महंगाई के खिलाफ़ हिंसक प्रदर्शन के बाद कजाकिस्तान में आपातकाल की घोषणा
कजाकिस्तान में सीएनजी के दामों में इजाफे के कारण पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहा है, जिसमें अब तक 100 से भी ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। सरकार के काफी प्रयासों के बाद भी लोगों में आक्रोश की भावना बनी हुई है, जिसके कारण प्रधानमंत्री अस्कार मामिन ने इस्तीफा दे दिया है।
मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान में गैस की बढ़ी कीमतों के चलते विरोध प्रदर्शन इतने व्यापक पैमाने पर हुए कि सरकार की मंत्री परिषद को इस्तीफा देना पड़ गया, इसके बाद वहां देश के राष्ट्रपति ने आपातकाल की घोषणा कर दी है। बता दें, मुस्लिम बहुल इस देश में विरोध प्रदर्शनों का कोई खास इतिहास नहीं रहा है।
सीएनजी के दामों में अचानक बढ़ोतरी क्यों हुई ?
कजाकिस्तान के पास गैस व तेल का व्यापक भंडार है साथ ही यहां प्रोपेन व ब्यूटेन जैसे ईंधन भी बड़ी मात्रा में हैं। यहां की पूरी अर्थव्यवस्था इसी पर टिकी हुई है तथा यहां की ज्यादातर गाड़ियां सीएनजी यानी कंप्रेस्ड नेचुरल गैस से चलती हैं। इसलिए सीएनजी यहां के लोगों के लिए बुनियादी जरूरत है। अब तक सीएनजी पर वहां की सरकार का पूर्ण नियंत्रण था और पूरे देश में उसकी एक तय कीमत थी अर्थात इसकी कीमत में सरकार इजाफा नहीं कर रही थी। पूरे देश में सब्सिडी वाली गैस लोगों को कम कीमत पर दी जा रही थी, लेकिन नए साल के शुरू होते ही सरकार ने अपनी नीति में बदलाव करते हुए, सीएनजी पर से अपना नियंत्रण खत्म कर दिया।
दरअसल, साल 2019 में सीएनजी की इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में सरकार ने परिवर्तन लाने की बात कही थी, जो इस साल के पहले दिन से देखने को मिला है। इस परिवर्तन का उद्देश्य घरेलू उपभोक्ताओं को सी.एन.जी. पर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म करना था और बाजार को कीमत निर्धारित करने की शक्ति देना था। इसके बाद कजाकिस्तान के जिन प्रांतों में सी.एन.जी. की मांग ज्यादा थी, वहां कीमतों में काफी वृद्धि देखने को मिली थी। बता दें इस क्षेत्र में 70 से 80 फीसद यातायात वाहन सीएनजी से चलते हैं। नए नियम से पहले यहां 1 लीटर गैस की कीमत 60 टेंज ( कजाकिस्तान की मुद्रा ) थी, लेकिन इसकी कीमत अब 120 टेंज प्रति लीटर हो गई है , यानी पहले से दोगुनी। हालांकि हिंसक प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट तोकायेव ने कहा था कि सीएनजी के दामों को 60 टेंज प्रति लीटर कर दिया जायेगा, फिर भी वहां विरोध प्रदर्शन जारी है।
हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार का इस्तीफा
सीएनजी की कीमतों में हुए परिवर्तन के कारण कजाकिस्तान के लोगों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया था तथा सबसे बड़े शहर अल्माटी और मैंगीस्टाउ में लोग सड़कों पर जमा हो गए थे। जिसके बाद धीरे-धीरे यह विरोध प्रदर्शन हिंसक प्रदर्शन में बदल गया। सरकार के काफी प्रयासों के बाद भी जब प्रदर्शनकारी नहीं माने तो कजाकिस्तान के प्रधानमंत्री अस्कार मामिन ने राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट तोकायेव को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। जिसके बाद उपप्रधानमंत्री अलिहन समायलोव को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया गया था। फिलहाल बिगड़ते हालातों को देखतेहुए राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट तोकायेव ने 2 हफ्ते के लिए देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है।
क्या सीएनजी की बढ़ी कीमत ही विरोध की असली वजह थी ?
