दिल्ली HC ने कहा Umar Khalid के भाषण की भाषा ठीक नहीं, आतंकवादी कृत्य मानने से कोर्ट ने किया इनकार
Delhi High Court On Umar Khalid:जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने सुनवाई के दौरान कहा, "सिर्फ इसलिए कि यह भाषण बैड टेस्ट में है इसका मतलब यह नहीं है कि यह एक आतंकवादी कार्य है। यह आपत्तिजनक और अरुचिकर था... हम इसे बहुत अच्छी तरह समझते हैं।"
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उमर खालिद के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, फरवरी 2020 में महाराष्ट्र के अमरावती जिले में एक्टिविस्ट और जेएनयू छात्र उमर खालिद द्वारा दिया गया भाषण "बैड टेस्ट" में हो सकता है, लेकिन इससे यह आतंकवादी कृत्य नहीं हो जाता। लाइव लॉ के हवाले से यह ख़बर आई हैं कि, यह टिप्पणी तब आई जब न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की डिवीजन बेंच निचली अदालत से ज़मानत न मिलने के आदेश के खिलाफ उमर खालिद के चुनौती याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
क्या कहा कोर्ट ने?
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने सुनवाई के दौरान कहा, "सिर्फ इसलिए कि यह भाषण बैड टेस्ट में है इसका मतलब यह नहीं है कि यह एक आतंकवादी कार्य है। यह आपत्तिजनक और अरुचिकर था... हम इसे बहुत अच्छी तरह समझते हैं। यदि अभियोजन का मामला इस बात पर आधारित है कि भाषण कितना आपत्तिजनक था, तो यह अपने आप में एक अपराध नहीं होगा... यह मानहानि के समान हो सकता है, लेकिन यह एक आतंकवादी कृत्य के समान नहीं है। ”
वहीं पिछले महीने सुनवाई के दौरान, न्यायाधीशों ने कहा था कि अमरावती में खालिद का भाषण "अप्रिय और अस्वीकार्य" था और 27 अप्रैल को एक अन्य सुनवाई में, अदालत ने उनसे पूछा था कि क्या "जुमला" शब्द का उपयोग करना उचित था, जो कि प्रधानमंत्री के बारे में बोलते हुए मोटे तौर पर एक खाली वादे का अनुवाद करता है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र ने अपने भाषण में कथित तौर पर इस शब्द का इस्तेमाल किया था।
हालांकि, उनके वकील ने तर्क दिया था कि दंगों के मामले में एफआईआर के हिस्से के रूप में शामिल किए जाने पर भाषण के फुटेज को किसी ने नहीं देखा था। वकील ने यह भी बताया कि न्यूज चैनल रिपब्लिक टीवी ने निचली अदालत को बताया था कि भाषण का फुटेज उसका अपना नहीं था, बल्कि भारतीय जनता पार्टी सूचना प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय द्वारा ट्वीट किया गया था। उमर ने यह भी तर्क दिया था कि उनके भाषण में "क्रांति" शब्द का इस्तेमाल हिंसा के आह्वान के रूप में नहीं किया जा सकता है।
क्या था मामला?
दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया था कि उनका यह भाषण फरवरी 2020 में राष्ट्रीय राजधानी में दंगे भड़काने की साजिश का हिस्सा था। दिल्ली पुलिस ने जेएनयू छात्र उमर के इस भाषण को कथित रूप से दंगे के लिए ज़िम्मेदार मानते हुए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार कर लिया था। 2020 में 23 फरवरी से 29 फरवरी तक नागरिकता संशोधन अधिनियम के समर्थकों और इस कानून का विरोध करने वालों के बीच हिंसक झड़पें हुईं थी। इस दौरान हिंसा में 53 लोगों की जान चली गईं थी और सैकड़ों घायल हो गए थे।