Afghanistan: अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने अफीम की खेती पर लगाया प्रतिबंध
अफगानिस्तान में अफीम की खेती किसानों और दिहाड़ी मजदूरों के लिए उनकी आय का एक मुख्य साधन है, जो इसके जरिये प्रति माह औसतन 300 डॉलर तक की कमाई कर लेते हैं.
हाल ही में अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान सरकार ने अफीम और अन्य नशीले पदार्थों की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस खेती से हेरोइन जैसे नशीले ड्रग्स पदार्थों के लिए कच्चा माल मिलता है. दुनिया में अधिकांश देशों में यह प्रतिबंधित है तथा तालिबान सरकार ने इसे ऐसे समय पर प्रतिबंधित किया है जब दक्षिणी अफगानिस्तान में अफीम की खेती की कटाई का समय शुरू हो रहा है.
आपको बता दें कि एक तरफ जहां तालिबान अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए उम्मीद कर रहा है, वहीं अफगानिस्तान के किसान जिन्होंने अफीम की खेती को चुना था. अब वे एक बड़े संकट में आ गए हैं.
क्या है तालिबान सरकार का नया फरमान ?
तालिबान सरकार का कहना है कि अगर अफगानिस्तान में किसानों को अफीम की खेती करते हुए पाया गया तो उन्हें सीधे जेल भेज दिया जाएगा और उनकी अफीम की फसल को जलाकर नष्ट कर दिया जाएगा. अफीम के अलावा हेरोइन, हशीस और शराब के व्यापार को भी सत्तारूढ़ तालिबानी सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है.
आपको बता दें कि अफीम की खेती अफगानिस्तान में लाखों लोगों के लिए रोजगार और कमाई के एक प्रमुख स्रोत के रूप में मानी जाती है, जिससे लाखों किसान अपने जीवनयापन के लिए अफीम की फसल पर निर्भर रहते हैं.
अफगानिस्तान है दुनिया का सबसे बड़ा अफीम उत्पादक देश
अफगानिस्तान में अफीम की खेती किसानों और दिहाड़ी मजदूरों के लिए उनकी आय का एक मुख्य साधन है, जो इसके जरिये प्रति माह औसतन 300 डॉलर तक की कमाई कर लेते हैं. जानकारी के लिए बता दें कि ,संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल दुनिया की 80 % अफीम उत्पादन की आपूर्ति अफगानिस्तान से होती है और अफगानिस्तान हर साल इन उत्पादों से कम से कम 1.6 अरब डॉलर की सालाना कमाई करता है.
अफगानिस्तान के खस्ता आर्थिक हालत
अफगानितान में तालिबान ने अगस्त 2021 में फिर से सत्ता अपने कब्जे में ले ली थी. उसके बाद से उसकी अंतरराष्ट्रीय सहायता बंद कर दी गई थी जिसके कारण अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी. अंतरराष्ट्रीय समर्थन न मिलने के कारण बहुत सारे सरकारी और निजी क्षेत्र की नौकरियां भी जाती रही हैं. जबकि मानवतावादी संगठनों ने चेताया कि अफगानिस्तान भुखमरी जैसी समस्याओं के कगार पर जा सकता है क्योंकि लोगों के पास खाद्य पदार्थ खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है.
तालिबान ने की अपील
अफगानी मीडिया आउटलेट टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान सरकार द्वारा अफीम की खेती पर पाबंदी लगाने की वजह से उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनाफी ने अंतरराष्ट्रीय दानकर्ताओं से किसानों को वैकल्पिक व्यवसाय को खोजने में सहायता करने की मांग की है.
क्या पहले भी ऐसा कर चुका है तालिबान
आपको बता दें कि, यह कोई पहली बार नहीं है कि अफगानिस्तान में अफीम की खेती पर प्रतिबंध लगाया गया हो. इससे पहले साल 1994 और 1995 के समय भी तालिबान ने अफीम के व्यापार पर प्रतिबंध लगाया था. साल 2001 में अफगानिस्तान से तालिबान की सरकार हटने से इस प्रतिबंध को फिर से हटा दिया गया था.
क्या तालिबान सरकार से ऐसी उम्मीद थी ?
अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान सरकार का यह कदम उन लोगों को हैरान कर रहा है जिन्होंने हाल फिलहाल में अफगानिस्तान में महिलाओं को लेकर तालिबान सरकार के फैसलों को सुना है. तालिबान के द्वारा पिछले समय में महिलाओं पर कुछ पाबंदियां लगाई है. जिसकी वजह से लोग यह कहने लगे थे कि तालिबान अपने पुराने ढर्रे पर लौट रहा है.
इस फैसले ने अफगानिस्तान के कई किसानों को मुसीबत में डाल रखा है. तालिबान सरकार के इस फैसले का बहुत सारे वहां के किसानों पर असर पड़ेगा क्योंकि अच्छी कीमत की उम्मीद में उन्होंने अफीम की खेती को चुना था. वहीं दूसरी तरफ, इस फैसले को तालिबान के अंदर ही भरपूर समर्थन प्राप्त होगा. इसकी भी उम्मीद कम है. इस फैसले से अफगानिस्तान में ही तालिबान को नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. लेकिन एक सवाल यह भी उठता है कि क्या यह पाबंदी तालिबान को अंतरराष्ट्रीय सहयोग देने के लिए सही साबित होगी?