CRYPTOCURRENCY: रिजर्व बैंक के अनुसार क्रिप्टो पर पूर्ण प्रतिबंध ही एकमात्र समाधान, जानिए क्या है क्रिप्टोक्रेंसी जिसे दुनिया भर की सरकारें कर रही हैं बैन

यह एक डिजिटल कैश प्रणाली है, जो कम्प्यूटर एल्गोरिदम पर बनी है और ब्लॉक चेन सिस्टम पर आधारित है। इसको जापान के सतोशी नाकामोतो ने साल 2009 में इजात किया था। क्रिप्टोकरंसी ऐसी करंसी है, जिसके लेन-देन में खरीददार और बेचने वाले की पहचान छिपी रहती है।

December 18, 2021 - 19:03
December 29, 2021 - 17:58
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CRYPTOCURRENCY: रिजर्व बैंक के अनुसार क्रिप्टो पर पूर्ण प्रतिबंध ही एकमात्र समाधान, जानिए क्या है क्रिप्टोक्रेंसी जिसे दुनिया भर की सरकारें कर रही हैं बैन
क्रिप्टोक्रेंसी फोटो:Pixabey

शनिवार को आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी पर अपना अपना सख्त रुख बरकरार रखते हुए पूर्ण प्रतिबंध की बात पर जोर दिया है। आरबीआई ने एक प्रेजेंटेशन में अपने बोर्ड के समक्ष एकमत इच्छा ज़ाहिर की है। सदस्यों के मुताबिक वित्तीय अस्थिरता और डिसेंट्रलाइजेशन ऐसा करने की मुख्य वजह है। प्रेजेंटेशन में, वरिष्ठ अधिकारियों ने लेन-देन की ट्रैकेबिलिटी, क्रिप्टो के मूल्यांकन, अत्यधिक मूल्य अस्थिरता, कानूनी मुद्दों और क्रिप्टो लेनदेन श्रृंखला में विभिन्न अभिनेताओं को चिंता वाले क्षेत्रों के रूप में पहचानने के मुद्दे पर प्रकाश डाला।

 क्या है क्रिप्टो करेंसी ?

क्रिप्टो करेंसी का अर्थ है छिपी हुई या गोपनीय करेंसी। यह एक डिजिटल कैश प्रणाली है, जो कम्प्यूटर एल्गोरिदम पर बनी है और ब्लॉक चेन सिस्टम पर आधारित है। इसको जापान के सतोशी नाकामोतो ने साल 2009 में इजात किया था। क्रिप्टोकरंसी ऐसी करंसी है, जिसके लेन-देन में खरीददार और बेचने वाले की पहचान छिपी रहती है। यहां तक कि इनके ट्रांज़ैक्शन को पूरा होने में मदद करने वाले भी इनके नाम-पते नहीं जान पाते हैं। वहीं गोपनीय तरीके से लेन-देन को पूरा करने में ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी मदद करती है। यह पूरा सिस्टम इसी पर टिका हुआ होता है। इसके बारे में यह भी जानना अहम है कि यह सिर्फ डिजिट के रूप में ऑनलाइन रहती है तथा इस पर किसी भी देश या सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। शुरुआत में इसे अवैध करार दिया गया था। लेकिन बाद में बिटकॉइन(एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी) की बढ़ती लोकप्रियता के चलते इसे कई देशों में लीगल कर दिया गया है। वहीं इसके बाद से कुछ देश अपनी खुद की क्रिप्टोकरेंसी भी ला रहे हैं। बता दें कि बिटकॉइन दुनिया की सबसे महंगी वर्चुअल करेंसी है, जिसकी एक इकाई की कीमत 35,92,207.98 भारतीय रुपए है। बिटकॉइन के अलावा एथेरम,लिटकॉइन, रिप्पल एक्सआरपी अन्य प्रचलित क्रिप्टो करेंसी हैं।

