उभरता हुआ ऑनलाइन रचनात्मक संगठन जिस्ट-ए-अल्फ़ाज़ अपने आयोजनों से युवाओं को दे रहा मंच

जिस्ट-ए-अल्फ़ाज़ साहित्य की सभी विधाओं के लिए एक ऐसी दुनिया है जो साहित्य प्रेमियों को अपने शब्द प्रकट करने हेतु एक खुला मंच प्रदान करता है तथा उनकी कलात्मक सुंदरता को तराशता है।

January 31, 2022 - 17:23
January 31, 2022 - 18:15
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उभरता हुआ ऑनलाइन रचनात्मक संगठन जिस्ट-ए-अल्फ़ाज़ अपने आयोजनों से युवाओं को दे रहा मंच
ऑनलाइन रचनात्मक संगठन जिस्ट-ए-अल्फ़ाज़- फ़ोटो

लेखन को समाज का दर्पण कहा जाता है। समाज का दर्पण होने के साथ ही लेखन, समाज में नव चेतना व क्रांति का वाहक भी है। वर्तमान में लेखनी की इस कला को विकसित व पोषित करने के लक्ष्य को सार्थक किया है, जिस्ट-ए-अल्फ़ाज़ कम्युनिटी ने।

जिस्ट-ए-अल्फ़ाज़ साहित्य की सभी विधाओं के लिए एक ऐसी दुनिया है जो साहित्य प्रेमियों को अपने शब्द प्रकट करने हेतु एक खुला मंच प्रदान करता है तथा उनकी कलात्मक सुंदरता को तराशता है। यह उन सभी लोगों को एक आधार प्रदान करता है जो अपने शब्दों को लोगों के दिलों में उकेरना चाहते हैं और इससे लेखन के कलात्मक तत्व का निर्माण करते हैं। ज़िस्ट-ए-अल्फ़ाज़ एक प्रकार से छात्र प्रबंधित निकाय है, जो यू-ट्यूब, फेसबुक तथा इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से चलाया जाता है। यह प्लेटफॉर्म अनेक प्रकार के कार्यकर्मों, जैसे– ओपन माइक प्रतियोगिता, काव्यपाठ एवं कविता तथा कहानी श्रृंखला आदि का आयोजन करवाते हैं। साथ ही, लोगों से साक्षात्कार के माध्यम से लेखकों के अद्भुत विचारों को साझा करते हैं।

यह समिति कथा, कविता, छंद, ग़ज़ल आदि सभी प्रकार की लेखनी के गुण विकसित करने हेतु नियमित सत्र आयोजित करवाती है, जहाँ लेखन के विभिन्न गुणों पर चर्चा कर इन्हें आत्मसात किया जाता है।

इनके द्वारा पिछले कुछ समय में आयोजित किए गए अनेक सफल कार्यक्रम व प्रतियोगिताएं इन अथक प्रयासों का ही परिणाम है। बीते 2 वर्षों में जिस्ट-ए-अल्फ़ाज़ द्वारा तक़रीब-ए-नज़्म, शाम-ए-इब्तिदा, ख्वाहिश-ए-कलम, जश्न-ए-अल्फ़ाज़, हर्फ़नामा, शाम-ए-वतन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया, जिनकी सफलता ने ऊंचाइयों को छुआ है। आईए जानते हैं इन कार्यक्रमों के बारे में- 

ख़्वाहिश-ए-कलम - यह एक कविता लेखन व पाठन प्रतियोगिता थी, जो तीन चरणों में आयोजित हुई, व अनेक कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।
●  जश्न-ए-अल्फ़ाज़ - नव वर्ष 2021 के उपलक्ष्य में इस ओपन माइक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जहाँ नवीन उमंग के साथ नव वर्ष का आगमन किया गया।
● शाम-ए-वतन 2021 - यह प्रतियोगिता, ऐ महफ़िल व द मुसाफ़िर के साथ संयुक्त रूप से आयोजित की गई थी। गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में कविताओं के माध्यम से संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजली अर्पित की गई।

हर्फ़नामा - यह एक यूट्यूब श्रृंखला है, जो आज भी क्रियान्वित है, जिसके अंतर्गत श्रेष्ठ लेखकों की रचनाओं को प्रस्तुत किया जाता है।
● तकरीब-ए-नज़्म (प्रथम संस्करण) - यह एक ओपन माइक प्रतियोगिता थी; युवा व उभरते हुए कवियों व शायरों के लिए आयोजित इस कार्यक्रम ने, अनेक युवाओं को दिशा व मार्गदर्शन प्रदान किया और हिंदी साहित्य के अनेक प्रारूपों से उन्हें अवगत कराया। 
तकरीब-ए-नज़्म (द्वितीय संस्करण) - यह इस प्रतियोगिता का द्वितीय संस्करण था, जिसका विषय सामाजिक विषयों पर बल देना था। 
शाम-ए-इब्तिदा- यह कार्यक्रम नव वर्ष 2022 की पूर्व संध्या पर पुराने साल को विदा करने व नए साल का शानदार स्वागत करने के लिए रखा गया था। 

इस प्रकार प्रत्येक कार्यक्रम के साथ नए साहित्य प्रेमियों को मंच प्रदान किया गया व समाज के हर पहलू को उजागर किया गया। वहीं इस क्रम में, नवीनतम कार्यक्रम था 'शाम-ए-वतन' का द्वितीय संस्करण, जो गणतंत्र दिवस 2022 के उपलक्ष में आयोजित किया गया जिसमें सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कमांडर, बिजय नायर जी, जो स्वयं एक उत्कृष्ट कवि हैं और बेस्ट सेलर लेखक भी, मुख्यातिथि के रूप में उपस्थित हुए और सभी का मार्गदर्शन किया। वहीं इस दौरान प्रतिभागियों ने कविताओं के माध्यम से संविधान निर्माताओं तथा सैनानियों को याद किया, जिनके पुरुषार्थ से फलस्वरूप हमारा देश आज सकारात्मक रूप से आगे बढ़ पा रहा है।

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