के रूप में वापस आता है।
कैसे की जाती है मनी लॉन्ड्रिंग:
मनी लॉन्ड्रिंग करने के कई तरीके हो सकते हैं , जिनमें से तीन सबसे अहम तरीके निम्न हैं:
• फर्जी कंपनी बनाना, जिसे सेल कंपनी भी कहा जाता है ।
• किसी बड़े मॉल मकान को खरीदना और कागजों पर उसकी कीमत कम कर के दिखाना ।
• एक अन्य तरीके से मनी लॉन्ड्रिंग तब होती है , जब लॉन्ड्रर कई माध्यमों से अपना धन ऐसे देशों के बैंकों में जमा करा देता है, जहां उसके खाते की जांच का अधिकार किसी अन्य देश की सरकार को नहीं होता है । इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्वीटजरलैंड है।
(जहां बड़ी संख्या में भारतीयों का काला धन जमा है, जो मनी लॉन्ड्रिंग से कमाया गया है।)
भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए कानून:
प्रीवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट, 2002 में बना था लेकिन इसमें तीन बार 2005, 2009 तथा 2012 में संशोधन किए जा चूके हैं।
प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट 2012 अपराधियों की सूची में - धन , कब्जा , अधिग्रहण और धन का अपराधिक कामों में उपयोग इत्यादि को शामिल किया गया है। इस कानून के तहत वित्तीय अपराध करने वाले व्यक्ति के लिए तीन साल से सात साल तक की कठोर सजा का प्रावधान किया गया है।