दरअसल जिस मैंगीस्टाउ प्रांत में सबसे ज्यादा विरोध प्रदर्शन हुआ, वह इलाका गैस और तेल के लिए समृद्ध माना जाता है। इसके बावजूद यहां के लोगों की आम जीवन की गुणवत्ता बेहतर नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह आय की असमानता है। 2011 में यहां तेल कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें 14 तेलकर्मी पुलिस कार्यवाही में मारे गए थे। इस प्रदर्शन का मुख्य मुद्दा तेल कर्मियों को कम वेतन और कार्य क्षमता से अधिक मजदूरी करवाना था। राजधानी और बड़े प्रांतों के अलावा पूरे देश में सड़कों की स्थिति सही नही है, साथ ही सामाजिक जीवन स्तर गिरा हुआ है और खाने- पीने की चीजें भी महंगी हैं।
कजाकिस्तान में सत्ता दल द्वारा शत प्रतिशत वोटों के साथ चुनाव जीते जाते हैं और कोई खास विरोध भी नहीं देखा जाता रहा है। लेकिन कजाकिस्तान के लोगों ने जब 30 साल बाद इस पर अपनी असहमति जताते हुए “ओल्ड मैन गो बैक“ के नारे लगाए तब राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव ने 2019 में राष्ट्रपति पद से यह कहकर इस्तीफा दिया कि “वह नई पीढ़ी के नेताओ को मौका देना चाहते हैं। “साल 1991 में नूरसुल्तान नजरबायेव के सत्ता में आने के बाद उनके करीबी रहे लोगों ने देश के संसाधनों का खूब फायदा उठाया। बता दें साल 1991 में सोवियत संघ से अलग होने के बाद कजाकिस्तान में कोई ख़ास विरोध प्रदर्शन नहीं दिखे थे। उपरोक्त कारणों से स्पष्ट होता है कि कजाकिस्तान के लोगों में असंतोष की भावना काफी लंबे समय से थी।
मध्य एशिया में तेल व गैस का भंडार
कजाकिस्तान मुख्य रूप से मध्य एशिया में स्थित है, इसके उत्तर-पश्चिम में रूस, पूर्व में चीन व दक्षिण में किर्गिस्तान, उज़्बेकिस्तान ,तुर्कमेनिस्तान स्थित हैं। मध्य एशिया का क्षेत्र विश्व में तेल उत्पादन के लिए जाना जाता है तथा नूरसुल्तान इसकी राजधानी है। कजाकिस्तान के पास गैस व तेल का व्यापक भंडार है, साथ ही यहां प्रोपेन व ब्यूटेन जैसे ईंधन भी बड़ी मात्रा में हैं। कजाकिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लैंडलॉक देश है, इसकी पश्चिमी सीमा का कुछ भाग कैस्पियन सागर से लगता है किंतु कैस्पियन सागर से कजाकिस्तान को व्यापार का मार्ग नही मिलता, जिस कारण इसे लैंडलॉक देश कहा जाता है।
कजाकिस्तान में हुई इस घटना का भारत पर क्या असर पड़ेगा ?
कजाकिस्तान में बड़ी संख्या में आतंकवादियों के स्लीपर सेल मौजूद हैं, यहां सत्तावादी शासन है, जैसा कि अफगानिस्तान में है। कजाकिस्तान में हो रहे प्रदर्शन से वहां के आतंकवादी संगठन इसका लाभ उठाने की कोशिश करेंगे। कजाकिस्तान में भारत के पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने एक टीवी इनर्टव्यू में बताया कि “ मध्य एशियाई देश में संकट दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारत, के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में अस्थिरता से आतंकवादी संगठनों के स्लीपर सेलों को बढ़ावा मिलेगा, जो क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए हानिकारक होगा।