The Kerala Story, Ban Case: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को लगाई फटकार, कहा फिल्म को चलाने के लिए हो उचित सुरक्षा इंतजाम
The Kerala Story: पश्चिम बंगाल की तरफ से सीनियर वकील एएम सिंघवी ने तर्क दिया कि फिल्म तीन दिनों तक राज्य में चली और इस दौरान काफी बड़ी संख्या में तमाम इंटेलिजेंस रिपोर्टों ने फिल्म से सामाजिक व्यवस्था और शांति के भंग होने की आशंका जताई थी। इस पर पीठ ने एक नोटिस जारी करते हुए पश्चिम बंगाल राज्य से पूछा कि जब पूरे देश में द केरला स्टोरी शांतिपूर्वक चल रही है तो आपके यहां क्या दिक्कत है।
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में " द केरल स्टोरी" फिल्म बैन कर दी गई थी। इसके विरुद्ध फिल्म के निर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। फिल्म प्रोडक्शन की तरफ से पैरवी करते हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने तमिलनाडु के संबंध में कहा कि वहां फिल्म पर आंशिक बैन (de facto) लगा दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि वहां के थिएटरों में फिल्म लगाई गई थी लेकिन लगातार मिलने वाली धमकी के कारण थिएटर मालिकों ने उसे हटा दिया। उन्होंने तमिलनाडू में फिल्म को चलाए जाने के लिए कोर्ट से जरूरी सुरक्षा इंतजामों को मुहैया कराने की भी बात कही।
वहीं पश्चिम बंगाल की बात करें तो साल्वे ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फिल्म को शांति विरोधी फिल्म बताकर पश्चिम बंगाल सिनेमा (रेगुलेशन) एक्ट, 1954 के सेक्शन (1) के तहत बैन कर दिया। उन्होंने दलील दी कि सरकार द्वारा इस तरह के अन्य फैसलों को सुप्रीम कोर्ट पहले भी कई बार खारिज कर चुका है।
कोर्ट ने लगाई राज्य सरकारों को फटकार
पश्चिम बंगाल की तरफ से सीनियर वकील एएम सिंघवी ने तर्क दिया कि फिल्म तीन दिनों तक राज्य में चली और इस दौरान काफी बड़ी संख्या में तमाम इंटेलिजेंस रिपोर्टों ने फिल्म से सामाजिक व्यवस्था और शांति के भंग होने की आशंका जताई थी। इस पर पीठ ने एक नोटिस जारी करते हुए पश्चिम बंगाल राज्य से पूछा कि जब पूरे देश में द केरला स्टोरी शांतिपूर्वक चल रही है तो आपके यहां क्या दिक्कत है।
तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने दलील दी कि राज्य में यह फिल्म बैन नहीं है बल्कि राज्य सरकार ने इसकी स्क्रीनिंग के लिए सुरक्षा भी मुहैया करवाई थी। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘राज्य सरकार नहीं कह सकती कि जब सिनेमाघरों पर हमला किया जाता है और कुर्सियों को जलाया जाता है, तो वह मुंह मोड़ लेगी।’’
इस मामले में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने तमिलनाडु अधिवक्ता तिवारी को फटकार लगाया और पूछा कि आपने राज्य में फिल्म स्क्रीनिंग के दौरान शांति व्यवस्था बनाय रखने के लिए कौन सी व्यवस्था का इंतजाम किया था? थियेटर्स पर अटैक किए जा रहे हैं, कुर्सियां जलाई जा रही हैं। सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए राज्य सरकार बाध्य है।
17 मई को होगी अगली सुनवाई
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई बुधवार 17 मई को नियत की है। फिल्म की प्रोडक्शन टीम की तरह से पक्ष रख रहे साल्वे ने अदालत में बताया कि बंगाल में फिल्म बिना किसी प्रॉब्लम के बैन कर दी गई। वहां रिलीज के बाद फिल्म 3 दिनों तक शांतिपूर्वक चली थी।
अदालत ने कहा कि अगर लोगों को फिल्म पसंद नहीं है, तो वे फिल्म नहीं देखेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को फिल्म दिखाने वाले सिनेमाघरों में सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया।