Raja Mahendra Pratap: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की जमीन किसने दी ? जानिए राजा महेंद्र प्रताप के बारे में
Raja Mahendra Pratap: 1 दिसंबर 1915 का दिन था जब राजा साहब का जन्मदिन था, उस दिन वो 28 साल के हुए थे और उन्होंने भारत से बाहर देश की पहली निर्वासित सरकार का गठन किया, बाद में सुभाष चंद्र बोस ने 28 साल बाद उन्हीं की तरह आजाद हिंद सरकार का गठन सिंगापुर में किया था।
Raja Mahendra Pratap: राजा महेंद्र प्रताप यानी वह शख्सियत जिसने देश के भावी प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की चुनावों में मथुरा से उनकी जमानत जब्त करा दी थी। इतना ही नहीं यही वो क्रांतिकारी थे जिन्होने 28 साल पहले वो काम कर दिया था, जिसको नेताजी बोस ने साल 1943 में अंजाम दिया था।
बता दें कि यही वो व्यक्तित्व था जिसे गांधी की तरह ही नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया और उन दोनों ही साल नोबेल पुरस्कार का ऐलान नहीं हुआ और पुरस्कार राशि स्पेशल फंड में बांट दी गई थी।
वहीं किस्सों की बात करें तो दिन था 1 दिसंबर 1915 का यानी राजा साहब का 28वां जन्मदिन, जब उन्होंने भारत से बाहर देश की पहली निर्वासित सरकार का गठन किया था। उन्हीं का अनुसरण करते हुए बाद में सुभाष चंद्र बोस ने 28 साल बाद आजाद हिंद सरकार का गठन सिंगापुर में किया था। जिसमें राजा महेंद्र प्रताप को उस सरकार का राष्ट्रपति बनाया गया यानी राज्य प्रमुख की जिम्मेदारी निभाने का दायित्व उन्हें सौंपा गया और मौलवी बरकतुल्लाह को राजा का प्रधानमंत्री तथा अबैदुल्लाह सिंधी को गृहमंत्री बनाया गया था।
उपलब्धियों के इस क्रम में उनके खाते में भारत का पहला पॉलिटेक्निक कॉलेज भी शामिल है। उन्होंने वृंदावन में एक पॉलिटेक्निक कॉलेज खोला और जिसका नाम प्रेम महाविद्यालय रखा गया। राजा महेंद्र प्रताप मॉर्डन एजुकेशन के हिमायती थे, जिसके चलते उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के लिए भी जमीन दान की थी।
देश की आजादी के बाद लोगों का मानना था कि उनसे बेहतर कोई विदेश मंत्री नहीं हो सकता था, लेकिन उन्होंने किसी से कुछ मांगा नहीं और आमजन के लिए काम करते रहे। पंचायत राज कानूनों, किसानों और फ्रीडम फाइटर्स के लिए लड़ते रहे। राजा महेंद्र प्रताप ने ही अटल बिहारी बाजपेयी को 1957 के आम चुनाव में करारी शिकस्त दी थी। चुनावी दस्तावेजों को पलटें तो पता चलेगा कि 1957 के लोक सभा चुनावों में मथुरा लोकसभा सीट से राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने चुनाव लड़ा था। चुनाव में लगभग 4 लाख 23 हजार 432 वोटर थे। जिसमें 55 फीसदी यानि लगभग 2 लाख 34 हजार 190 लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया था। 55 फीसदी वोट उस वक्त पड़ना बड़ी बात मानी गई और इसको राजा साहब की जनता के बीच मांग से जोड़ा गया। वहीं इस चुनाव में जीतने वाले निर्दलीय प्रत्याशी राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने भारतीय जन संघ पार्टी के उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी की जमानत तक जब्त करा दी थी। नियमानुसार कुल वोटों का 1/6 वोट नहीं मिलने पर जमानत राशि जब्त हो जाती है और अटल बिहारी के साथ यही हुआ यानी उन्हें चुनाव में 1/6 से भी कम वोट मिले। जबकि राजा महेंद्रप्रताप (#rajamahenderpratapsingh) को सर्वाधिक वोट मिले और उन्होंने विजय पताका लहराई।
परंतु विडंबना रही कि राजा महेंद्र प्रताप भी उन्हीं तमाम चेहरों में शामिल कर दिए गए जिनका आजादी के बाद इतिहासकारों ने सही ढंग से मूल्यांकन नहीं किया।
Written By: Jagruparam Choudhary