क्या है FATF और क्यों इसकी ग्रे लिस्ट में ही बना रह सकता है पाकिस्तान, क्या होगा पाकिस्तान का संभावित भाग्य ?
पाकिस्तान 2018 से ही एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट का हिस्सा है। संस्था ने आतंकियों की आर्थिक मदद करने व मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पाकिस्तान के खिलाफ़ यह कदम उठाया था।
पाकिस्तान अभी एफएटीएफ(FATF – Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट में है जिसकी वजह से पाकिस्तान के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और यूरोपीय यूनियन से कर्ज लेना मुश्किल होता जा रहा है। बता दें कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति खराब है और खराब ही होती जा रही है। पाकिस्तान अब तक चीन, तुर्कीये व मलेशिया की मदद के कारण ब्लैक लिस्ट में जाने से बचा हुआ है।
जून 2018 से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट का हिस्सा
पाकिस्तान 2018 से ही एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट का हिस्सा है। संस्था ने आतंकियों की आर्थिक मदद करने व मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पाकिस्तान के खिलाफ़ यह कदम उठाया था। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को एक कार्य योजना भी दी थी और अक्टूबर 2019 तक पूरा कर लेने को कहा था लेकिन पाकिस्तान इसमें भी विफल रहा था।
एफएटीएफ की बैठक जर्मनी में शुरू, होगा पाकिस्तान के भाग्य का निर्णय
पाकिस्तान की स्थिति को लेकर जर्मनी की राजधानी बर्लिन में 14 से 17 जून तक होने वाली एफएटीएफ की बैठक में फैसला लिया जाना है। बैठक के अंतिम दिन एफएटीएफ ग्रे व ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों को सूची में बनाए रखने या बाहर करने पर फैसला लेगा।
ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए तुर्कीये, चीन व मलेशिया के वोट की जरूरत
पाकिस्तान ने जुर्माने को छोड़कर एफएटीएफ की कार्ययोजना के ज्यादातर पहलुओं को लागू कर दिया है। न्यूज़ इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए तुर्कीये, चीन व मलेशिया के वोट की जरूरत होगी।
पाकिस्तान ने माना ग्रे लिस्ट से छुटकारा नहीं मिलने वाला
पाकिस्तान के आधिकारिक सूत्रों ने मान लिया है कि एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से उन्हें छुटकारा नहीं मिलने वाला। इस बीच पाकिस्तान ने ऑन साइट विजिट की नई चाल भी चली है और पकिस्तान उम्मीद कर रहा है कि अगले साल फरवरी तक एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकल सके।
पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारी का बयान
हालांकि एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी ने पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून से कहा कि हमें एसटीएफ के अधिकारियों के ऑन साइट विजिट से ज्यादा मिलने की उम्मीद नहीं है। अगर एफएटीएफ ऑन साइट यात्रा पर सहमत हो जाता है तो यह पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से निकालने की दिशा में कदम और आगे बढ़ाना होगा।
क्या है एफएटीएफ?
एफएटीएफ की स्थापना साल 1989 में हुई थी। एफएटीएफ मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों को फाइनैंस की निगरानी करता है और विभिन्न देशों को इसके आधार पर ग्रे और ब्लैक लिस्ट में डालता है। फिलहाल उत्तर कोरिया और ईरान टेरर फंडिंग के कारण ब्लैक लिस्टेड हैं। ग्रे लिस्ट में शामिल देशों को विश्व बैंक, आईएमएफ या अन्य बैंकों से लोन लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। वहीं ब्लैक लिस्टेड देशों को कोई लोन नहीं देता।