हरिवंश राय बच्चन जी की 5 प्रेरक कविताएँ। Inspirational Harivansh Rai Bachchan Poems
हरिवंश राय बच्चन की कविताएं motivation: आईए जानते हैं कुछ नई कविताओं को और बनाते हैं जिंदगी के पलों को सफल।
हरिवंश राय बच्चन की कविताएं motivation: Inspirational Harivansh Rai Bachchan Poems
मिलन यामिनी – Milan Yamini Poem: Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi
चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में।
दिवस में सबके लिए बस एक जग है
रात में हर एक की दुनिया अलग है,
कल्पना करने लगी अब राह मन में
चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में।
भूमि का उर तप्त करता चंद्र शीतल
व्योम की छाती जुड़ाती रश्मि कोमल,
किंतु भरतीं भावनाएँ दाह मन में;
चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में।
कुछ अँधेरा, कुछ उजाला, क्या समा है!
कुछ करो, इस चाँदनी में सब क्षमा है;
किंतु बैठा मैं सँजोए आह मन में;
चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में।
चाँद निखरा, चंद्रिका निखरी हुई है,
भूमि से आकाश तक बिखरी हुई है,
काश मैं भी यों बिखर सकता भुवन में;
चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में।
मधुशाला – Madhushala Poem: Positive Harivansh Rai Bachchan Poems
मृदु भावों के अंगूरों की
आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से
आज पिलाऊँगा प्याला;
पहले भोग लगा लूँ तेरा,
फिर प्रसाद जग पाएगा;
सबसे पहले तेरा स्वागत
करती मेरी मधुशाला।
प्रियतम, तू मेरी हाला है,
मैं तेरा प्यासा प्याला,
अपने को मुझमें भरकर तू
बनता है पीनेवाला,
मैं तुझको छक छलका करता,
मस्त मुझे पी तू होता;
एक दूसरे को हम दोनों
आज परस्पर मधुशाला ।
अग्निपथ – Agneepath Poem / Agnipath Poem: Inspirational harivansh rai bachchan poems in Hindi
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
निशा- निमंत्रण – Nisha- Nimantran Poem: harivansh rai bachchan poems in hindi
दिन जल्दी - जल्दी ढलता है !
हो जाय न पथ में रात कहीं,
मंजिल भी तो है दूर नहीं-
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है!
दिन जल्दी जल्दी ढलता है !
बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगे-
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
दिन जल्दी जल्दी ढलता है !
मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल ?-
यह प्रश्न शिथिल करता पद को,
भरता उर में विह्वलता है !
दिन जल्दी जल्दी ढलता है!
जो बीत गई Jo Beet Gaee Poem: positive harivansh rai bachchan poems
जो बीत गई सो बात गई !
जीवन में एक सितारा था,
माना, वह बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया;
अंबर के आनन को देखो,
कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहाँ मिले;
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है !
जो बीत गई सो बात गई !
जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उस पर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया;
मधुवन की छाती को देखो,
सूखीं कितनी इसकी कलियाँ,
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ,
जो मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं;
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है;
जो बीत गई सो बात गई !