The Kashmir Files Movie Review : कश्मीरी पंडितो पर किए गए जुल्म की दासता को बयां करती है फिल्म “द कश्मीर फाइल्स”

The Kashmir Files: फिल्म “द कश्मीर फाइल्स” भारत के 630 सिनेमाघरों में रिलीज होने के साथ–साथ पहले दिन ही 3.55 करोड़ रुपए की कमाई कर चुकी है। ये फिल्म 90 के दशक में कश्मीर घाटी में किस प्रकार से आतंकियों ने कश्मीरी हिंदुओ को उनकी जमीन से बेदखल कर उनकी बेरहमी से हत्या कर दी थी इस पर आधारित है।

March 13, 2022 - 08:37
March 15, 2022 - 08:38
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The Kashmir Files Movie Review : कश्मीरी पंडितो पर किए गए जुल्म की दासता को बयां करती है फिल्म “द कश्मीर फाइल्स”
द कश्मीर फाइल्स फिल्म पोस्टर - फोटो : Social Media

हाल ही के दिनों में सुर्खियों में रही फिल्म “द कश्मीर फाइल्स” भारत के 630 सिनेमाघरों में रिलीज होने के साथ–साथ पहले दिन ही 3.55 करोड़ रुपए की कमाई कर चुकी है। यह फिल्म 90 के दशक में कश्मीर घाटी में रह रहे अल्पसंख्यक पंडितों और हिंदुओ के नरसंहार की घटना पर आधारित है।

निर्देशक - विवेक अग्निहोत्री
IMDB रेटिंग - 10/10
भाषा - हिंदी
शैली - ऐतिहासिक फिल्म/ थ्रिलर

फिल्म का आधार

फिल्म में इस्लामिक कट्टरता के व्यापक रूप को दिखाया गया है। फिल्म को देखने के पश्चात यह कहना उचित होगा कि यह बस एक फिल्म नहीं है बल्कि कश्मीरी पंडितों की सच्ची जीवनी है। कश्मीर के इस विचलित कर देने वाले इतिहास से सभी लोग परिचित हैं कि किस प्रकार से आतंकियों ने कश्मीरी हिंदुओ को उनकी जमीन से बेदखल कर उनकी बेरहमी से हत्या कर दी थी, साथ ही हिंदू महिलाओं और बच्चियों पर शर्मानक अत्याचार किया गया था। राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन, पुलिस और मीडिया जैसी ताकतों के होने के बावजूद कश्मीरी हिंदुओ को अपने जमीन से पलायन करना पड़ा था। इन्हीं यादों को उजागर करते हुए विवेक अग्निहोत्री ने इन घटनाओं को बड़े परदे के माध्यम से जनता तक पहुंचाया है।

फिल्म के किरदार
• अनुपम खेर— पुष्कर नाथ पंडित
• पल्लवी जोशी— राधिका मेनन
• मिथुन चक्रवर्ती– आईएएस ब्रह्मा दत्त
• दर्शन कुमार– कृष्णा पंडित
• चिन्मय मंडलेकर– फारूक अहमद डार (बिट्टा कराटे)
• पुनीत इस्सर— डीजीपी हरी नारायण
• मृणाल कुलकर्णी— लक्ष्मी दत्त
• सौरव वर्मा— अफजल
• प्रकाश बेलावाड़ी— डॉ महेश कुमार

क्या है फिल्म की स्टोरी?

“द कश्मीर फाइल्स” का मुख्य पात्र दिल्ली के ENU नामक टॉप कॉलेज में पढ़ रहा छात्र कृष्णा पंडित है। कृष्णा के दादा पुष्कर नाथ जो कि एक रिटायर्ड शिक्षक हैं, उन्हें 1990 में कश्मीर छोड़ना पड़ा था, परंतु आज भी उनका एक ही सपना है की वो वापस अपने घर कश्मीर जा सकें। कृष्णा अपने कॉलेज के चुनाव में खड़ा होता है। देश में चल रहे कश्मीरी मुद्दों की चर्चा पर उसे विश्वास नहीं होता है और इसी कारण वो स्वयं कश्मीर रवाना हो जाता है। कश्मीर पहुंचने के बाद उसे अपने जीवन की वास्तविकता का अनुभव होता है, और यहीं से कश्मीर को लेकर कृष्णा की अवधारणा भी बदल जाती है। कश्मीर पहुंचने के बाद कृष्णा की मुलाकात पुष्कर नाथ के चार मित्रों से होती है जो कृष्णा को उसके माता–पिता की मृत्यु से संबंधित असलियत से वाकिफ़ करवाते हैं।

इस फिल्म में कृष्णा के बाद यदि कोई किरदार निखरकर सामने आया है तो वो है पुष्कर नाथ का किरदार, जिसे अनुपम खेर ने बखूबी निभाया है। अनुपम खेर एक उम्दा अभिनेता होने के साथ–साथ एक कश्मीरी पंडित भी हैं, और शायद यही कारण है की उन्होंने फिल्म के भावनात्मक दृश्य में स्वयं को उस किरदार में सराबोर कर जनता को भावुक होने पर मजबूर कर दिया है।

फिल्म का रिव्यू

इस फिल्म का शीर्षक ही कहानी की स्टोरी को दर्शाने में सक्षम है। “द कश्मीर फाइल्स” के माध्यम से विवेक अग्निहोत्री ने कश्मीर की उन फाइलों को खोलने की कोशिश की है, जिस पर इतने वर्षों से धूल की मोटी परत जमी हुई थी। कुल मिलाकर बात करें तो संपूर्ण फिल्म का उद्देश्य जनता को हिंदुओं पर हुए इस्लामी अत्याचारों से परिचित कराना है। फिल्म में शुरुआत से लेकर अंत तक मुस्लिम समुदाय को नकारात्मक रूप से दिखाया गया है वहीं हिंदुओं के पीड़ा को अत्यंत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। बात अगर कहानी की करें तो कहानी बेहद ही उम्दा है साथ ही कई दृश्य ऐसे भी हैं जो दर्शकों के रोंगटे खड़े कर सकते हैं। विवेक अग्निहोत्री की मेहनत फिल्म में साफ झलकती है और यही कारण है की पूरी फिल्म जनता को बांधे रखने में सक्षम है।

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