अफगानिस्तान पर तालिबान का दबदबा, बढ़ सकती हैं भारत की परेशानियां
24 अगस्त को भारत की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ फोन पर बात होने के बाद रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार निकोलाई पेत्रुशेव दो दिवसीय दौरे पर भारत आए। इससे एक दिन पहले अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA चीफ बिल बर्न्स भी भारत का दौरा करके गए। संभावना है कि वह इसके बाद इस्लामाबाद जाएगें।
24 अगस्त को भारत की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ फोन पर बात होने के बाद रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार निकोलाई पेत्रुशेव दो दिवसीय दौरे पर भारत आए। इससे एक दिन पहले अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA चीफ बिल बर्न्स भी भारत का दौरा करके गए। संभावना है कि वह इसके बाद इस्लामाबाद जाएगें।
भारत और रूस की बैठक:
भारत और रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और निकोलाई पेत्रुशेव के मध्य 8 सितम्बर 2021 को बैठक होगी। यह बैठक संभवतः मूल रूप से तालिबान के द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जे को लेकर हो सकती है। इस बैठक का आधार आतंकी संगठन लश्कर और जेईएम हो सकते हैं। यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि रूस की भूमिका अफगानिस्तान को लेकर महत्वपूर्ण है। रूस ने लगातार तालिबान से संपर्क साधा हुआ है। बता दें कि तालिबान ने अपनी सरकार के गठित होने के जश्न में रूस को आमंत्रित किया है। रूस और भारत इस विषय को भी अपनी बात-चीत में शामिल कर सकते हैं कि अफगानिस्तान में अन्य आतंकी गतिविधियों पर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है। इस बैठक में अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति, उसकी सुरक्षा और वहाँ के लोगों की स्थिति के साथ ही भविष्य में आने वाले संकट पर भी विचार किया जा सकता है। इस प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक में इस बात पर भी विचार-विमर्श किया जा सकता है कि तालिबान ने जो वादे किए हैं वह उन पर अटल रहेगा या नहीं।
तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्ज़ा यह चिंता का विषय है। तालिबान अफगानिस्तान को आतंकी अड्डे के रूप में उपयोग कर सकता है। जिससे भारत के साथ-साथ अन्य देशों को भी खतरा है। इसी सुरक्षा से संबंधित यह बैठक है। इससे पहले भारत अमेरिकी खुफिया एजेंसी के चीफ से भी बात कर चुका है। जो प्रमुखतः पाकिस्तान और तालिबान के गठजोड़ से संबंधित थी।
यह बैठक इस दृष्टि से भी जरूरी है क्योंकि इसी के आधार पर भारत और रूस अपनी रणनीति तैयार कर सकेंगे। अभी फिलहाल भारत ने अफगानिस्तान के संबंध में वेट एंड वॉच की रणनीति अपनायी हुई है।
अफगानिस्तान में पाकिस्तान की दख़ल:
15 अगस्त को जिस समय भारत अपनी आज़ादी का जश्न मना रहा था उसी समय अफगानिस्तान तालिबानियों के हाथों अपनी आज़ादी खो रहा था। अब पंजशीर घाटी पर कब्ज़ा करने के बाद तालिबान ने अंतरिम सरकार की घोषणा कर दी है। तालिबान के हाथ में अफगानिस्तान की सत्ता आने के बाद विश्व चिंता में है। पंजशीर पर तालिबान की सत्ता कायम करने में पाकिस्तान ने अहम भूमिका निभाई। पाकिस्तान की इसी दख़ल के चलते तालिबान के साथ-साथ काबुल, मजार-ए-शरीफ और जरांज में पाकिस्तान के खिलाफ भी विद्रोह किया जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि तालिबान सरकार के बनने के पीछे एक सौदा है जो विभिन्न तालिबानी गुटों के बीच हुआ है जिसमें पाकिस्तान ISI प्रमुख फैज हमीद ने अहम भूमिका अदा की है।
क्या पाकिस्तान रच रहा है कोई षडयंत्र:
पंजशीर घाटी पर तालिबान द्वारा कब्ज़ा करने में संभवतः पाकिस्तान ने मदद की है और अब इसके बदले में पाकिस्तान तालिबान के माध्यम से भारत में दख़ल कर सकता है। हालांकि अभी ब्रिक्स वर्चुअल शिखर सम्मेलन भी होना है जिससे एक दिन पूर्व भारत के प्रधानमंत्री मोदी, रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग मौजूद होगें, जो संभवतः अफगानिस्तान को लेकर होगी।
अतः पूरी दुनिया ने अफगानिस्तान और तालिबान पर बारीकी से नज़र रखी हुई है। उनका रवैया तालिबान के प्रति इस बात पर निर्भर करता है कि तालिबान ने जो वादे किए हैं वह उस पर खरा उतरता है या नहीं। वह अफगानिस्तान के लोगों के अधिकारों को सुरक्षा देता है या नहीं।