अनाज को लेकर नई रिसर्च आई सामने, मोटे अनाज से होता है बच्चों में तेज़ी से विकास

अनाज के पोषण को आधार मानकर की गई इस रिसर्च में पाया गया कि मोटे अनाजों के सेवन से बच्चों और किशोरों का विकास लगभग 26% से 39% तेजी से हो रहा  है। अध्ययन में एक में ज्वार, एक में रागी और दो में मोटे अनाज के मिश्रण का इस्तेमाल किया गया।

January 12, 2022 - 16:41
January 12, 2022 - 17:15
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अनाज को लेकर नई रिसर्च आई सामने, मोटे अनाज से होता है बच्चों में तेज़ी से विकास
अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष- फोटो: gettyimages

लंबे समय से बच्चों में पोषण को लेकर सामने आ रही समस्याएं भविष्य की दृष्टि से चिंता का विषय बना हुआ है। नूट्रीअंट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार भोजन में यदि चावल गेंहू के बदले बाजरा और जौ का इस्तेमाल किया जाए तो उससे बच्चों का विकास तेज़ी से होता है।

आमतौर पर लोगों की धारणा होती थी की मोटा अनाज गरीबों का खाना होता है। परन्तु वर्तमान में यह सोच बदल रही है। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के भारत द्वारा  पेश प्रस्ताव को स्वीकार कर लेने पर एक टिप्पणी में कहामोटे अनाज में लोकप्रिय बनाने के लिए दुनिया का नेतृत्व करना भारत के लिए सम्मान की बात।“

चार देशों में सात संगठनों ने मिलकर की रिसर्च

अनाज के पोषण को आधार मानकर की गई इस रिसर्च में पाया गया कि मोटे अनाजों के सेवन से बच्चों और किशोरों का विकास लगभग 26% से 39% तेजी से हो रहा  है। अध्ययन में एक में ज्वार, एक में रागी और दो में मोटे अनाज के मिश्रण का इस्तेमाल किया गया। जिसके आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि जिन बच्चों को मोटा अनाज दिया गया था उनकी लंबाई में ज्वार और रागी खाने वाले बच्चों की तुलना में 28.2% , वजन में 26% और शरीर के ऊपरी हिस्से में 39% तक की वृद्धि देखी गई।

इस अध्ययन का नेतृत्व इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ सेमी एरिड  ट्रॉपिक्स की पोषण विज्ञानी डॉ अनीता ने किया। मूलतः यह रिसर्च चावल आधारित खान-पान वाले देशों में किया गया था।

मोटे अनाज पर विशेषज्ञों की टिप्पणी

(1)डॉ अनीता ने कहा कि यह निष्कर्ष बताता है कि जौ - बाजरा का उच्च पोषक तत्व विकास को बढ़ावा देता है। इसमें खासकर प्रोटीन, सल्फर तथा कैल्शियम जैसे पोषक तत्व होते हैं।

(2) आईसीआरआईएसएटी ( ICRIST ) की महानिदेशक ने बताया कि दूध पीने वाली माताओं और स्कूलों में पोषक आहार के कार्यक्रम को मोटे अनाज के आधार पर बनाया जाना चाहिए।

मोटे अनाज और उनके वैज्ञानिक फ़ायदे

जौ- जौ में दूसरे अनाजों की तुलना में सबसे ज्यादा एल्कोहल पाया जाता है। इसी कारण जौ डाईयूरेटिक है। जौ, उच्च रक्तचाप वालों के लिए काफी लाभदायक है। यह बढ़े हुए कोलेस्टरॉल को कम करता है। वहीं जौ में मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा में होती हैं। जौ का सेवन आमतौर पर दलिया या रोटी के रूप में किया जाता है।

बाजरा - बाजरे का इस्तेमाल विशेषकर उत्तर भारत में किया जाता है। बाजरे में कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की काफी ज्यादा मात्रा होती है।

बाजरे में अल्प मात्रा में पाइटिक एसिड जैसे कुछ पोषण विरोधी तत्व होते हैं। बाजरे को पानी में भिगोकर या अंकुरित करके इन पोषण विरोधी तत्वों को कम किया जाता है।

साल 2023 को किया गया “अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष" घोषित

मार्च 2021 में भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पेश किया गया था। जिसको सर्वसम्मति से स्वीकार भी कर लिया गया। इस प्रस्ताव को 70 से ज्यादा देशों ने समर्थन दिया था। इस प्रस्ताव के तहत वर्ष 2023 कोअंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्षघोषित किया जा चुका है।इस पर प्रधानमन्त्री मोदी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा “ अनाज में लोकप्रिय बनाने के लिए दुनिया का नेतृत्व करना भारत के लिए सम्मान की बात”।

वहीं डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बाजरे की खेती केवल 8% तो वहीं ज्वार की खेती 2.5% होती है।

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