सर्वोदय दिवस: जानिए भारत में 'सर्वोदय दिवस' कब मनाया जाता है और मनाने के पीछे का इतिहास क्या है?
भारत के लिए बलिदान देने वाले शहीदों की याद में हर साल 7 दिन सर्वोदय दिवस के रूप में घोषित किए गए हैं। प्रत्येक दिन की अपनी क्रांतिकारी कहानी और गौरवपूर्ण इतिहास है।
संपूर्ण भारत में सर्वोदय दिवस 7 अलग–अलग तिथियों पर मनाया जाता है। प्रत्येक दिन की अपनी क्रांतिकारी कहानी और गौरवपूर्ण इतिहास है। राष्ट्रीय स्तर पर इन तिथियों को सर्वोदय दिवस के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि भारत के लिए बलिदान देने वाले शहीदों की याद में हर साल 7 दिन सर्वोदय दिवस के रूप में घोषित किए गए हैं। आईए जानते हैं उन सात दिनों के गौरवपूर्ण इतिहास के बारे में–
30 जनवरी: पहला दिन
साल का प्रथम शहीद दिवस 30 जनवरी को राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन साल 1948 में हिंदू चरमपंथी नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या कर दी थी। इस दिवस के उपलक्ष पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा कर्मी राजघाट स्मारक में स्तिथ समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं एवं सम्मान के प्रतीक के रूप में इस दिन अंतर–सेवा दल अपने हत्यारों को उल्टा रखते हैं।
23 मार्च: दूसरा दिन
हर साल 23 मार्च को भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु की पुण्यतिथि के रूप में शहीद दिवस मनाया जाता है। 23 मार्च 1928 के दिन लाहौर पाकिस्तान में एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सांडर्स की हत्या के लिए इन तीनों स्वतंत्रता सैनानियों को फांसी पर लटका दिया गया था।
19 मई: तीसरा दिन
इस दिन को ‘भाषा शहीद दिवस’ के रूप में असम में मनाया जाता है। इसी दिन साल 1961 को असमिया भाषा को राज्य का एकमात्र आधिकारिक भाषा बनाने के असम सरकार के फैसले के विरोध में किए गए प्रदर्शन में राज्य पुलिस द्वारा 15 लोगों की हत्या कर दी गई थी।
13 जुलाई: चौथा दिन
13 जुलाई को जम्मू–कश्मीर में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 1931 में इसी दिन महाराजा हरि सिंह के शाही सैनिकों ने महाराजा के विरोध में प्रदर्शन कर रहे 22 प्रदर्शनकारियों को मौत के घाट उतार दिया था।
17 नवंबर: पांचवा दिन
स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख हस्तियों में से एक लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि के रूप में ओडिशा में इस दिन को व्यापक रूप से मनाया जाता है। लाला लाजपत राय को उनकी प्रबल विचारधाराओं के लिए उन्हें ‘पंजाब के शेर’ और ‘पंजाब केसरी’ की उपाधि दी गई थी। राय की मृत्यु 17 नवंबर 1928 को दिल का दौरा पड़ने से हुई थी।
19 नवंबर: छठा दिन
19 नवंबर को रानी लक्ष्मीबाई की जन्मदिन के उपलक्ष में सम्पूर्ण झांसी में यह दिन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मानने का मुख्य उद्देश्य 1857 के विद्रोह के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वालों को सम्मान देना है। रानी लक्ष्मीबाई उस विद्रोह की प्रमुख हस्ती थीं।
24 नवंबर: सातवां दिन
इस दिन को गुरु तेग बहादुर की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। गुरु तेग बहादुर सिखों के दस गुरुओं में से नौवें गुरु थे, जिन्होंने साल 1665 से 1675 के बीच सिख धर्म और सिख नेताओं के संगठन की स्थापना की थी।
देश के सभी वीरों और उनके अमूल्य योगदान के लिए सम्पूर्ण भारतवर्ष में हम मुख्य रूप से इन सात दिनों के रूप में उन्हें याद करते हैं।