अस्वस्थता के खिलाफ सरकार की डिजिटल मुहिम
लोगों की बिगड़ती जीवनशैली के कारण किशोरों में मोटापे की समस्या बढ़ रही है,जिस कारण से डायबिटीज का खतरा बढ़ रहा है।
लोगों की बिगड़ती जीवनशैली के कारण किशोरों में मोटापे की समस्या बढ़ रही है,जिस कारण से डायबिटीज का खतरा बढ़ रहा है। इसी के चलते महाराष्ट्र सरकार ने एक डिजिटल मुहीम की शुरूआत की है, जिसमें डॉक्टर्स कुछ उपाय बताएँगे जो व्यक्तियों की जीवनशैली को स्वस्थ रखने में मदद करेंगे।
पूरा विश्व तकरीबन डेढ़ सालों से घरों में सिमटा हुआ है। भारत इससे अछूता नहीं है। कोरोना काल के बीच लोगों में अस्वस्थता बढ़ती ही जा रही है। एक ओर जहां कोरोना वायरस लोगों के स्वास्थ्य पर अपना कहर बरपा रहा है, वहीं दूसरी ओर लोग अन्य बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। जो इस कोरोना काल का ही परिणाम है। इस कोरोना काल में लोगों ने लॉकडाउन की बंदिशों को झेला और घर में सिमट कर रह गए। इसी कारण से लोग सुस्त होने लगे हैं। घर की इस बंद चारदीवारी ने भी अब कुछ स्वास्थ्य समस्याओं को न्योता दे दिया है। इसी के परिणामस्वरूप महाराष्ट्र सरकार ने इस अस्वस्थता पर रोकथाम के लिए एक 'डिजिटल' मुहिम की शुरूआत की है।
महाराष्ट्र सरकार ने पाया कि 20 वर्ष से कम उम्र के किशोर बड़ी संख्या में मोटापे का शिकार हो रहे हैं जिससे 20 वर्ष से कम किशोर-बालको में डायबिटीज़ का खतरा उत्पन्न होने की संभावना ज्यादा बढ़ गई है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे की उपस्थिति में डॉक्टरों ने डिजिटल मुहिम की शुरूआत की है जिसका उद्देश्य उन्हें उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करना है।
आज-कल वैसे भी लोग घर में ही रह रहे हैं और साथ ही स्वयं को आलस को भी सौंप रहे हैं। आलस के कारण किसी प्रकार की परिश्रम से भरपूर क्रिया को करने से बच रहे हैं जिस कारण से उन्हें मोटापे ने घेर लिया है और जिससे डायबिटीज़ की संभावना बढ़ रही है। 20 वर्ष से कम उम्र के किशोर ज्यादा संख्या में इसका शिकार हो रहे हैं। एक्सपर्टस के अनुसार ICU में भर्ती होने वाले 85% मरीज़ मोटापा-डायबिटीज़ की चपेट में हैं। लेप्रोस्कोपिक बेटियाट्रिक सर्जन डॉक्टर शशांक सिंह के कथानुसार ये बीमारियाँ अब किशोरो में अधिक बढ़ रही हैं। डॉक्टरों के अनुसार कोविड के दौरान 10 मौतों में से 4 मरने वाले मरीज़ डायबिटीज़ के थे। इस खतरे को देखते हुए कुछ कदम उठाने की दिशा में लैप्रो ओबीसो सेंटर और महाराष्ट्र सरकार मिलकर एक डिजिटल मुहिम का आरंभ कर रहे हैं, जिसमें डॉक्टर्स सरकार के डिजिटल मंच के माध्यम से लोगों को इससे बचने के उपाय सुझाएंगे।
डॉ. प्रीतम 'मोटापे और डायबिटीज़' के 20 वर्ष से कम उम्र के प्रत्येक हफ्ते 15 मरीज़ देख रहें हैं। वे कहते हैं कि किशोरों में यह समस्या काफी बढ़ गई है। जो मरीज़ कोविड के साथ-साथ इन बीमारियों से भी प्रभावित हैं वे ही ज्यादातर वैंटिलेटर या ICU में जाते हैं क्योंकि इनके कारण उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इन्हीं लोगों के केस में ज्यादा दिक्कतें आती हैं।
कुछ आंकडो़ं के अनुसार विश्व के 6 डायबिटीज़ मरीज़ो में से 1 मरीज भारत का होता है। संभवत: भारत में कुल 7.7 करोड़ मरीज़ डायबिटिक हैं। यह बीमारी प्रतिरोधक क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित करती है, जिसके कारण अन्य बीमारीयां होने का खतरा इनमें ज्यादा होता है और साथ ही यह रिकवरी में भी परेशानी उत्पन्न करती है।