हरीश रावत ने पंजाब के प्रभारी की जिम्मेदारियों से खुद को अलग करने का लिया फैसला, राहुल गांधी से की मुलाकात
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने खुद को पंजाब की जिम्मेदारियों से अलग करने का अनुरोध किया है ताकि वह अपना पूरा ध्यान उत्तराखंड विधानसभा चुनाव पर केंद्रित कर सकें
पंजाब के प्रभारी और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने खुद को पंजाब की जिम्मेदारियों से अलग करने का अनुरोध किया है ताकि वह अपना पूरा ध्यान उत्तराखंड विधानसभा चुनाव पर केंद्रित कर सकें। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित पांच राज्यों में अगले साल चुनाव होने वाले हैं जिसमें से एक राज्य उत्तराखंड भी है।
राहुल गांधी से की मुलाकात:
बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से हरीश रावत ने मुलाकात की और फिर प्रेस कॉन्फ्रेस के जरिए बात करते हुए उन्होंने उत्तराखंड के बारे में चर्चा की। हरीश रावत ने उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा के बारे में भी चर्चा की और कहा कि वह जल्द कांग्रेस अध्यक्ष से मिलेंगे और अपनी बात उनके सामने रखेंगे।
फेसबुक पोस्ट के जरिये बयां किया अपना दर्द:
प्रेस कॉन्फ्रेस के बाद उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट डाला और उसमें बताया कि वह पंजाब की जिम्मेदारियों से आजाद होना चाहते हैं, ताकि वह अपना पूरा ध्यान उत्तराखंड विधानसभा चुनाव पर दे सकें। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि मैं बहुत कश्मकश में हूँ। एक तरफ जन्मभूमि के लिए मेरा कर्तव्य और दूसरी तरफ कर्मभूमि पंजाब के लिए मेरी सेवाएं, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं किस के साथ आगे जाऊ उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे चुनाव का वक्त नज़दीक आ रहा है उनकी परेशानी बढ़ती जा रही है।
जन्मभूमि के साथ-साथ कर्मभूमि के साथ भी न्याय करना चाहते हैं:
हरीश रावत ने बताया कि उत्तराखंड में बेमौसम बारिश ने जो कहर ढाया है, उसने मुझे अंदर तक तोड़ कर रख दिया है। उन्होंने बताया कि वह उत्तराखंड के कुछ हिस्सो में जाकर वहां के हालात को अपनी आँखों से देखे हैं। उत्तराखंड के हालात काफी नाजुक है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बताया कि वह जन्मभूमि के साथ-साथ कर्मभूमि के साथ भी न्याय करना चाहते हैं लेकिन कर्तव्य पुकार, मुझसे कुछ और अपेक्षाएं लेकर खड़ी हुई है।
गुरु गोविंद सिंह की भूमि से भावनात्मक लगाव है:
पंजाब के बारे में हरीश रावत ने बताया कि गुरुओं की भूमि, संतों, नानक देव और गुरु गोविंद सिंह की भूमि से उनका गहरा भावनात्मक लगाव है। इसलिए उन्होंने निर्णय लिया है कि वह कांग्रेस नेतृत्व से अनुरोध करेंगे कि उन्हें पंजाब के दायित्व से मुक्त कर दिया जाए ताकि वह अपना पूरा ध्यान उत्तराखंड विधानसभा चुनाव पर केंद्रित कर सकें।