Jaipur Bomb Blast 2008: जयपुर बम धमाका 2008 – कोर्ट का बड़ा फैसला, चार दोषियों को उम्रकैद की सजा

Jaipur Bomb Blast 2008: राजस्थान की राजधानी में 2008 में हुए सीरियल बम धमाकों के बाद चांदपोल बाजार में मिले जिंदा बम के मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।

April 9, 2025 - 10:31
April 9, 2025 - 11:04
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Jaipur Bomb Blast 2008: जयपुर बम धमाका 2008 – कोर्ट का बड़ा फैसला, चार दोषियों को उम्रकैद की सजा

Jaipur Bomb Blast 2008: राजस्थान की राजधानी में 2008 में हुए सीरियल बम धमाकों के बाद चांदपोल बाजार में मिले जिंदा बम के मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। विशेष अदालत ने इस केस में चार आतंकियों सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आजमी और शाहबाज अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने इस फैसले के तहत 600 पन्नों का विस्तृत दस्तावेज जारी किया है।

बता दें कि 13 मई 2008 को जयपुर में एक के बाद एक 8 धमाकों से शहर दहल गया था। इसके बाद एक और जिंदा बम चांदपोल बाजार में मिला था, जिसे समय रहते डिफ्यूज कर दिया गया था। इस बम को निष्क्रिय कर देने से सैकड़ों लोगों की जान बच गई थी।

चारों दोषियों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की चार धाराओं, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की दो धाराओं और विस्फोटक अधिनियम की तीन धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया है।

फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश रमेश कुमार जोशी ने कहा, “सबसे बड़ा न्यायालय हमारा अंतरात्मा होता है। जब सजा हुई है, तो इसका अर्थ है कि अपराध सिद्ध हुआ है।” सरकारी वकील सागर तिवाड़ी ने तर्क दिया कि यह देश के खिलाफ सबसे गंभीर अपराधों में से एक है और इन दोषियों को किसी भी प्रकार की रियायत नहीं मिलनी चाहिए। वहीं, बचाव पक्ष ने दलील दी कि आरोपी 15 साल से जेल में हैं और आठ मामलों में पहले ही बरी हो चुके हैं, लेकिन अदालत ने इन दलीलों को खारिज करते हुए अधिकतम सजा सुनाई।

उल्लेखनीय है कि शाहबाज को छोड़ तीन अन्य दोषियों को पहले इसी मामले के सीरियल ब्लास्ट केस में फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसे बाद में हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

इसके अलावा, 25 दिसंबर 2019 को एटीएस ने इन चारों को फिर से गिरफ्तार किया था। हालांकि 29 मार्च 2023 को हाईकोर्ट ने विशेष अदालत का फैसला पलटते हुए सभी को बरी कर दिया था। इसके खिलाफ पीड़ित पक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की थी, जिसके बाद यह फैसला सामने आया है।

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