Shahbaz Sharif: इरफान खान को हटाकर शहबाज शरीफ बने पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री
पाकिस्तान की National Assembly यानि संसद में विपक्ष के नेता रहे शहबाज़ शरीफ ने सोमवार को पाकिस्तान के 23वे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। शरीफ ने संसद में बहुमत खो चुके इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को सत्ता से हटा कर अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) को सत्ता में काबिज़ किया है।
शरीफ ने संसद में बहुमत खो चुके इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को सत्ता से हटा कर अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) को सत्ता में काबिज़ किया है। लेकिन उनकी पार्टी के अलावा भी नयी सरकार में कई पार्टियां है तो क्या कारण रहे कि शहबाज़ शरीफ को ही प्रधानमंत्री चुना गया।
आइये जानते हैं-
1. शहबाज़ शरीफ के प्रधान मंत्री चुने जाने का सबसे बड़ा कारण रहा PML (Nawaz) का सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होना।
national assembly में जहाँ PML (Nawaz) के 84 सांसद हैं वहीँ पाकिस्तान के पूर्व राष्टपति आसिफ अली ज़रदारी की Pakistan Peoples Party यानि PPP 47 सांसदों के साथ विपक्ष में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी रही है
2. दूसरा कारण रहा उनका का पुराना प्रशासनिक अनुभव
शहबाज़ शरीफ जनसँख्या के हिसाब से पाकिस्तान के सबसे बड़े और राजनितिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य पंजाब के 3 बार मुख्यमंत्री रह चुके है।
उन्होंने सबसे पहली बार फ़रवरी 1997 से लेकर अक्टूबर 1999 तक पंजाब की बागडोर संभाली। इसके बाद 2008 से लेकर अगले 10 साल, यानि 2018 तक उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर अपने 2 और कार्यकाल पुरे किये।
इस दौरान उनकी छवि एक अच्छे और मज़बूत प्रशासक की बनी। कई लोग पंजाब के infrastructure में बड़े सुधार लाने का श्रेय शहबाज़ शरीफ को ही देते हैं। national assembly में अलग अलग मुद्दों को लेकर भी वो इमरान सरकार पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं।
3. कुछ experts का मानना ये भी है कि प्रधान मंत्री के तौर पर शहबाज़ शरीफ को चुनने का एक कारण पाकिस्तानी सेना का उनके प्रति नरम रवैया भी रहा ।
जहाँ उनके बड़े भाई नवाज़ शरीफ 2018 में सत्ता से बेदखल होने के बाद सेना की आलोचना करते देखे गए थे, शहबाज़ शरीफ इस समय सेना के साथ सामंजस्य बनाकर चलने के पक्षधर हैं। हालाँकि अब बहुमत की सरकार तो बन गयी है लेकिन नए प्रधानमंत्री के सामने कई चुनोतियाँ भी है।
सबसे बड़ी तो यही, कि अपनी गठबंधन की सरकार को 2023 के अगले आम चुनाव तक बचाकर रखना, क्योंकि नयी सरकार में शहबाज़ शरीफ की PML (Nawaz) और पूर्व प्रधानमंत्री आसिफ अली ज़रदारी की PPP के अलावा MQM और MMA जैसी कई छोटी छोटी पार्टियां भी हैं।
जहाँ PML (Nawaz) और PPP एक दुसरे के धुर विरोधी रह चुके हैं वहीँ MQM और MMA जैसी पार्टियां वैचारिक रूप से काफी रूढ़ीवादी मानी जाती हैं।
उनके लिए दूसरी बड़ी चुनौती होगी पाकिस्तान की कमज़ोर होती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना। इमरान सरकार की आर्थिक मोर्चे पर नाकामी ने ही वैचारिक रूप से अलग अलग विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने का काम किया था।
अब क्योंकि सरकार उन्ही के हाथों में है तो अगले आम चुनाव से पहले शहबाज़ शरीफ को अर्थव्यवस्था में कुछ बड़े सुधार भी करने होंगे जिससे बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से जनता को राहत मिल सके। नयी सरकार के सामने अमेरिका के साथ बिगड़ते रिश्तों को सुधारने और अपने पुराने अरब मित्रों का विश्वास जीतने की भी चुनौती होगी।
वहीँ भारत और पाकिस्तान के रिश्तों का भविष्य कश्मीर मुद्दे पर ही टिके रहने के आसार हैं। शहबाज़ शरीफ ने कल अपने भाषण में भी कश्मीर का मुद्दा उठाया, जिसके कुछ ही देर बाद PM Modi ने उन्हें ट्विटर पर पाकिस्तान का नया प्रधानमंत्री बनने की बधाई दी।