ग्रीनपीस इंडिया स्टडी: दिल्लीवालों की पहली पसंद है बस, फ्री पास करता है प्रोत्साहित

ग्रीनपीस इंडिया की "बस्टलिंग थ्रू द सिटी" रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में डीटीसी विभिन्न आयु समूहों, लिंग एवं क्षेत्रों के 89.1% बस यात्रियों का पसंदीदा साधन है।

December 20, 2021 - 16:03
December 21, 2021 - 17:26
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ग्रीनपीस इंडिया स्टडी: दिल्लीवालों की पहली पसंद है बस, फ्री पास करता है प्रोत्साहित
फोटो : GreenPeace

नई दिल्ली, 20 दिसंबर: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ग्रीनपीस इंडिया आधारित अपनी तरह के प्रथम ग्रीनपीस इंडिया की "बस्टलिंग थ्रू द सिटी" रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट में बस यात्रियों मुख्यतः दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) बस यात्रियों के अनुभवों, भावनाओं एवं चुनौतियों को दर्ज किया गया है। यह रिपोर्ट ग्रीनपीस इंडिया द्वारा रीक्लैमिंग द बस कैंपेन, दिल्ली बस यात्री यूनियन और सस्टेनेबल अर्बन मोबिलिटी नेटवर्क इंडिया (एसयूएमनेट इंडिया) के सहयोग से सोमवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक चर्चा के दौरान जारी की गई।

आयु समूहों, लिंग एवं विभिन्न क्षेत्रों के अलग-अलग बस यात्रियों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के अनुसार, 89.1% लोगों ने बताया कि दिल्ली में डीटीसी उनका पसंदीदा साधन है और उनमें से एक बड़ी संख्या यानि 80% लोगों ने महिलाओं के लिए उपलब्ध मुफ्त सेवाओं का स्वागत किया। ग्रीनपीस के अध्ययन में कई और दिलचस्प जानकारियां प्राप्त होती हैं। अध्ययन के मुताबिक 10% लोगों का रूख कोविड -19 के बाद बस सेवाओं की ओर हुआ क्योंकि लॉकडाउन से उनके घरेलू खर्चे प्रभावित हुए थे। साथ ही साथ, सार्वजनिक परिवहन यात्रा में ‘काफी’ समय लगने वाली लोकप्रिय धारणा के विपरीत, सर्वेक्षण में शामिल 71% बस यात्रियों ने बताया कि उनकी प्रति दिन औसत यात्रा का समय 30 मिनट से कम है। 

गौरतलब है कि भारत में परिवहन क्षेत्र तीसरा सबसे बड़ा CO2 उत्सर्जक होने के साथ ही भारत के वायु प्रदूषण संकट का एक प्रमुख कारक भी है। जबकि देश के परिवहन क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले कुल उत्सर्जन का 90% अकेले सड़क परिवहन से आता है। पर्यावरणीय लाभों के अलावा, सार्वजनिक परिवहन के बुनियादी ढाँचे पर विशेष ध्यान देने की जरूरत महसूस होती है। परिवहन क्षेत्र में सुधार से एक बड़ी आबादी के लिए परिवहन एक किफायती साधन के तौर पर उपलब्ध होगा। यह सामाजिक न्याय के दिशा में भी एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप होगा। 

ग्रीनपीस के अध्ययन के अनुसार, बसों की संख्या में वृद्धि और सभी रूटों पर उनकी उपलब्धता सबसे बड़े माँगों के रूप में चिह्नित की गई। 40% लोगों ने कहा कि बस सेवाओं को सभी के लिए मुफ्त बनाया जाना चाहिए और बस स्टॉप पर शौचालय जैसी सुविधाओं के साथ ही उसे और अधिक सुविधाजनक बनाया जा सकता है। सर्वेक्षण में शामिल लोगों के पास निजी वाहन नहीं थे। यह इस बात की भी तस्दीक देता है कि कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन एक महत्वपूर्ण औज़ार है।  

“बस्टलिंग थ्रू द सिटी रिपोर्ट दिल्ली के सभी क्षेत्रों को जोड़ने वाली अधिक एवं सुरक्षित रूप से सुलभ बसों की हमारी माँग का समर्थन करती है। इस शहर के लिए योजना बनाते समय सरकार को बस यात्रियों को केंद्र में रखना चाहिए। दिल्ली में 70-80% लोगों के पास कार और निजी वाहन नहीं हैं, अतः वे बसों और साझा परिवहन का उपयोग करते हैं। वे वायु प्रदूषण और दिल्ली में व्याप्त जलवायु संकट के विरुद्ध लड़ाई में सीधे तौर पर योगदान दे रहे हैं। दिल्ली सरकार, सरकारी कर्मचारियों को विशेष एवं मुफ्त बस सेवा प्रदान कर रही है। अब उन्हें सार्वजनिक परिवहन को सभी के लिए मुफ्त करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए,”

