एबीवीपी नेता रामनिवास बिश्नोई हुए एनएसयूआई में शामिल, एबीवीपी को बताया स्वार्थी संगठन
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(एबीवीपी) के छात्र नेता राम निवास बिश्नोई नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया(एनएसयूआई) में अपने सभी मित्रों के साथ शामिल हो गए हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(एबीवीपी) के छात्र नेता राम निवास बिश्नोई ने एबीवीपी को छोड़कर नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया के साथ रहने का चुनाव कर लिया है। उन्होंने नीरज कुंदन (एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष)और कुनाल सहरावत( दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष) की मौजूदगी में एनएसयूआई ज्वाइंन किया।
इस दौरान एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने कहा कि एनएसयूआई हर वक्त छात्रों की सहायता और उनकी समस्या के समाधान के लिए खड़ी रहती है। कोरोना काल में भी जब छात्रों को कॉलेज में दाखिला लेने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था, तब भी एनएसयूआई ने बहुत मदद की थी। एनएसयूआई ने हमेशा छात्रों की समस्या को अपनी समस्या समझकर उसका समाधान निकाला है। यही कारण है कि दूसरी विचारधारा रखने वाले लोग भी एनएसयूआई के साथ जुड़ रहे हैं। एनएसयूआई के अध्यक्ष ने सभी को कोरोना का टीका लेने की सलाह दी है, ताकि छात्रसंघ का चुनाव जल्द से जल्द कराया जा सके। एनएसयूआई से जुड़ने के बाद राम निवास बिश्नोई ने कहा कि मैं एबीवीपी के विचारों और उनके काम करने के तरीके से खुश नहीं हूँ। एबीवीपी ने भारत की आन और शान के लिए अपनी कुर्बानी देने वाले भगत सिंह जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी की तस्वीर को संवारकर जैसे लोगों की तस्वीरों के साथ लगाया था जिसने अंग्रेजो से माफी मांगी और अंग्रेजो के गुलाम बन गए थे।
छात्र राजनीति का माहौल गर्म:
2021 में भारत की राजनीति में लोगों की राजनीतिक विचारधाराएं काफी चंचल हो गई हैं। हाल ही में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) से निकल कर कांग्रेस में शामिल हुए कन्हैया कुमार इसका ताजा उदाहरण हैं। कन्हैया कुमार भी अखिल भारतीय छात्र परिषद (एआईएसएफ) भाकपा की छात्र शाखा के नेता रह चुके हैं, जो अब नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया(एनएसयूआई) में शामिल हो गए हैं। बता दें कि नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया(एनएसयूआई) कांग्रेस की छात्र शाखा है। कन्हैया कुमार के एनएसयूआई में आने के बाद अखिल भारतीय छात्र परिषद (एआईएसएफ) और देश के तमाम छात्र राजनीतिक क्षेत्र में बवाल खड़ा हो गया है।
यह बवाल तब और बढ़ गया जब दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र राम निवास बिश्नोई एक कार्यक्रम के दौरान एनएसयूआई में शामिल हुए और खुलकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा और उनके कामों पर टीका-टिप्पणी करने लगे। हालांकि छात्र नेताओं का अचानक से पार्टी बदलना भारत में आम बात हो गई है।
वामपंथी दलों को बताया हिंसा करने वाला:
जब बिश्नोई से पूछा गया कि उन्होंने वामपंथी दलों को छोड़ कर एनएसयूआई में शामिल होना क्यों चुना, तो उन्होंने कहा कि एबीवीपी और वामपंथी दलों में कुछ खास अंतर नहीं है। वामपंथी दल भी हिंसा की बात करते हैं।
मैंने देखा है कि कोरोना काल में एनएसयूआई ने एक साथ मिलकर छात्रों के लिए कितना काम किया और जब मैंने एनएसयूआई से जुड़ने की बात की तो उन्होंने खुले दिल से मेरा स्वागत किया। एनएसयूआई ने मेरा काम देखा है और मुझे बहुत करीब से जानते हैं। मैं छात्रों के हित के लिए काम करता रहूंगा और साथ-साथ अपनी पढ़ाई जारी रखूंगा। बता दें कि फिलहाल बिश्नोई पीएचडी की तैयारी कर रहे हैं।
रामनिवास बिश्नोई का राजनीतिक सफर:
रामनिवास बिश्नोई 2014 में छात्र संगठन से जुड़े थे उस वक्त वह राजस्थान यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन कर रहे थे। उसके बाद 2018 में मास्टर की पढ़ाई करने के लिए रामनिवास दिल्ली यूनिवर्सिटी आ गए थे। इस दौरान वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) डीयू शाखा के अध्यक्ष बनाए गए थे।
राम निवास बिश्नोई राजस्थान के बीकानेर के निवासी हैं और वह एक किसान परिवार से आते हैं। बिश्नोई के परिवार में कोई भी राजनीति से ताल्लुक नहीं रखता है। रामनिवास बिश्नोई बताते हैं कि छात्र राजनीति में आना उनका खुद का फैसला था, जिसमें घर वालों ने उनका पूरा साथ दिया। 2014 में राजस्थान यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के बाद उन्हें एबीवीपी से जुड़ने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि एबीवीपी छात्र कल्याण की बात करती थी जिसने मुझे काफी प्रेरित किया। एबीवीपी में आने के बाद उन्होंने हमेशा से एक बात कही कि मैं हिंदुत्व की विचारधारा से कभी सहमत नहीं था। मैंने हमेशा लोगों की मदद को अपना कर्तव्य समझा और उसे पूरी ईमानदारी के साथ निभाया। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, इसलिए हमें भी धर्म से हटकर देश के विकास के लिए काम करने की जरुरत है। बिश्नोई ने कहा कि भले ही एबीवीपी हिंदुत्व के विचारों को मानती थी मगर मुझ पर किसी प्रकार का दबाव नहीं था। हालांकि मुझे एक बात का दुख हमेशा से था कि एबीवीपी सामानों की बढ़ती कीमतों पर चुप थी उन्होंने कभी इसका विरोध नहीं किया एबीवीपी के बारे में बोलते हुए बिश्नोई ने कहा कि वह कामों का श्रेय लेना चाहते हैं, लेकिन उसके लिए काम करना नहीं चाहते हैं।
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