Vacuum Bomb: जानिए वैक्यूम बम का इतिहास, जिसे रूस ने फादर ऑफ ऑल बम का नाम दिया है

यूक्रेन ने रूस के ऊपर युद्ध में प्रतिबंधित क्लस्टर बम (Cluster Bomb) और वैक्यूम बम (Vacuum Bomb) इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। यह दावा खुद यूक्रेनियन राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने किया है, कि व्लादिमीर पुतिन इन घातक बमों का इस्तेमाल युद्ध में कर रहे हैं जो अपराध की श्रेणी में आता है।

March 5, 2022 - 01:11
March 5, 2022 - 16:44
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Vacuum Bomb: जानिए वैक्यूम बम का इतिहास, जिसे रूस ने फादर ऑफ ऑल बम का नाम दिया है
वैक्यूम बम का इतिहास -फोटो : Social Media

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 6 दिनों से युद्ध हो रहा है, जिसमें दोनों देश एक दूसरे पर कई तरह के हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं। तो वहीं यूक्रेन ने रूस के ऊपर युद्ध में प्रतिबंधित क्लस्टर (Cluster Bomb) और वैक्यूम बम (Vacuum Bomb) इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। यह दावा खुद यूक्रेनियन राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने किया है, कि व्लादिमीर पुतिन इन घातक बमों का इस्तेमाल युद्ध में कर रहे हैं जो अपराध की श्रेणी में आता है। इसके अलावा जेलेंस्की ने कहा कि रूसी सेना ने खारकीव के सिटी सेंटर इलाके में मिसाइलें दागी हैं, जिससे इन हमलों में मौजूद कई आम नागरिकों की मौत हुई है। कुछ दिन पहले ही रूसी सेना को यह प्रतिबंधित घातक हथियार यूक्रेन की ओर ले जाते हुए देखा गया था।

परमाणु बम के बाद सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु हथियार

परमाणु बम के बाद सबसे ज्यादा तबाही मचाने वाले बम या हथियार की बात करें तो उसमें सबसे ऊपर 7,100 किलोग्राम वजनी वैक्यूम बम का नाम आता है। वैक्यूम बम (Vacuum Bomb) को थर्मोबैरिक हथियार भी कहा जाता है। जिसे अब तक के विकसित सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु हथियारों में से एक माना जाता है। इसलिए इस गैर-परमाणु हथियार (वैक्यूम बम) को जिनेवा सम्मेलनों के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है।

फादर ऑफ ऑल बॉम्ब (वैक्यूम बम) क्या है ?

वैक्यूम बम को सबसे घातक थर्मोबैरिक हथियार भी कहा जाता है। रूस ने इस बम को साल 2007 में ही बना लिया था। इस वैक्यूम बम का वजन 7,100 किलोग्राम है जो सिर्फ एक ही बार में लगभग 44 टन टीएनटी की ताकत का विस्फोट उत्पन्न कर सकता है। इसलिए इस हथियार को दुनिया का सबसे घातक और गैर परमाणु हथियार भी कहा जाता है। रूस ने इस बम को फादर ऑफ ऑल बम (Father of All Bomb) का भी नाम दिया हुआ है। इसके विनाशकारी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि यह एक बार में करीब 300 मीटर के एरिया में आने वाली सभी चीजों को जलाकर खाक कर सकता है।

कब-कब हुआ इस्तेमाल हुआ है यह हथियार

अगर इन घातक गैर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की बात करें तो साल 2017 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश से अमेरिकी सेना ने मदर ऑफ ऑल बम का इस्तेमाल अफगानिस्तान के ऊपर किया था। इसके अलावा कई मीडिया रिपोर्ट का मानना है कि साल 2017 में ही रूस ने भी सीरिया के ऊपर फादर ऑफ ऑल बम या वैल्यूम बम का इस्तेमाल किया था।

अमेरिका और रूस ने साल 1960 में ही बना लिया था थर्मोबैरिक हथियार

थर्मोबैरिक जैसे बेहद ख़तरनाक हथियारों को 1960 के दशक में ही अमेरिका और सोवियत संघ दोनों ने विकसित कर लिया था। तो वहीं रुस ने सितंबर 2007 में थर्मोबैरिक हथियार का विस्फोट किया था, जिससे 39.9 टन के बराबर की ऊर्जा निकली थी। लेकिन अब अंतराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण दोनों देशों ने ऐसे हथियारों को न तो किसी दूसरे देश को बेचा है और न ही सार्वजनिक रूप से कहीं पर इस्तेमाल किया है।

मदर ऑफ ऑल बम के बाद बना फादर ऑफ ऑल बम

दुनिया में सबसे खतरनाक और शक्तिशाली बम को बनाने के पीछे अमेरिका का सबसे बड़ा हाथ माना जाता है। अमेरिका ने साल 2003 में GBU-43/B बम विकसित किया जिसे ‘मदर ऑफ ऑल बम’ (Mother of all bomb) भी कहा जाता है। यह घातक बम 11 टन टीएनटी की ताकत से विस्फोट कर सकता है। अमेरिका में तैयार हुए बम के जवाब में रूस ने ‘फादर ऑफ ऑल बम’ बनाया जो 44 टन टीएनटी की ताकत से धमाका करने में सक्षम है।

आखिर कैसे काम करता है यह वैक्यूम बम

थर्मोबैरिक हथियार (वैक्यूम बम) काफी अधिक मात्रा में तेज तापमान उत्पन करने के लिए आसपास के आक्सीजन का उपयोग करता है। ये आधुनिक हथियार, पारंपरिक हथियारों के मुकाबले बहुत शक्तिशाली विस्फोट को अंजाम देते हैं। वैक्यूम बम जब विस्फोट होता है तो यह अपने आसपास की ऑक्सीजन का इस्तेमाल करके पारंपरिक हथियारों की तुलना में ज्यादा तबाही मचाते हैं। ये खतरनाक हथियार विस्फोट होने पर सबसे पहले तो हवा में स्प्रे छोड़ते हैं, जिसमें धातु, ज्वलनशील धूल या केमिकल ड्रॉप के बहुत ही बारीक कण मौजूद होते हैं।

पृथ्वी पर मौजूद परमाणु हथियारों की संख्या

स्वीडन स्थित संस्था थिंक टैक 'स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट' (SIPRI) ने 2021 में अपनी एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 के शुरुआत में नौ देशों के पास करीब 13,400 परमाणु हथियार थे, जिनमें से 3,720 परमाणु हथियार उनकी सेनाओं के पास हमेशा तैनात रहते हैं। इसके अलावा इन घातक हथियारों में से लगभग 1,800 परमाणु हथियार हाई अलर्ट पर रहते हैं अर्थात उन्हें कम समय में किसी भी देश या स्थान पर दाग़ा जा सकता है। सिप्री की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 तक बाकी देशों की तुलना में अमेरिका के पास लगभग 5,800 और रूस के पास करीब 6,375 परमाणु हथियार मौजूद थे। वैसे परमाणु हथियारों के सम्बन्ध में कोई भी देश खुलकर नहीं बनाता मगर ऐसा समझा जा सकता है कि परमाणु शक्ति संपन्न देशों की सेना के पास शायद 9,000 से भी अधिक परमाणु हथियार हो सकते हैं।

भारत के पास कितने परमाणु हथियार मौजूद हैं ?

स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट' (सिप्री) की रिपोर्ट के मुताबिक, परमाणु हथियार रखने के मामलों में भारत अपने पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान से भी पिछे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 तक भारत के पास जहाँ 150 परमाणु हथियार थे, तो वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान के पास 160 और चीन के पास 320 परमाणु हथियार मौजूद हैं।