शारदीय नवरात्रों की हो चुकी हैं शुरुआत: जानिए घट स्थापना का मुहूर्त और नवरात्रों से जुड़ी मान्यताएं
नवरात्रि माता की पूजा के लिए विशेष नव रातें या दिन जिनसे कई हिंदू मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। ज्योतिषियों की माने तो साल में चार बार नवरात्रि के पर्व आते हैं।
‘नवरात्रि’, माता की पूजा के लिए विशेष नव रातें या दिन जिनसे कई हिंदू मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। ज्योतिषियों की माने तो साल में चार बार नवरात्रि के पर्व आते हैं। इनमें से दो गुप्त तथा दो प्रमुख हैं। इनमें से भी शारदीय नवरात्रि को सबसे मुख्य माना जाता है। इन दिनों की गई माता की ध्यान साधना भक्ति से मां भवानी अत्यंत प्रसन्न होती हैं तथा अपने भक्तों को मनचाहा वरदान वरदान देती हैं।
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत प्रतिवर्ष अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की ‘प्रथमा’( पहली तिथि) से होती है। जिसमें पूरे नौ दिनों तक माता के भिन्न-भिन्न नौ रूपों की पूजा उपासना की जाती है। परंतु इस बार नवरात्रि में ज्योतिषीय गणना के अनुसार महज 8 दिन ही रहेंगे। जो 7 अक्टूबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर तक रहेंगे। इस दौरान देश के प्रत्येक कोने में नवरात्रों की घूम रहती है। इसका कारण नवरात्रों के ठीक बाद दसवें दिन रावण दहन या दशहरे का आयोजन किया जाता है। जो असत्य पर सत्य है की जीत को दिखाता है।
घट स्थापना का मुहूर्त:
घट स्थापना या कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6:00 बज कर 17 मिनट से 7:00 बजकर 7 मिनट तक था। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करने पर यह मनोवांछित फल देने वाला होता है। लेकिन आप इस मुहूर्त में कलश की स्थापना नहीं कर पाए हैं तो चिंता की बात नहीं है आज के दिन आपके पास एक और शुभ मुहूर्त है जिसे अभिजीत मुहूर्त के नाम से जाना जाता है। यह 11:44 से दोपहर 12:31 तक रहेगा। आप इस मुहूर्त में भी घट स्थापना कर माता की पूजा अर्चना कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं।
घट स्थापना की विधि: घटस्थापना से पहले उत्तर पूर्व दिशा को शुद्ध कर माता की चौकी सजाएं। इसके ऊपर एक लाल रंग का वस्त्र बिछाकर देवी दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें। तत्पश्चात प्रथम स्मरणीय भगवान गणेश का ध्यान कर कलश की स्थापना करें। एक कलश में लाल चुनरी लपेट लें फिर उसके मुख पर सात बार कलावे को लपेटें। तत्पश्चात कलश में जल भरकर उसमें एक लोंग का जोड़ा, तथा सुपारी व हल्दी की एक गांठ के साथ थोड़ी सी दूर्वा वा एक रुपए का सिक्का डालें। अब कलश के ऊपर आम के पत्ते लगा उस पर नारियल रखें अब इस कलश को माता की मूर्ति से दायीं दिशा में स्थापित कर, मंगलमय मां दुर्गा की स्तुति कर उनका आवाहन करें।
नवरात्रों से जुड़ी मान्यताएं: हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्रों से जुड़ी दो कथाएं प्रचलित हैं:
1.पहली कथा के अनुसार सतयुग में महिषासुर नामक राक्षस ने अत्यंत घोर तपस्या पर भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न कर उनसे वरदान मांगा की देव दानव या धरती पर रहने वाला कोई भी मानव उसका वध ना कर सके। इस वरदान के घमंड में आकर उसने चारों ओर हाहाकार मचाना शुरू कर दिया। जिसके बाद महिषासुर के आतंक से परेशान होकर देवताओं ने भगवान विष्णु की स्तुति कर देवी दुर्गा का सृजन किया। इसके बाद देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिनों तक चले भीषण युद्ध के बाद अंत में दसवे दिन देवी ने महिषासुर का सर्वनाश कर पृथ्वी को राक्षस के आतंक से मुक्त किया।
2.दूसरी मान्यता के अनुसार त्रेता युग में भगवान राम तथा रावण के बीच युद्ध हुआ। युद्ध के आरंभ से पहले भगवान राम ने देवी की स्तुति कर उनसे विजय का वरदान मांगा। देवी ने भगवान राम की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान राम को लंका विजय का आशीर्वाद दिया। भगवान राम और रावण के बीच हुए युद्ध के दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध कर असत्य पर सत्य का परचम लहराया। आज भी पूरे भारतवर्ष में रावण वध के दिन को विजयदशमी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। तथा असत्य पर सत्य की जीत हमेशा रहे इसके लिए विजयदशमी से पहले 9 दिनों तक माता की स्तुति की जाती है।