दिल्ली बस यात्री यूनियन के निशांत ने कहा। इस तरह के सर्वेक्षण की ज़रूरत पर अपनी राय देते हुए, ग्रीनपीस इंडिया के सिनियर क्लाइमेट कैंपेनर  अविनाश चंचल ने कहा, “हमारे सर्वेक्षण का उद्देश्य, दिल्ली में बस यात्रियों की चुनौतियों, भावनाओं और प्रेरणाओं को समझना था। मुझे विश्वास है कि यह अध्ययन अधिकारियों और नागरिकों के बीच चर्चा का मार्ग प्रशस्त करने के साथ-साथ हमारे शहरों में बेहतर सार्वजनिक परिवहन बुनियादी ढांचे को विकास की ओर ले जाएगा। अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि बेहतर सार्वजनिक परिवहन, विशेष रूप से बसें, शहरों को अधिक उत्पादक, लचीला, सुरक्षित, स्वच्छ और सामाजिक रूप से समावेशी बनाने में मदद कर सकती हैं।”

अन्य वक्ताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही ये बातें: 

सस्टेनेबल अर्बन मोबिलिटी नेटवर्क (एसयूएम नेट) के राजेंद्र रवि ने कहा:
“यह चिंताजनक है कि हाल के दिनों में, प्रदूषण संकट ने दिल्ली में स्कूलों को बंद करने के लिए मजबूर किया और साँस से संबंधित समस्याएं आसमान छू रही हैं। ये मामले 'सामान्य' नहीं होने चाहिए और एक ऐसी कुशल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली बनाई जानी चाहिए जो रोज़ी-रोजगार तक पहुँच प्रशस्त करें। सामाजिक न्याय की दिशा में प्रभावित साबित होते हुए दिल्ली के वायु प्रदूषण और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सके। हमारे अन्य सदस्य भागीदार महाराष्ट्र में भी सभी शहरों में प्रति लाख लोगों पर पचास बसों की मांग कर रहे हैं।”

रीकलैमिंग द बस कैंपेन से नानू प्रसाद ने कहा: 

"बस्टलिंग थ्रू द सिटी" सरकार को प्रत्येक वर्ष 1000 नई बसें शामिल करने की प्रक्रिया में तेज़ी लाने के संबंध में एक महत्वपूर्ण पहल होना चाहिए। इससे डीटीसी भारत की नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिबद्धता में योगदान देने के साथ-साथ स्वच्छ वायु एवं हरित भविष्य के निर्माण में सहायक हो सकती है। इस  अध्ययन के माध्यम से स्पष्ट रूप से ये पता चलता है कि कोविड -19 ने बस उपयोग को काफी प्रभावित किया है क्योंकि यात्रियों को अधिक समय तक इंतज़ार करना पड़ रहा है। इसलिए, हमने सार्वजनिक बस परिवहन को प्रोत्साहित करने एवं सुचारू रूप से प्रणाली को संचालित करने के लिए संसाधन उपलब्ध कराने हेतु दिल्ली के लिए एक मसौदा बस नीति तैयार की है।”

जलवायु और ऊर्जा विशेषज्ञ सौम्या दत्ता ने कहा:

"यथोचित रूप से तेज़, निरंतर, ग़रीब लोगों के लिए या तो मुफ्त या आसानी से वहनीय, सभी आवासीय क्षेत्रों एवं प्रमुख कार्य केंद्रों को जोड़ने वाली तथा उचित रूप से आरामदायक सार्वजनिक बस प्रणाली -- न्याय के दृष्टिकोण से दोनों प्रमुख जलवायु लक्ष्यों के एजेंडे को आगे बढ़ा सकती है। यह भीड़-भाड़ और वायु प्रदूषण को कम करके, शहर की समग्र स्थिति में भी सुधार करती है। इससे उत्पन्न होने वाला उत्सर्जन, प्रति यात्री किलोमीटर के हिसाब से मापे गए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से बहुत कम है, इसके किराए की संरचना न्यूनतम है, और सड़कों एवं रोलिंग स्टॉक दोनों के लिए बहुत कम निवेश की आवश्यकता होने के साथ ही, शहरी ग़रीबों के लिए बेहतर उत्पादकता एवं आय परिणाम में रूपांतरण होगा। परिणामस्वरूप सीधे तौर पर अधिक न्यायसंगत शहर के रूप में रूपांतरण होता है, फलस्वरूप, अतिरिक्त सामाजिक बुनियादी ढाँचे के लिए निवेश योग्य संसाधनों की बचत होती है। वायु प्रदूषण को काफी हद तक कम करके अच्छी स्थिति में चलने वाली बसें, अनुपातहीन रूप से प्रभावित करती हैं – तत्पश्चात् ग़रीब, सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों में भी सुधार करेगा।"

क्या है ग्रीनपीस इंडिया:

ग्रीनपीस इंडिया वैश्विक पर्यावरण समूह ग्रीनपीस की भारतीय शाखा है , जो एक गैर-लाभकारी गैर सरकारी संगठन है, जिसकी यूरोप, अमेरिका, एशिया के 55 देशों में उपस्थिति है। ग्रीनपीस इंडिया ने कानूनी रूप से 4 स्थानों पर सोसायटी पंजीकृत की है, जिसका मुख्यालय बेंगलुरु और दिल्ली, चेन्नई, पटना में अन्य शाखाओं के रूप में है।

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