वैज्ञानिकों का दावा: एंटीडिप्रेसेंट दवाएं हैं कोरोना के इलाज में कारगर
कोविड के इलाज को लेकर एक अच्छी खबर आई है। प्रयोगकर्ताओं ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि आम तौर पर उपलब्ध अवसादरोधी दवाओं से गंभीर कोविड के खतरे को 30 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
कोविड के इलाज को लेकर एक अच्छी खबर आई है। प्रयोगकर्ताओं ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि आम तौर पर उपलब्ध अवसादरोधी दवाओं से गंभीर कोविड के खतरे को 30 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
परीक्षणों से पता चलता है कि जिन लोगों को फ्लूवोक्सामाइन नामक दवा दी गई उनमें कोरोना के कम कठोर लक्षण दिखाई दिए। अच्छी बात यह है कि फ्लूवोक्सामाइन लेने से लोगों को अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया। मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा यह दावा किया गया है।
बता दें कि अमेरिका, कनाडा और ब्राजील के वैज्ञानिकों ने मिलकर कोरोना के 1,472 मरीजों का अध्ययन किया। इनमें से 739 प्रतिभागियों को जिन्हें कोविड का पता चला था, उन्हें 10 दिनों के लिए दिन में दो बार 100 मिलीग्राम फ्लूवोक्सामाइन की खुराक दी गई। जबकि 733 मरीजों को प्लेसीबो (बिना दवाई की मीठी गोली) दी गई। जिन रोगियों को फ्लूवोक्सामाइन दिया गया, उनमें से 79 या लगभग 11 प्रतिशत को अस्पताल में भर्ती होने या आपातकालीन स्थिति की आवश्यकता थी। इसकी तुलना में, प्लेसबो देने वालों में यह संख्या 16 प्रतिशत थी। इस तरह यह दवा इससे जुड़े जोखिम को 30 प्रतिशत तक कम करने में कारगर रही।
कोर्स पूरा करने की कीमत $4:
कनाडा की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एडवर्ड मिल्स का कहना है कि फिलहाल कोरोना मरीजों के लिए चुनिंदा इलाज ही उपलब्ध है। ऐसे में यह दवा मरीजों को राहत दे सकती है। एक कोरोना मरीज को दवा का कोर्स पूरा करने में 4 डॉलर का खर्च आएगा। डब्ल्यूएचओ से अनुमति मिलने के बाद इसका व्यापक स्तर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
यह जानना दिलचस्प होगा कि Fluvoxamine का उपयोग वर्तमान में मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों जैसे कि अवसाद और मानसिक विकारों के इलाज के लिए किया जाता है।