Startup India: बब्बर ने किया दूध का दूध पानी का पानी, स्टार्टअप इंडिया से बनी रोजगार की कहानी
गुरुग्राम के बब्बर सिंह कर रहे फार्मूला स्टार्टअप के जरिए दूध का दूध और पानी का पानी। कंपनी का टर्नओवर पहुंचा पांच करोड़ रुपये के पास।
"स्टार्टअप इंडिया" का नारा प्रधानमंत्री जी ने लाल किले से दिया था। शायद हम में से किसी ने इस पहल में रुचि नहीं दिखाई हो, मगर गुरुग्राम के एक नौजवान बब्बर सिंह ने स्टार्टअप इंडिया को जरिया बनाकर अपने दोस्तों के साथ एक कंपनी बनाई जिसका टर्नओवर लगभग करोड़ों में है। जो दूध परिक्षण स्ट्रिप उपकरण की सहायता से दूध का दूध और पानी का पानी कर देती है।
बब्बर सिंह ने किया दूध का दूध पानी का पानी:
'दूध का दूध पानी का पानी' इस मुहावरे को हम सब जानते हैं, परंतु इसे सच करने का काम गुरुग्राम के युवा बब्बर सिंह ने स्टार्टअप इंडिया की सहायता से किया है। आज इनकी कंपनी का टर्नओवर लगभग 5 करोड़ तक पहुंच गया है। इनके बनाए दूध परीक्षण स्ट्रिप उपकरण का उपयोग दूध का व्यापार करने वाली कुछ प्रमुख कंपनियां अमूल, आइटीसी, वीटा, नेस्ले, पारस, हैरिटेज फूड़स, सरस और प्रभात डेरी कर रही हैं। जैसे-जैसे इनका बनाया हुआ यह उपकरण आम जनता, दुकानों और पशुपालकों तक पहुंच बनाएगा तो इनके कंपनी का और भी कई गुना बढ़ जाएगा। फिलहाल में इनकी बनाई कंपनी देश के 22 राज्यों में अपना कारोबार कर रही है और वहां के नौजवानों को रोजगार दे रही है।
इस तरह लगाते हैं दूध में मिलावट का पता
बब्बर की कंपनी द्वारा बने दूध परीक्षण स्ट्रिप की मदद से केवल दूध में पानी का पता नहीं लगता बल्कि इसकी सहायता से दूध में मौजूद हाइड्रोजन, प्रोक्साइड, सुक्रोज, न्यूट्रलाइजर, ग्लूकोज, नमक, यूरिया, एंटीबायोटिक, मेल्टोडेक्सट्रिन, स्टार्स, एफेलेक्टोक्सीन, मेलामाइन सहित अन्य कई प्रकार के रासायनिक एवं मानव के स्वास्थ्य से जुड़े हानिकारक तत्वों का भी आसानी से पता लगाया जा सकता है। इस स्ट्रिप का उपयोग भी काफी आसानी से किया जा सकता है, और इसे सरलता से कहीं भी जेब में रख कर ले जा सकते हैं। दूध जांचने के लिए स्ट्रिप को दूध में डालने पर स्ट्रिप के उपर बनी अलग-अलग पत्तियों का रंग बदल जाता है। जिससे दूध में मिलावट का पता चलता है। बब्बर सिंह के मुताबिक इस स्ट्रिप के इजात होने से पहले दूध कंपनियों को करीब 5 लाख तक की मशीनों को खरीदना पड़ता था। जो मिलावट का पता लगाने में 24 घंटे का समय भी ले लेती थी। वहीं एक और बड़ी परेशानी यह भी थी कि पहले दूध के सैंपल को इन मशीनों के पास ले जाना पड़ता था, लेकिन अब इस स्ट्रिप की मदद से बहुत ही कम समय और आसान तरीकों से दूध में मिलावट का पता चल जाता है।
स्ट्रिप कंपनी का बनना और उसकी आर्थिक मदद
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में पढ़ाई करते हुए बब्बर सिंह ने अपने संस्थान में ही दूध मे मिलावट का पता लगाने वाली तकनीक की ख़ोज शुरू कर दी थी। बब्बर इसका कारण यह बताते हैं कि संस्थान में रहने के दौरान वे मिलावटी दूध के कारण कई बार बीमार भी हो चुके थे, इसलिए उन्हें विचार आया कि दूध मिलावट की समस्या बड़े पैमाने पर हमारे समाज में फैली हुई है। जिसके बाद बब्बर ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर संस्थान की विकसित दूध परीक्षण की तकनीक को खरीदा और भारत सरकार के स्टार्टअप कार्यक्रम में पंजीकरण कराने के बाद उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर एक ' 'डेलमोस रिसर्च कंपनी' को बनाया।
आईआईटी कानपुर और विलग्रो इनोवेशन फाउंडेशन ने साथ मिलकर आइ पीच नामक एक अभियान चलाया गया। जिसका उद्देश्य देशभर से सार्वजनिक क्षेत्र में काम कर रही 10 स्टार्टअप कंपनियों को चुनना था। जिसमें बब्बर की कंपनी का भी चयन हुआ और पुरस्कार के तौर पर उन्हें 25 लाख रुपए दिए गए, साथ ही साथ परीक्षण श्रेणी मे फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्डस अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से भी बब्बर की कंपनी को स्टार्टअप अवार्ड भी दिया गया।
स्टार्टअप इंडिया का अतीत
"स्टार्टअप इंडिया" पहल की घोषणा माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 15 अगस्त 2015 को लाल किले से की थी। इस पहल का प्रमुख उद्देश्य देश में नए विचारों और स्टार्टअप को बढ़ावा देना और देश में मजबूत इकोसिस्टम का निर्माण करना था। यह पहल देश के आर्थिक विकास को बढ़ाने और नौजवानों को बड़े पैमाने पर रोजगार देने का अवसर दे रहा है। इस कार्यक्रम को 16 जनवरी 2016 को मजबूत करने के लिए भारत के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कुछ और प्रमुख योजनाओं का शुभारंभ भी किया। जिसमें "सरलीकरण तथा हैंडहोल्डिंग", "वित्तपोषण सहायता और प्रोत्साहन" और "उद्योग अकादमी भागीदारी और ऊष्मायन" जैसे प्रमुख 19 मुद्दों को शामिल किया गया था।