जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को बृजभूषण के ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस की जांच की निगरानी करनी चाहिए थी
पूर्व न्यायधीश मदन बी. लोकुर ने दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जांच की निगरानी खुद करनी चाहिए थी.
जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि सु्प्रीम कोर्ट को भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख ब्रजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी के आरोपों में दिल्ली पुलिस द्वारा की गई जांच की निगरानी करनी चाहिए थी. उन्होंने डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के ख़िलाफ़ आरोपों से निपटने के तरीके के साथ-साथ राज्य तंत्र की कथित निष्क्रियता के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के साथ किए गए व्यवहार के लिए भी दिल्ली पुलिस की आलोचना की.
जस्टिस लोकुर ने कहा कि पीड़ितों का फिर से उत्पीड़न हुआ है, क्योंकि पहलवान न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं. उन्होंने इसे स्पष्ट रूप से फिर से प्रताड़ित किए जाने का मामला बताते हुए कहा कि पहलवानों ने कहा है कि वे दबाव में हैं. लोकुर ने कहा कि पहलवानों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि बीजेपी के सांसद सिंह के ख़िलाफ़ उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया.
एफ़आईआर दर्ज करने में देरी के लिए दिल्ली पुलिस की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को एफ़आईआर दर्ज करने में देरी पर दिल्ली पुलिस को इतनी आसानी से नहीं छोड़ना चाहिए ता. कम से कम सुप्रीम कोर्ट को पूरी जांच की खुद निगरानी करनी चाहिए थी. बता दें कि जस्टिस लोकुर 'अनहद'(ANHAD) और नेशनल अलायंस ऑफ़ पीपुल्स मूवमेंट की तरफ़ से आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट को सबसे पहले दिल्ली पुलिस से पूछना चाहिए था कि आपने एफ़आईआर करने में देरी क्यों की ? लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा नहीं किया.
पहलवानों ने गंगा में मेडल बहाने का लिया था फ़ैसला
बता दें कि पहलवानों ने अपने मेडल गंगा में बहाने का फ़ैसला किया था. पहलवानों के पहुंचने के बाद उनके आस पास बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए. कुछ लोगों ने ये अपील किया कि पहलवान अपने मेडल गंगा में न बहाएं. पहलवानों के पहुंचने के घंटे भर बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता नरेश टिकैत अपने समर्थकों के साथ पहलवानों को मनाने के लिए हरिद्वार में हर की पौड़ी पर पहुंचे. इसके बाद पहलवानों ने अपने मेडल नरेश टिकैत को सौंप दिए हैं. इससे पहले उनके छोटे भाई राकेश टिकैत ने भी पहलवानों से अपील की थी कि वे गंगा में मेडल न बहाएं.
पुलिस ने पहलवानों को हिरासत में लिया था
दिल्ली पुलिस ने 28 मई को जब विनेश फोगट, साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और संगीता फोगाट समेत अन्य पहलवान नए संसद भवन की ओर मार्च करने की कोशिश कर रहे थे तब उनको हिरासत में ले लिया गया था. दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों की ओर से लगाए गए अस्थायी टेंट और अन्य सामानों को भी हटा दिया था.
दिल्ली पुलिस पहलवानों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 147 जिसके तहत दंगा करना, 149 ग़ैर कानूनी तरीके से भीड़ इकट्ठा करना, 352 किसी व्यक्ति पर गंभीर तथा आकस्मिक उत्तेजना के बिना हमला या आपराधिक बल का इस्तेमाल करना, 353 लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला और 186 लोक सेवक की ड्यूटी में बाधा डालना के तहत प्राथमिकी (FIR) दर्ज किया था.