शहीद दिवस 2022: 23 साल की उम्र में 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को दी गई थी फांसी, जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ जानकारियाँ

असेंबली पर बम फेंकने की घटना के 2 साल बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को गिरफ्तार कर लिया गया और बम फेंकने एवं ब्रिटिश अधिकारी जॉन सांडर्स की हत्या के आरोप में उन्हें फांसी की सजा सुना दी गई थी।

March 23, 2022 - 23:52
March 24, 2022 - 10:46
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शहीद दिवस 2022: 23 साल की उम्र में 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को दी गई थी फांसी, जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ जानकारियाँ
भगत सिंह -फोटो : Social Media

23 मार्च 1961 के दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दे दी गई थी। संपूर्ण भारत में उनको याद करते हुए ‘शहीद दिवस’ मनाया जाता है।

देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने की चाह में अपनी जान गंवाने वाले वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 23 मार्च के दिन ही फांसी दी गई थी, इस उपलक्ष में 23 मार्च को पूरा देश ‘शहीद दिवस’ के रूप में मनाता है।

भगत सिंह से क्रांतिकारी भगत सिंह बनने की कहानी

भगत सिंह का जन्म पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गांव में 27 सितम्बर 1907 को हुआ था, जो की उस समय में ब्रिटिश भारत का हिस्सा था परंतु अब पाकिस्तान का हिस्सा है। इनका परिवार शुरुआत से ही राजनीति में सक्रिय था और इनके पिता और चाचा साल 1907 में नहर उपनिवेश विधेयक तथा साल 1914–15 के गदर आंदोलन का भी हिस्सा रह चुके थे। भगत सिंह के अंदर क्रांति की ज्वाला जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय से भड़की, जबकि भगत सिंह उस वक्त मात्र 12 वर्ष के थे। साल 1919 में हुई इस घटना का उनके जीवन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा और यही कारण था कि कुछ साल बाद वह खुलकर अंग्रेजों का विरोध करने लगे। हालांकि ब्रिटिश सरकार के विरोध के दौरान इनका साथ इनके परम मित्र सुखदेव और राजगुरु ने भी दिया था।

भगत सिंह के अनुसार आजादी की परिभाषा

भगत सिंह के अनुसार भारत की असल आजादी का मायना ब्रिटिश सरकार के भारत से पलायन करने से जुड़ा हुआ था। उनका मानना था कि जब तक ब्रिटिश सरकार हमारे देश में रहेगी तब तक लोगों का शोषण होता रहेगा।

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को क्यों दी गई फांसी?

आजादी के महान क्रांतिकारियों में से एक लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद भगत सिंह एवं उनके साथियों ने क्रांति की कमान अपने हाथों में ले ली थी। वहीं ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारी प्रदर्शन करते हुए उन्होंने पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्ट्रीब्यूटर बिल के विरोध में 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली में कई बम भी फेंके थे। घटना के 2 साल बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को गिरफ्तार कर लिया गया और बम फेंकने एवं ब्रिटिश अधिकारी जॉन सांडर्स की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुना दी गई थी। 23 मार्च 1931 को इन तीनों क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गई जिससे पूरा भारत सन्न रह गया।

शहीद दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया

23 मार्च, शहीद दिवस के उपलक्ष पर प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा– “शहीद दिवस पर भारत माता के अमर सपूत वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को कोटि–कोटि नमन। मातृभूमि के लिए मर मिटने का उनका जज्बा देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा। जय हिंद!”

इस दिवस के महत्व को याद करते हुए ट्वीट करने के साथ–साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम 6 बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में बने बिपलोबी भारत गैलरी का उद्घाटन भी करेंगे।

पंजाब में 23 मार्च को राजकीय अवकाश

हाल ही में पंजाब विधानसभा चुनाव में जीती आम आदमी पार्टी ने 23 मार्च को भगत सिंह की पुण्यतिथि के रूप में राजकीय अवकाश घोषित किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा सभा में इस छुट्टी की घोषणा की गई तथा साथ ही लोगों को भगत सिंह के गांव जाने के लिए भी प्रेरित किया।

 

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