UPSC motivational poem in hindi: Motivational Poem in Hindi: कविताएं जो जगा देंगी आप में भरपूर जोश
UPSC motivational poem in hindi: Motivational Poem in Hindi: motivational poetry in hindi: छिप-छिप अश्रु बहाने वालों! मोती व्यर्थ लुटाने वालों! कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है। ~ गोपालदास “नीरज”
जुनून-ए-यूपीएससी: UPSC motivational poem
in hindi:
तोड़कर दीवार कठिनाईयों की
बस तुझको ही पाना है....
रास्ते में आए दरिया भी तो
हँस के लाँघ जाना है
त्याग कर सारे बंधनों को
तेरी ओर मन लगाना है
तुझमें समर्पित कर खुशियों को
दुःखो से पार पाना है...
अब और न इच्छा कहीं जाने की
बस 'लबसना' को ही जाना है
फिर तेरा एहसास कर
सपनों को सच बनाना है
कर्तव्य को सेवा मानकर
पितुमात का कष्ट मिटाना है
बस अब तुझको ही पाना है,तुझको ही पाना है...
-आनंद प्रताप सिंह
तू अपनी ख़ूबियां ढूंढ़ कमियां निकालने के लिए लोग
हैं: UPSC motivational poem in hindi:
तू अपनी ख़ूबियां ढूंढ़
कमियां निकालने के लिए लोग हैं
अगर रखना ही है कदम
तो आगे रख,
पीछे खींचने के लिए लोग हैं।
सपने देखने ही हैं
तो ऊंचे देख,
नीचा दिखाने के लिए लोग हैं।
अपने अंदर जुनून की चिंगारी भड़का,
जलने के लिए लोग हैं।
अगर बनानी है
तो यादें बना,
बातें बनाने के लिए लोग हैं।
प्यार करना है
तो खुद से कर,
दुश्मनी करने के लिए लोग हैं।
रहना है
तो बच्चा बनकर रह,
समझदार बनाने के लिए लोग हैं।
भरोसा रखना है
तो ख़ुद पर रख,
शक करने के लिए लोग हैं।
तू बस संवार ले खुद को
आईना दिखाने के लिए लोग हैं।
खुद की अलग पहचान बना
भीड़ में चलने के लिए लोग हैं।
तू कुछ करके दिखा दुनिया को
बस कुछ करके दिखा,
तालियां बजाने के लिए लोग हैं।
(यह कविता सोशल मीडिया पर वायरल है। अगर आपको कवि का नाम मालूम हो तो ज़रूर बताएं। कविता के साथ कवि का नाम लिखने में हमें ख़ुशी होगी।)
छिप छिप अश्रु बहाने वालों - गोपालदास “नीरज” :Kuch sapno ke mar jaane se, gopaldas niraj
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों!
मोती व्यर्थ लुटाने वालों!
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।
सपना क्या है? नयन सेज पर,
सोया हुआ आँख का पानी,
और टूटना है उसका ज्यों,
जागे कच्ची नींद जवानी,
गीली उमर बनाने वालों! डूबे बिना नहाने वालों!
कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।
माला बिखर गई तो क्या है,
खुद ही हल हो गई समस्या,
आँसू गर नीलाम हुए तो,
समझो पूरी हुई तपस्या,
रूठे दिवस मनाने वालों! फटी क़मीज़ सिलाने वालों!
कुछ दीपों के बुझ जाने से आँगन नहीं मरा करता है।
खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर,
केवल जिल्द बदलती पोथी।
जैसे रात उतार चाँदनी,
पहने सुबह धूप की धोती,
वस्त्र बदलकर आने वालों! चाल बदलकर जाने वालों!
चंद खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।
लाखों बार गगरियाँ फूटीं,
शिकन न आई पनघट पर,
लाखों बार कश्तियाँ डूबीं,
चहल-पहल वो ही है तट पर,
तम की उमर बढ़ाने वालों! लौ की आयु घटाने वालों!
लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।
लूट लिया माली ने उपवन,
लुटी न लेकिन गंध फूल की,
तूफ़ानों तक ने छेड़ा पर,
खिड़की बन्द न हुई धूल की,
नफ़रत गले लगाने वालों! सब पर धूल उड़ाने वालों!
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है!