दिल्ली मेट्रो ने तोड़ा करार,अनिल अंबानी को देगी 4600 करोड़ रुपये

अनिल अंबानी के मालिकाना हक वाली रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन 4600 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। दिल्ली मेट्रो को यह रुपये सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गुरुवार को आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखने के बाद देना होगा।

September 10, 2021 - 19:38
December 9, 2021 - 11:23
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दिल्ली मेट्रो ने तोड़ा करार,अनिल अंबानी को देगी 4600 करोड़ रुपये
Anil Ambani @RNI News

अनिल अंबानी के मालिकाना हक वाली रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन 4600 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। दिल्ली मेट्रो को यह रुपये सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गुरुवार को आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखने के बाद देना होगा। रिलायंस इन्फ्रा ने दिल्ली मेट्रो पर करार तोड़ने का आरोप लगाया था। इसके आर्थिक नुकसान का हवाला देते हुए मामले को आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल में ले जाया गया था। आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल ने डीएमआरसी की तरफ से रिलायंस इन्फ्रा को 2700 करोड़ रुपये देने का फैसला दिया था। इसके बाद मामला पहले हाईकोर्ट और उसके बाद फिर सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था।

रिलायंस इन्फ्रा की सहयोगी कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड ने साल 2008 में डीएमआरसी के साथ एयरपोर्ट मैट्रो लाइन को आपरेट करने का एग्रीमेंट किया था। यह पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर आधारित डीएमआरसी का पहला प्रोजेक्ट था। रिलायंस इन्फ्रा को साल 2038 तक एयरपोर्ट मेट्रो लाइन को ओपरेट करना था।

रिलायंस इन्फ्रा ने एयरपोर्ट मेट्रो लाइन के बनने में कुछ कमियों के बारे में बताया था और कंपनी कहना था कि दिल्ली मेट्रो इन कमियों को दूर करने में नाकाम रही है। इसके बाद साल 2013 में डीएएमएपीएल ने दिल्ली मेट्रो के साथ अपने करार को खत्म करने का फैसला किया। इसके बाद जुलाई 2013 में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने इस लाइन पर खुद ओपरेट करना शुरू कर दिया था। डीएमआरसी के इस फैसले से भारी नुकसान की बात कहते हुए रिलायंस इन्फ्रा की सहयोगी कंपनी डीएएमपीईएल ने ट्राइब्यूनल और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

साल 2017 में चार साल की 68 सुनवाई के बाद ट्रिब्यूनल ने डीएमआरसी को रिलायंस इन्फ्रा को 2900 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया था। बाद में यह मामला हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। इस दौरान ब्याज के रुपये भी लगातार बढ़ते गए। जनवरी 2019 तक आर्बिट्रेशन कोर्ट की तरफ से तय किए गए रुपये ब्याज को मिलाकर 2950 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 4660 करोड़ रुपये हो गए हैं।