दिल्ली हिंसा के एक आरोपी को दिल्ली हाईकोर्ट ने नहीं दी बेल की मंजूरी
सोमवार को दिल्ली हिंसा के एक आरोपी की बेल की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट का कहना था कि दिल्ली में हुई हिंसा एक पहले से तय योजनाबद्ध हिंसा थी जिसे बखूबी अंजाम दिया गया था।
कोरोना काल के कहर से पहले दिल्ली और उसकी जनता दंगो की शिकार हुई थी। बीते वर्ष 23 फरवरी को दिल्ली में हिंसा भड़की थी जो तकरीबन 3 दिन तक जारी थी।
इसी दिल्ली हिंसा से संबंधित एक आरोपी की ज़मानत की याचिका को सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सुब्रमण्यम ने यह कहकर खारिज कर दिया कि दिल्ली में हुई हिंसा पहले से ही एक सोची-समझी साजिश थी। यह अचानक नहीं अपितु पहले से प्लान की गई थी।
दरअसल दिल्ली हिंसा के आरोपी मो. इब्राहिम ने अपनी जमानत की याचिका दाखिल की थी। जिसकी सुनवाई सोमवार को हुई। सुनवाई के दौरान जज द्वारा कहा गया कि दिल्ली में कानून-व्यवस्था को प्रभावित करने के इरादे से एक योजनाबद्ध तरीके से हिंसा को अंजाम दिया गया था। दिल्ली हिंसा की वीडियो प्रदर्शनकारियों का स्वभाव और मंशा दोनों सरकार की कार्यप्रणाली को बिगाड़ने की मंशा को दिखा रही है। अर्थात यह सूझबूझ के साथ प्लान की गई साजिश थी।
हाई कोर्ट जस्टिस ने कहा कि "सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्थित रूप से तोड़फोड़ भी शहर में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए पहले से प्लान की गई साजिश को सुनिश्चित करता है।"
निर्मम तरीके से पुलिस पर किया गया था हमला:
अदालत ने अपनी टिप्पणी को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हिंसा पहले से ही योजनाबद्ध थी। यह इस तथ्य से भी पता चलता है कि सैकड़ों की संख्या में दंगाइयों ने निर्मम तरीके से पुलिस के एक समूह पर हमला किया था। यह हमला लाठियों, डंडो, बैट तथा हॉकी स्टिक्स से किया गया था। आरोपी कथित तौर पर हिंसा के दौरान हाथ में तलवार लिए हुए था। आरोपी को हाथ में तलवार लिए कई फुटेज में देखा जा सकता है।
आपको बता दें कि आरोपी ने दिल्ली पुलिस हेट कॉन्सटेबल रतन लाल की हत्या के मामले के संबंध में जमानत की याचिका दायर की थी। हालांकि आरोपी के वकील ने आरोपी की तलवार के वार से कॉन्सटेबल की मौत नहीं होने की बात कही थी। साथ ही वकील ने आरोपी के डिफेंस में यह भी कहा था कि आरोपी ने अपने और अपने परिवार की रक्षा के लिए तलवार उठाई थी।
इसके जबाव में कोर्ट ने कहा कि इस तथ्य के अनुसार कि आरोपी ने जिस हथियार को लिया हुआ था वह किसी को भी गंभीर रूप से घायल करने या किसी की मौत का कारण बन सकता था।
अतः दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने तर्कों को आरोपी के विरूद्ध रखते हुए उसकी बेल की याचिका को खारिज कर दिया। बीते वर्ष 2020 में दिल्ली में हिंसा की घटना हुई थी जिसमें लगभग 50 से ज्यादा लोगों की मौत तथा सैकड़ों लोग घायल हुए थे। यह हिंसा 3 दिनों तक चली थी।
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