उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम के लखीमपुर दौरे के दौरान आठ किसानों की मौत: जाने क्या है पूरा मामला
उत्तरप्रदेश के लखीमपुर ज़िला मुख्यालय से लगभग 75 किलोमीटर दूर नेपाल बॉर्डर के पास तिकुनिया गांव है, जहां पर यह हिंसा हुई जिसमें करीब 8 लोगों की मौत हो चुकी है। जिनमें चार किसान और चार आम नागरिक शामिल हैं।
उत्तरप्रदेश के लखीमपुर ज़िला मुख्यालय से लगभग 75 किलोमीटर दूर नेपाल बॉर्डर के पास तिकुनिया गांव है जहां पर यह हिंसा हुई जिसमें करीब 8 लोगों की मौत हो चुकी है। उसमें से चार किसान और चार आम नागरिक थे। इसके अलावा करीब 12 से 15 लोगों के घायल होने की भी आशंका जताई गई है। मरने वाले किसानों में 55 वर्ष के नक्षत्र सिंह, 35 वर्ष के दलजीत सिंह, 20 वर्षीय लवप्रीत सिंह और 18 वर्षीय गुरवेंद्र सिंह शामिल हैं। इस घटना की कवरेज करते हुए साधना न्यूज के संवाददाता रतन कश्यप की भी घटनास्थल पर ही मौत हो गई। वह गाड़ी की टक्कर लगने से सड़क के किनारे पानी में गिर गए थे जहां उनकी मौत हो गई।
क्या है तिकुनिया में हुई हिंसा का घटनाक्रम?
घटना 3 अक्टूबर की है जब उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य लखीमपुर खीरी की यात्रा पर थे, जहां उन्हें लखीमपुर जिले के वंदन गार्डन में सरकारी कार्यों का उद्घाटन करना था। पहले उन्हें इस कार्यक्रम में हेलीकॉप्टर से आना था, लेकिन प्रोटोकॉल बदलने की वजह से उन्हें सड़क मार्ग से लखीमपुर आना पड़ा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के खिलाफ उनके काफिले का घेराव किया जिसमें लखीमपुर और कई तराई इलाकों के दूसरे जिलों के किसानों को हिस्सा लेने के लिए कहा गया था। तकरीबन डेढ़ बजे डिप्टी सीएम और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री लखीमपुर जिला मुख्यालय से कार्यक्रम का उद्घाटन करके वापस बनवीरपुर गाँव के लिए रवाना हुए जो तिकुनिया से मात्र 4 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
तिकुनिया के एक विद्यालय में गांधी जयंती के मौके पर हुए दंगल के विनर का पुरस्कार समारोह था। अजय मिश्र को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने की खुशी में इस बार का आयोजन काफी आकर्षक और भव्य था, जिसको देखते हुए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाया गया था, लेकिन आस-पास के किसानों ने इसका विरोध करने का सोच लिया था क्योंकि कुछ वक्त पहले लखीमपुर में एक किसान सम्मेलन के दौरान अजय मिश्र ने किसानों को धमकाने की कोशिश की थी। उन्होंने काले झंडे दिखाने वाले किसानों को धमकाया था कि "मुझे केवल मंत्री या सासंद समझने की भूल मत करना जो लोग मुझे सांसद और विधायक बनने से पहले से जानते हैं उन्हें यह पता है कि मैं किसी भी चुनौती से नहीं डरता हूँ। और याद रखना जिस दिन मैंने ठान लिया,उस दिन पलिया के साथ-साथ लखीमपुर भी छोड़ना पड़ सकता है"। इस धमकी के बाद से किसानों में काफी गुस्सा था जिसका 29 सितंबर को खैरटिया गांव में एक प्रतिज्ञा समारोह में किसानों ने ऐलान किया कि वो इस आन्दोलन को जारी रखेंगे और अपना विरोध जताते रहेंगे। फिर रविवार को तिकुनिया के महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज में किसानों ने सुबह से ही कॉलेज में बने हेलीपैड को जाम कर लिया और "भारत माता की जय" का नारा लगाते हुए काले झंडे के साथ केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का विरोध शुरु कर दिया। लेकिन जैसे ही किसानों को खबर मिली कि केंद्रीय मंत्री सड़क के रास्ते गाँव पहुँच रहे हैं तो किसानों ने तिकुनिया से बनवीरपुर तक के बॉर्डर पर गाड़ियों से सड़क जाम करके वहीं बैठ गए। लगभग 2 बजे के आस-पास एक छोटा सा काफिला तीन गाड़ियों के साथ तिकुनिया पहुंचा। अजय मिश्र टेनी और उनके पुत्र आशीष मिश्र ने बताया कि यह काफिला डिप्टी सीएम के काफिले को बनवीरपुर गाँव पहुंचाने के लिए पास के एक रेलवे फाटक के लिए निकला था,जिसके बाद तीनों गाड़ियां तिकुनिया पहुंच गई जहाँ डिप्टी सीएम के काफिले का इंतजार किसान कर रहे थे।
आशीष मिश्रा पर लगाया गाड़ी से कुचलने का आरोप:
दूसरी तरफ किसान मोर्चा के नेताओं ने आरोप लगाया है कि गाड़ियों ने किसानों को सामने से कुचलना शुरु कर दिया जिसमें 4 किसानों की मौके पर मौत हो गई, और बहुत सारे लोग घायल हो गए। कई वायरल वीडियो में किसानों के शव रास्ते में पड़े हुए दिख रहे हैं। घटना के चश्मदीद संयुक्त मोर्चा के सदस्य पिंडर सिंह सिद्धू ने बताया कि केंद्रीय मंत्री का बेटा आशीष मिश्रा भी उस गाड़ी में मौजूद था जिसने किसानों को कुचला था,और मंत्री के बेटे ने एक किसान को गोली भी मारी थी। पिंडर सिंह सिद्धू ने कहा कि बहुत दुख की बात है कि जिन किसानों ने वोट देकर उन्हें मंत्री बनाया उन्हीं किसानों के उपर गाड़ी चढ़ाकर उन्हें मार डाला, यह कहां कि संस्कृति है। यह सिर्फ सत्ता का नशा है जिसे किसान बहुत जल्द उतार देंगे।
किसानों ने भी हिंसा को अंजाम दिया:
जहां एक ओर किसानों के कुचले जाने पर सभी नाराज हैं, वहीं वायरल वीडियो में हिंसा करते हुए किसानों का भी फुटेज सामने आया है जिसमें किसान जीप पर लाठियों से मार रहे हैं, और गाड़ी से गिरे दो लोगों को बहुत बेरहमी से पीट रहे हैं जहां गाड़ी को भीड़ सड़क के नीचे गिरा देती है।
केंद्रीय मंत्री के बेटे ने किया अपना बचाव:
अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र ने इन आरोपों का खंडन करते हुए इससे साफ इंकार कर दिया है और कहा कि मैं अपनी बेगुनाही साबित करुंगा। आशीष मिश्र ने अपना बचाव करते हुए कहा कि इस हिंसा में हमारे ही कार्यकर्ताओं की मौत हुई है और आप लोग कह रहे हैं कि हमने किसानों को कुचला, हमने सपने में भी यह नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ हो सकता है।
केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र ने दी सफाई:
अपने विवादित बयानों पर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र ने सफाई देते हुए कहा कि मैंने किसानों के विरोध में कोई टिप्पणी नहीं की थी। मैंने तो सिर्फ होर्डिंग फाड़ने वाले को कहा था लेकिन जो लोग इस देश को बर्बाद करना चाहते हैं उन्होंने मेरे बयान को किसानों से जोड़ कर आग लगाने की कोशिश की है। विरोध करने वाले किसान नहीं थे। उन्हें बाहर से बुलाया गया था जिन्होंने हमारे कार्यकर्ताओं पर हमला किया और उनकी हत्या कर दी। कई लोग इसमें घायल भी हुए हैं। बहुत सारी गाड़ियों को नुकसान पहुचाया गया है उनके खिलाफ मैं एफआईआर दर्ज करवाऊंगा।
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