वर्तमान क्रेज की वजह

1) कोरोना काल में पूर्व लगे बैन का हटना: 2018 में आरबीआई की तर्ज पर लगे बैन को सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2021 में हटा दिया था,जिसके बाद गिरते शेयर बाजार के उलट क्रिप्टो ने रफ्तार पकड़ी और एक नए इंवेस्ट ऑप्शन के रूप में सामने आया।

2) एलन मस्क इफेक्ट: बीते दिनों टेस्ला के मालिक मस्क ने 1.5 बिलियन डॉलर क्रिप्टो में निवेश किए थे और सकारात्मकता तथा इस माध्यम के लिए विश्वसनीयता जाहिर की थी। साथ ही मस्क ऐलान किया कि ”जल्द ही बिटकॉइन से आप अपनी टेस्ला कार भी खरीद सकते है।“ मस्क के इस रुख ने क्रिप्टो को बूस्ट देने का काम किया और एक मान्यता दिलवाई।

क्रेज के बावजूद भी कई देशों में बैन

भारत के अलावा बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी पर बैन लगाने वाले देशों में चीन भी शामिल हो गया है। रूस में बिटकॉइन पर पहले से ही बैन है और वहां बिटकॉइन में भुगतान करना अवैध है। वहीं नेपाल ने 2017 में ही क्रिप्टो पर बैन लगा दिया था जबकि वियतनाम द्वारा बिटकॉइन पर पहले से ही बैन लगाया हुआ है। इसके अलावा बोलिविया, कोलंबिया और एक्वाडोर जैसे देशों ने भी बिटकॉइन और बाकी क्रिप्टोकरंसी पर बैन लगाया हुआ है। केवल दक्षिण अमेरिकी देश अल-सल्वाडोर में क्रिप्टोकरेंसी अवैध नहीं है तथा वहां की सरकार ने इसे मान्यता दे दी है।

Crypto को लेकर आरबीआई के बगावत के सुर नए नहीं

आरबीआई क्रिप्टो पर 2018 में ही प्रतिबंध लगा चुका था लेकिन कोर्ट के आदेशानुसार प्रतिबंध वापिस लेना पड़ा, इस रुसवाई की अहम वजह विभिन्न देशों के समान ही है इसलिए हम वैश्विक परिपेक्ष्य से इसे समझ सकते हैं।

दुनिया भर में मुद्राओं को देश के केंद्रीय बैंक नियंत्रित करते हैं लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के मामले में ऐसा नहीं है, इसका नियंत्रण इसकी ख़रीद-बिक्री करने वाले लोगों के हाथों में सामूहिक तौर पर होता है। यही वजह है कि ज़्यादातर देशों की सरकारें या तो इन्हें ग़ैर-कानूनी मानती हैं या इन्हें किसी न किसी रूप में नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं। इसके चलन पर किसी भी सरकारी केंद्रीय सत्ता का स्थापित न होना इसे दुनियाभर के सेंट्रल बैंको के मन में संशय और विश्वसनीयता का अभाव पैदा करता हैं। फॉर्मर आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के मुताबिक “ये एक तरीके का बायो बबल है ,कुछ समय बाद दुनिया में केवल दर्जनभर क्रिप्टो ही रह जाएगी बाकी सब ढह जाएगी”।

जाहिर है कि सरकार की एससी गर्ग समिति ने क्रिप्टोकरेंसी पर भारत में पाबंदी लगाने की सलाह दी थी और अब इस पर सिवाए निवेश के कुछ हद तक प्रतिबंध भी लग गया है। हालांकि मार्च में ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिए थे कि वर्चुअल करेंसियों को केवल रेगुलेट किया जाएगा, उन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। इसके अलावा ब्लॉक चेन और क्रिप्टो एसेस्ट काउंसिल के मुताबिक भारतीयों ने करीब 6 लाख करोड़ रुपए क्रिप्टो में लगा रखे हैं और इस समय सरकार भी दुविधा में नज़र आती दिख रही है। इसका आख़िरी फैसला क्या है, इसका पता विधेयक के पेश किए जाने के बाद ही लगेगा।

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